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साहित्य - Page 12

  • किस्सा-ए-हिजरा: पार्ट-2

    एक व दो जून, 1920 को इलाहाबाद में हुई खिलाफत कमेटी की बैठक में खिलाफत कमेटी के एक नेता ने गुस्से में कसम खाई की मुसलमान हिजरा के लिए अफगानिस्तान जाएंगे और वहां की फौज में भर्ती होने के बाद भारत पर हमला कर इसे अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराएंगे। हिंदुओं व सिखों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई जिसके बाद...

  • किस्सा ए हिजरा : पार्ट-1

    ये लंबी पोस्ट तो बस किस्से की पहली किस्त है। 14 अगस्त, 1920 को खैबर दर्रे के गेट पर गजब नजारा था। रंगबिरंगे झंडों, बैनरों, गाजे बाजे और हथियारों से लैस सात हजार पख्तून अफगानिस्तान में घुसने के लिए गेट पर चपे हुए थे। उधर 50 के करीब अफगानी गार्ड दहशत में थे लेकिन हिम्मत बांध के...

  • तब कहाँ गया था "रे राधासुत" तुम्हारा धर्म?

    महाभारत में जब कर्ण का वध होना था, तब वह अर्जुन को भारी पड़ रहा था। संजोगवश उस के रथ का पहिया जमीन में धंस गया। कर्ण अपने आयुध छोड़ उस पहिए को बाहर निकालने में जुटा था। उस समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कर्ण का वध करने के लिए कहा, और अर्जुन ने कर्ण को ऐसा घायल कर दिया कि मृत्यु सुनिश्चित हो। कर्ण को यह...

  • भारत, मध्यपूर्व और यरूसलेम मतदान की कूटनीति

    कहानी शुरू होती है 1947 से जब सयुंक्त राष्ट्र ने निर्णय किया कि एक कमेटी बनाई जाए जो फिलिस्तीन मे व्याप्त विस्फोटक स्थिति का सर्वमान्य हल निकाल सके जहाँ यहूदी और मुस्लिम आपस मे सौहार्द से नही रह पा रहे थे। भारत, ईरान और तुर्की सहित 13 देश, दो अलग-अलग राष्ट्रों फिलिस्तीन एवं इज़राइल के पक्ष में नही थे...

  • दलित समाज और ईसाई मिशनरी का जाल

    (कोरेगांव, महाराष्ट्र में पेशवा और अंग्रेजों के युद्ध में महार समाज द्वारा अंग्रेजों का साथ देने को ब्राह्मणवाद बनाम दलित के रूप में चित्रित किया जा रहा हैं। युद्ध में न अंग्रेज अकेले लड़ते थे न मराठे अकेले लड़ते थे। दोनों की सेना में समाज के हर वर्ग से लोग शामिल थे। युद्ध कभी केवल कुछ लोगों में नहीं...

  • धरिणीम् भरणीम् मातरम् : (2) केले की खेती

    अगर कोई कहे कि किसान सालाना करोड़ रुपए कमा सकते हैं, तो सुनने वाला उसे पागल समझ सकता है। मगर महाराष्ट्र का जलगांव भारत में केलों की राजधानी है और यहां के कई किसान करोड़पति हैं। यहाँ 62 साल के टेनू डोंगार बोरोले और 64 साल के लक्ष्मण ओंकार चौधरी ऐसे ही किसान हैं।टेनू डोंगार बोरोले...

  • नालंदा के नए बख्तियार खिलजी

    साल 1927, अम्बेडकर साहब ने कुछ लोगों के साथ मिलकर मनुस्मृति जलाई। अस्सी साल बाद "उदित राज" भाजपा सांसद (पूर्वी दिल्ली) को भी जरूरत पड़ रही है पुस्तकें जलाने की। यूनानी नाटककार एशीलस ने सच ही कहा था कि 'युद्ध का सबसे पहला शिकार सत्य ही बनता है।' यह बात अंध-दुराग्रह वाले वैचारिक...

  • कला बनाम संस्कृति : फ्रैकफर्ट स्कूल की नजर में

    1923 में कुछ वामपंथी विचारकों, सांस्कृतिक आलोचकों और समाजशास्त्रियों ने मिलकर फ्रैकफर्ट में Institute of Social Research की स्थापना की जिसे हम फ्रैंकफर्ट स्कूल के नाम से जानते हैं। इस संस्थान की स्थापना उन थ्योरी वीरों ने की थी जो मार्क्स की भविष्यवाणी फेल हो जाने से सदमे में थे। इनका अटल विश्वास था...

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