प्रोपेगंडा पत्रकारिता का काला चेहरा!

  • whatsapp
  • Telegram
प्रोपेगंडा पत्रकारिता, रवीश कुमार, अक्षय कुमार, नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, इंटरव्यू, अक्षय-मोदी, अक्षय मोदी इंटरव्यू, बेगूसराय, कन्हैया कुमार, Propaganda Journalism, Ravish Kumar, Akshay Kumar, Narendra Modi, Prime Minister, Interview, Akshay with Modi, Akshay-Modi Interview, Be
X
अक्षय कुमार के इंटरव्यू में खामियां निकालने वाले रवीश कुमार जी के थोबड़े के पीछे उनकी बगुले जैसी छाया आ रही है। जाहिर है ये प्रोपेगंडा है सिम्पैथी गेन करने का

प्रोपेगंडा पत्रकारिता का चेहरा देख लीजिये, स्याह काला होता है। एकदम खदान के कोयले के माफिक काला


अभी कुछ दिनों पहले रवीश कुमार जी अक्षय कुमार जी के प्रधानमंत्री जी के साथ वाले इंटरव्यू पर कमियां खंगाल रहे थे, कि रोशनी कम है। हालांकि सूर्य की रोशनी में इंटरव्यू लिया गया था। और छाया आ रही है, जबकि कुछ एक सवाल टहलते हुए लिए थे। जाहिर है आजू बाजू छतरी वाले उनके साथ नही टहल रहे होंगे।

और भी कुछ टेक्निकल खामियां, जाहिर है अक्षय कुमार पर टेक्निकल टीम नही होगी।

अब आप लेख में लगी तस्वीर में नीचे सदी के तथाकथित महानतम पत्रकार और सबसे घटिया इंसान का इंटरव्यू देख लीजिए।

अक्षय कुमार के इंटरव्यू में खामियां निकालने वाले रवीश कुमार जी के थोबड़े के पीछे उनकी बगुले जैसी छाया आ रही है। जाहिर है ये प्रोपेगंडा है सिम्पैथी गेन करने का। क्योंकि रवीश कुमार के साथ NDTV की पूरी टीम चलती है जो लाइट कैमरा और एक्शन बोलती है। उसके लिए बैकग्राउंड से छाया हटाना चुटकियों का खेल है ।
एक टूटी फूटी खराब सी दीवार को इंटरव्यू के बैकग्राउंड में लिया है ताकि जनता में उसकी गरीबी भुनाई जा सके। एक फॉर्च्यूनर में चलने वाले हवाई जहाज में उड़ने वाले को दर दर का भिखारी बना देंगे ये लोग ताकि गरीब बेगूसराय वालों को ये अमीर बुर्जुआ उनका रहनुमा लगे।

ये इंटरव्यू दिन में भी लिया जा सकता था पर इसीलिए नहीं लिया गया क्योंकि दिन में अपने निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकार रवीश कुमार जी कन्हैया कुमार के साथ रोड शो कर रहे थे।

ये पत्रकारिता के पतन की पराकाष्ठा है। पत्रकार बिरादरी को चाहिए कि इस प्रोपेगंडा पत्रकारिता पर सवाल उठायें। ऐसे पत्रकार पत्रकारिता के पेशे को कलंकित कर रहे हैं। जनता अभी से पत्रकारों को गिरी हुई नजर से देखना शुरू कर चुकी है। अगर ऐसी घटिया प्रोपेगंडा पत्रकारिता जारी रही तो निस्संदेह ही पत्रकार अपनी रही सही विश्वसनीयता खो बैठेंगे।

-----------------------------------

अनुज अग्रवाल जी की कलम से।

Share it