राहुल का सपना खतरे में, मोदी को रोकने के लिए लेंगें महिलाओं की आड़
अब आप अंदाज़ा लगा सकते है कि मोदी राज में कांग्रेस के कितने बुरे दिन आ चुके है कि आज कांग्रेस को दल-दल का सहारा लेना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो विपक्ष की तरफ से किसी महिला नेता को प्रधानमंत्री बनाने के कयास भी चल रहे हैं। जाहिर है फिलहाल ममता बनर्जी, मायावती और कांग्रेस से शीला दीक्षित के तौर पर गिनती की महिला नेता इस रेस में मानी जा रही हैं। मायावती के साथ कांग्रेस के गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण पर है।
अब आप अंदाज़ा लगा सकते है कि मोदी राज में कांग्रेस के कितने बुरे दिन आ चुके है कि आज कांग्रेस को दल-दल का सहारा लेना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो विपक्ष की तरफ से किसी महिला नेता को प्रधानमंत्री बनाने के कयास भी चल रहे हैं। जाहिर है फिलहाल ममता बनर्जी, मायावती और कांग्रेस से शीला दीक्षित के तौर पर गिनती की महिला नेता इस रेस में मानी जा रही हैं। मायावती के साथ कांग्रेस के गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण पर है।
मोदी-शाह की इस अजय जोड़ी को हारने के लिए एवं 2019 में उन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट होता दिख रहा है।
ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों का एकमात्र उद्देशय बस किसी भी तरह मोदी को हटाना है इसके लिए वो हर तरह का गठबंधन करने को तैयार है।
कभी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस का आलम ये है कि भले ही हो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रही है, मगर मोदी को हटाने के लिए वो ममता बैनर्जी, मायावती या किसी और महिला को भी प्रधानमंत्री बना सकती है। जी हाँ, आपने सही सुना आज कांग्रेस कि तरफ से ये ऐलान किया गया और उम्मीद है कि अब मोदी को हराने के लिए कांग्रेस अपना नया महिला कार्ड चलेगी।
खबरों की मानें तो कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए वो किसी भी ऐसा नेता को सहयोग करेगी जिसका आरएसएस से संबंध न हो फिर चाहे वो नेता कोई भी हो इससे कांग्रेस को फर्क नहीं पड़ता। अब आप अंदाज़ा लगा सकते है कि मोदी राज में कांग्रेस के कितने बुरे दिन आ चुके है कि आज कांग्रेस को दल-दल का सहारा लेना पड़ रहा है।
सूत्रों की माने तो विपक्ष की तरफ से किसी महिला नेता को प्रधानमंत्री बनाने के कयास भी चल रहे हैं। जाहिर है फिलहाल ममता बनर्जी, मायावती और कांग्रेस से शीला दीक्षित के तौर पर गिनती की महिला नेता इस रेस में मानी जा रही हैं। मायावती के साथ कांग्रेस के गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण पर है।
उधर बीजेपी की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि शिवेसेना और तेलगू देशम जैसी उसकी सहयोगी पार्टियों ने उसका साथ छोड़ दिया है। ऐसे में 280 सीटों का जादुई आंकड़ा पाना आसान तो नहीं होगा।
इतना ही नहीं चुनाव में बिहार और उत्तर प्रदेश बहुत अहम फैक्टर है क्योंकि यहां लोकसभा की कुल 120 सीटे हैं, ऐसे में यदि इन दोनों राज्यों में बीजेपी की पकड़ ढीली होती है तो सत्ता पर दोबारा काबिज होने का उनका सपना टूट सकता है। उधर कांग्रेस फिलहाल अपनी सारी अकड़ छोड़कर हर किसी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाए हुए है, क्योंकि अगले चुनाव में वो किसी भी कीमत पर मोदी को हटाने के साथ ही अपनी वापसी भी चाहती है।
अगले चुनाव में यदि कांग्रेस महागबंधन के सहारे जीत भी जाती है तो उसके लिए प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार तय करना बहुत मुश्किल होगा।
अभी भले ही सब ये कह रहे हों कि उन्हें किसी को भी प्रधानमंत्री बनाने से परहेज नहीं है, बस वो आरआरएस से संबंधति नहीं होना चाहिए, मगर सच्चाई तो ये है कि बीएसपी सुप्रीमों मायावती भी बरसों से प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोए हुए हैं, तो उधर सोनिया गांधी अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाना चाहती हैं, अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह को और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बैनर्जी के दिल में भी पीएम बनने का सपना पल रहा है, खैर हम उम्मीद करते है कि इस दल-दल में कमल और अच्छे से उभरेगा।
बहरहाल, अभी तो चाहे राहुल गांधी हो या अखिलेश यादव इनका एकमात्र मकसद मोदी को हटाना है और इसके लिए अखिलेश अपने पिता को पीएम पद का सपना और राहुल अपना पीएम बनने का सपना त्यागने के लिए भी तैयार हैं।