Abhijeet Singh
एक मुश्त-ए-ख़ाक और वो भी हवा की ज़द में है, ज़िंदगी की बेबसी का इस्तिआ'रा देखना
"काफिर" कौन है ?
ये ऐसा प्रश्न है जो गैर-मुस्लिमों के लिए लगभग 1400 वर्षों से अनुतरित है।काफ़िर के अर्थ पर मौलाना लोग और अक्सर मुस्लिम विद्वान सफ़ेद झूठ बोलते हुए पहले तो इस बात से साफ़ इंकार कर देते हैं कि काफिर से मुराद हिन्दू, ईसाई या यहूदी है; फिर दूसरा झूठ ये बोलते हैं कि काफ़िर "नास्तिक" को कहतें हैं। ये लोग...
Abhijeet Singh | 6 May 2020 9:00 PM ISTRead More
"हरी सिंह नलवा" एक बाहुबली का स्मरण
1699 में जब पिता दशमेश ने 'खालसा' सजाई थी तो उसके साथ विजय हुंकार करते हुए कहा था "राज करेगा खालसा, आक़ी बचे न कोई"। पिता दशमेश के इस "जयघोष" के संकल्प को मूर्त रूप देने को प्रस्तुत हुए "बाबा बंदा सिंह बहादुर" और "हरिसिंह नलवा"। एक ने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से जो 'देबबंद' से शुरू होकर 'कश्मीर' तक...
Abhijeet Singh | 30 April 2020 6:17 PM ISTRead More
#SelfieWithBajrangBali "हनुमान जयंती" पर विशेष
कुछ वर्ष पूर्व कर्नाटक के रहने वाले 'करण आचार्य' ने "क्रोधित हनुमान" की एक पेंटिंग बनाई थी, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री 'श्री नरेन्द्र मोदी जी' ने भी की थी और उनके द्वारा प्रशंसा किये जाने के बाद अचानक यह पेंटिंग देश भर में सुर्खियों में आ गया था।OLA-UBER समेत निजी वाहन वाले हनुमान जी की इस तस्वीर को...
Abhijeet Singh | 7 April 2020 8:00 PM ISTRead More
किताबों में नहीं हर देशभक्त के दिल में बसते हैं सावरकर
स्वातंत्र्यवीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। 'नाम में क्या रखा है' वाली वाहियात फिलॉसपी और किसी के साथ भले चस्पां हो जाती हो पर ऐसा सावरकर के नाम के साथ कतई नहीं है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि वो सचमुच "विनायक" थे। हिन्दू ग्रंथों ने कहा है कि हर शुभ काम विनायक गणेश के नाम के साथ शुरू...
Abhijeet Singh | 16 May 2019 11:04 PM ISTRead More
गुरू गोविंद सिंह जी का खालसा "तब और अब"
दुनिया इतना तो जानती है कि जब धर्म और राष्ट्र खतरे में था तब दशम गुरू गोविंद सिंह जी ने भक्ति, करुणा और सेवा भावी सिखों को अजेय खालसा सैनिक में बदल दिया था पर गुरू गोविंद सिंह जी का एक बहुत बड़ा योगदान और है जिससे प्रायः लोग अनभिज्ञ हैं। गुरू गोविंद सिंह जी दस गुरुओं में अकेले थे जो संस्कृत के...
Abhijeet Singh | 12 April 2019 9:00 PM ISTRead More
कटता पंजाब बटते लोग - इस्लाम के बाद ईसाई शिकारियों का जाल
ये बात 2010-11 की है जब मैं ब्लॉग पर लिखता था तब मैनें एक लेख "सिमटते भारत की वेदनाएं" विषय पर लिखा था। लेख पर आई प्रतिक्रियाओं में एक प्रतिक्रिया एक लड़की की थी जो नीदरलैंड्स से थी। उसका नाम आधा सिख और आधा ईसाई वाला था। चैटिंग से पता चला कि उसकी माँ पंजाबी थी और पिता वहां के ईसाई। लड़की की उम्र थी...
