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लेख - Page 6

  • आज शालीनता अनुपयोगी हो गयी है ?

    कबाब पराँठा, बिरयानी, रोग़न जोश संभवतः बहुत स्वादिष्ट होते हैं। मैं इसका अधिकारी पारखी नहीं हूँ मगर इस निष्कर्ष पर पहुँचने का कारण यह है कि आज के दैनिक जागरण में कुलदीप नैयर का लेख "हद पार करती भीड़ की हिंसा" छपा है, जिसमें इसने अलवर के गौ-तस्कर अकबर के वध के कारणों की मनमानी व्याख्या, भारत में 17...

  • आपका धिम्मीपन हर बार ज़ाहिर करता है हिन्दुत्व से आपकी दूरी ?

    जब आप किसी के आक्षेप पर दौड़े-दौड़े किसी नासा की रिपोर्ट का लिंक लेकर आते हैं और कहते हैं कि देखिए "ऐडम ब्रिज (सही नाम 'राम सेतु')" को नासा भी 5000 साल पुराना बताती है और यह मानव निर्मित है तब आप अपने इष्ट प्रभु "श्री राम और रामायण" काल का ख़ुद ही हनन कर रहे होते हैं यह ज्ञात नहीं रहता आपको ? या...

  • घुसपैठिओं, चले जाओ यहाँ से: ये देश है, सराय नहीं।

    नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (NRC) यह गत तीन दिनों से एक गर्माया हुआ मुद्दा है। संसद और संसद के बाहर घमासान मचा हुआ है। वास्तव में NRC है क्या? यह जानने के लिए हमें 67 साल पीछे जाना होगा । स्वतंत्रता के बाद पूर्वी पाकिस्तान से भारत के असम राज्य में बड़े पैमाने पर घुसपैठ शुरू हो चुकी थी और इस खतरे को...

  • घुसपैठ का आतंकवाद या आतंकवाद की घुसपैठ ?

    वर्तमान में देश के सामने "धर्मांतरण" के साथ "घुसपैठिए" बड़ी समस्या हैं हज़ारों वर्षों से सनातन परम्परा और भारत भूमि पर हज़ारों हमले हुए जो अब भी जारी हैकुछ बदलाव आया है तो वह है "मोड्ज़ ऑफ़ ओपेरंडी" (यानि हमले के तरीके) का पहले तलवार लेकर आए व्यापार के बहाने आए या फिर कुछ और बताकर आए और लोगों को...

  • भारत का आखिरी विभाजन और रक्तचरित्रों की रक्तरेखा! रक्तरंजित विभाजन के कौन थे पेरोकार ?

    भारत पाकिस्तान की भौगोलिक सीमारेखा है रेडक्लिफ! यह रेखा दरअसल इस्लामिक दंभ की सुवर्णरेखा है। यह रेखा वह जीवनदायिनी शक्ति है जिसके बल पर जुल्फिकार और हाफिज सईद जैसे लोग हिन्दुस्तान से हजार वर्ष तक चलने वाले जंग का ऐलान कर सकते हैं। यह रेखा परछाईं है शरणार्थी हिन्दुस्तानी औरतों की देह को बलत्कृत करते...

  • भय की खेती के सहारे एक मज़हब

    क्या आपको इस्लाम का भय है? कभी-कभी तो मुझे लगता है कि समय के साथ कभी शूरवीर कहे जाने वाले हम हिन्दू एक डरपोक और कायर समाज बनते जा रहे हैं। यदि आप सबको मेरी बात का बुरा लगा तो माफ कीजिएगा लेकिन मेरा यही इरादा था कि आप को बहुत बुरा लगे क्योंकि, मुझे सलमान रश्दी तस्लीमा नसरीन वाला मामला अभी तक याद है...

  • Mob-Lynching ? अल्लाह की ऊंटनी की जान के बदले पूरी कौम का खात्मा - सूरा अल-आराफ़

    अरब के हिजाज और सीरिया के दरमियानी इलाके में इस्लाम के जुहूर से काफी पहले समूद नाम की जाति रहा करती थी। कुरआन में इस जाति के बारे में कहा गया है कि ये लोग अरबों की वो कौमें थी जो मिट गई, नष्ट हो गई, हलाक कर दी गई। कुरआन में कई स्थानों पर इस जाति का ज़िक्र आया है। सूरा 7 अल - आराफ़ की आयात 73 से 79 एवं...

  • राहुल का सपना खतरे में, मोदी को रोकने के लिए लेंगें महिलाओं की आड़

    मोदी-शाह की इस अजय जोड़ी को हारने के लिए एवं 2019 में उन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट होता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों का एकमात्र उद्देशय बस किसी भी तरह मोदी को हटाना है इसके लिए वो हर तरह का गठबंधन करने को तैयार है। कभी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस का आलम ये है कि भले...

  • एनडीटीवी की आंखो पर शरिया (दारुल कज़ा) का चश्मा

    एनडीटीवी (NDTV) एक बेशर्म झूठी चैनल है! ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के देश के हर ज़िले में शरीया कोर्ट लागू करने के मंसूबों पर एनडीटीवी AIMPLB के बारे में कहती है कि वह "मुस्लिम मामलों की देश की सर्वोच्च निर्णायक संस्था है" अब यह एन डी टी वी को किसने बताया कि AIMPLB मुस्लिम मामलों...

  • सर्जिकल स्ट्राइक: सेना का शौर्य बनाम राजनीतिक आखाड़ा

    जिन्हें सरहदों से आते ताबूत नहीं दिखते, उन्हें वीडियो भी नहीं दिखेगा। सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो पब्लिक डोमेन में डाला गया है, देश-भर में देखा गया, विदेशों में भी। सेना से यह वीडियो माँगा गया होगा या फ़िर मज़बूर होकर सेना ने ही दे दिया होगा। सेना करे भी तो क्या, वह एक ऐसे मज़बूर देश की सेना है, जिसके...

  • और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करों जब तक की वे ईमान न लाएँ- (सूराह : अल-बक़रा : 221)

    तन्वी सेठ प्रकरण के पीछे चाहे जो राजनीति, कूटनीति या विश्वनीति रही हो, भारतीय परिप्रेक्ष्य में उसका एक ज़रूरी सामाजिक संदर्भ भी है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।यह है "इंटरफ़ेथ मैरिजेस" का मसला।भारत में हिंदुओं के शादी-ब्याह सम्बंधी मामलों के लिए "हिंदू मैरिज एक्ट 1955" है और मुस्लिमों...

  • बाईबल और वामियों के चंगुल से निकलता भारतीय इतिहास

    साक्ष्य मिल रहे हैं, फिर शोध से क्यों डरते हैं इतिहासकार? इतिहासकारों का मानना है कि केवल वस्तुओं का मिलना ही इतिहास नहीं होता, इतिहास होने का प्रमाण नहीं होता, बल्कि उन्हें सैद्धांतिक प्रश्न (theoretical question) से गुजरना होता है, जो दार्शनिक तौर पर उस वस्तु का पक्ष रख सकें, बचाव कर सकें, उसकी...

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