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साहित्य - Page 4

  • इस पर विचार होना चाहिए कि कोई एक व्यक्ति "राष्ट्रपिता" कैसे हो सकता है ?

    साध्वी प्रज्ञा का "नाथूराम गोडसे" को देशभक्त बताने वाला बयान चर्चा में है। कांग्रेस के लोगों का विरोध तो स्वाभाविक ही है किंतु भाजपा के लोग भी इस विरोध में शरीक हो गए हैं। प्रेस भी अपनी पीपनी बजा रहा है अतः आवश्यक है कि इस पर चर्चा की जाए। 1947 में पूज्य मातृभूमि के विभाजन के तुरन्त बाद सबसे चर्चित...

  • मैं साध्वी प्रज्ञा के बयान का समर्थन करता हूँ!

    मैं साध्वी प्रज्ञा को कभी मन से माफ नहीं करूंगा: साहेब! और मुझे लगता है साध्वी प्रज्ञा जी अभी राजनीति के लिए अनफिट है। साध्वी प्रज्ञा ही क्यों मुझे आईपीएस किरण बेदी भी राजनीति के लिए अनफिट लगी थी और वो तो बेचारी चुनाव भी हार गई थी। हां किरण जी मेरी पसंदीदा प्रशासनिक अधिकारी है और निःसन्देह वो देश...

  • किताबों में नहीं हर देशभक्त के दिल में बसते हैं सावरकर

    स्वातंत्र्यवीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। 'नाम में क्या रखा है' वाली वाहियात फिलॉसपी और किसी के साथ भले चस्पां हो जाती हो पर ऐसा सावरकर के नाम के साथ कतई नहीं है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि वो सचमुच "विनायक" थे। हिन्दू ग्रंथों ने कहा है कि हर शुभ काम विनायक गणेश के नाम के साथ शुरू...

  • प्रोपेगंडा पत्रकारिता का काला चेहरा!

    प्रोपेगंडा पत्रकारिता का चेहरा देख लीजिये, स्याह काला होता है। एकदम खदान के कोयले के माफिक कालाअभी कुछ दिनों पहले रवीश कुमार जी अक्षय कुमार जी के प्रधानमंत्री जी के साथ वाले इंटरव्यू पर कमियां खंगाल रहे थे, कि रोशनी कम है। हालांकि सूर्य की रोशनी में इंटरव्यू लिया गया था। और छाया आ रही है, जबकि कुछ...

  • भरोसा बड़ी चीज़ है बाबू.... पहले तो होता नहीं और हो जाये तो आसानी से टूटता नहीं !!

    भरोसा बड़ी चीज़ है बाबू। पहले तो होता नहीं और हो जाये तो टूटता नहीं और हो के टूट जाये तो कभी जुड़ता नहीं। जहाँ भरोसा होता है न बाबू वहां जिंदगी बड़ी आसानी से निकल जाती है। बड़ी से बड़ी मुश्किलों के पहाड़ चूर हो जाते हैं। लेकिन भरोसा ऐसी चीज़ है बाबू कि होता नहीं है, आधों को तो खुद पे नहीं होता और...

  • विषैला वामपंथ - आर्थिक विकास का भ्रम और समाज के लिए ख़तरा

    केनेडी की हत्या के बाद अमेरिका के प्रेसिडेंट हुए लिंडन B जॉन्सन। उन्हें LBJ से भी पहचाना जाता है। अमेरिका में कृष्णवर्णियों के लिए अलग से वेल्फेयर की योजनाएँ उन्होंने शुरू की। क्या उनका उद्देश्य वाकई समाज कल्याण था? जॉन्सन के एक वाक्य को लेकर विवाद है, जो वाक्य इस काम की मूल प्रेरणा को अधोरेखित...

  • मैं राम हूँ: मैं निर्वासित था अयोध्या से

    मैं राम हूँ - मैं निर्वासित था अयोध्या से मैं राम हूँ - मैं निर्वासित हूँ आज भी अयोध्या से। मैं राम - निर्वासित रहा सीता की उलाहनाओं से भी निःशब्द, राजमहल से निकलती सीता ने नहीं किया मुझसे कोई भी प्रश्न। सीता- निर्वासित किया जिसने अपने प्रति मेरे कर्तव्यों से। मैं राम - निर्वासित...

  • गुरू गोविंद सिंह जी का खालसा "तब और अब"

    दुनिया इतना तो जानती है कि जब धर्म और राष्ट्र खतरे में था तब दशम गुरू गोविंद सिंह जी ने भक्ति, करुणा और सेवा भावी सिखों को अजेय खालसा सैनिक में बदल दिया था पर गुरू गोविंद सिंह जी का एक बहुत बड़ा योगदान और है जिससे प्रायः लोग अनभिज्ञ हैं। गुरू गोविंद सिंह जी दस गुरुओं में अकेले थे जो संस्कृत के...

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