Abhijeet Singh | 10 April 2019 2:34 PM ISTRead More
क्षेत्रीयता के झगड़ों के बीच
आज जबकि हम हिन्दू हर प्रकार से सक्षम होते हुए भी अपने भाग्य-सूर्य को अस्तालाचलगामी होते हुए देखने को अभिशप्त हैं तो ऐसे में यह प्रश्न आज पुनः विचारणीय हो गया है कि 'दुनिया ने आजतक हमें किस रूप में देखा, जाना और माना है'। इसका उत्तर एक ही है कि दुनिया ने हमें सिर्फ और सिर्फ भारतीय और हिन्दू रूप में...
Abhijeet Singh | 2 Sept 2018 10:58 PM ISTRead More
बिहार कल-आज-कल : बिहार और बिहारियों से नफरतों के बीच क्या बदला है कुछ ?
ये पोस्ट आज से तीन साल पहले लिखी थी मगर अफसोस बदला कुछ भी नहीं, मानसिकता आज भी वही है। -------------------------------------------------------- अगर आज खुद को एक बिहारी मान कर सोचूं तो ये विचार मेरे जीवन को दो भागों में बाँट देता है। इस विभाजन काल का निर्धारण बिंदु है मई, 2003, ऐसा इसलिए है क्योंकि...
Abhijeet Singh | 28 Aug 2018 4:08 PM ISTRead More
भारत में मुआहिद यानि धिम्मियों का दूषित DNA
आपने अक्सर ऐसे लेख या पोस्ट पढ़े होंगें या ऐसे भाषण सुने होंगे जिसमें कुछ हिंदू ये कहते मिलते हैं, "बंटवारे में हिंदुस्तान को चुन कर हम हिंदुओं पर भरोसा करनेवालों को अगर इस मुल्क में आज खतरा महसूस होता है तो समाज के तौर पर ये हमारी सामूहिक विफलता है"। ऐसा सोचने वाले धिम्मियों की एक और श्रेणी में...
Abhijeet Singh | 23 Aug 2018 12:05 PM ISTRead More
"धिम्मियों" का नया चेहरा सिद्धू
शेख अहमद दीदात ने "क्राइस्ट इन इस्लाम" नाम से एक बड़ा मशहूर लेक्चर दिया था जिसने पश्चिमी ईसाई जगत और अफ्रीका में ईसाईयों के बीच दावत की राह आसान कर दी थी। दीदात का वो मशहूर लेक्चर मेरे पास भी है। सवा घंटे के उस लेक्चर और उसके बाद पैंतालीस मिनट तक चले सवाल-जबाब सत्र में दीदात ने सामने बैठे ईसाई...
Abhijeet Singh | 21 Aug 2018 11:10 PM ISTRead More
15 अगस्त: स्वतन्त्रता की खुशी या बँटवारे का दर्द?
15 अगस्त 1947 भारत की आजादी का दिन था. हमें आजादी मिली, उस खुशी को आज भी हम हर साल आजादी के दिन के रूप में मनातें हैं पर इस खुशी को मनाते हुये हममें से कितने लोग हैं जिनके मन में कोई वेदना होती है, कोई पीड़ा होती है? किसी का भी स्वाभाविक प्रश्न होगा कि आजादी के दिन कोई वेदना या कोई पीड़ा क्यों हो? ...
Abhijeet Singh | 14 Aug 2018 11:36 PM ISTRead More
Mob-Lynching ? अल्लाह की ऊंटनी की जान के बदले पूरी कौम का खात्मा - सूरा अल-आराफ़
अरब के हिजाज और सीरिया के दरमियानी इलाके में इस्लाम के जुहूर से काफी पहले समूद नाम की जाति रहा करती थी। कुरआन में इस जाति के बारे में कहा गया है कि ये लोग अरबों की वो कौमें थी जो मिट गई, नष्ट हो गई, हलाक कर दी गई। कुरआन में कई स्थानों पर इस जाति का ज़िक्र आया है। सूरा 7 अल - आराफ़ की आयात 73 से 79 एवं...
Abhijeet Singh | 26 July 2018 2:14 PM ISTRead More