तब कहाँ गया था "रे राधासुत" तुम्हारा धर्म?
2002 से लेकर आज तक कांग्रेस नरेंद्र मोदी को घेरने की जी-जान से कोशिश कर रही है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि जो धक्का उन्हें 2014 के आम चुनावों में लगा है, उस से शायद 'सोनिया माता' और बाकी कांग्रेसी उबर नहीं पाए हैं और वे उस के बदले की फिराक में लगे हैं।
कृष्ण धारासूरकर | Updated on:17 Jan 2018 11:13 PM IST
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2002 से लेकर आज तक कांग्रेस नरेंद्र मोदी को घेरने की जी-जान से कोशिश कर रही है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि जो धक्का उन्हें 2014 के आम चुनावों में लगा है, उस से शायद 'सोनिया माता' और बाकी कांग्रेसी उबर नहीं पाए हैं और वे उस के बदले की फिराक में लगे हैं।
महाभारत में जब कर्ण का वध होना था, तब वह अर्जुन को भारी पड़ रहा था। संजोगवश उस के रथ का पहिया जमीन में धंस गया। कर्ण अपने आयुध छोड़ उस पहिए को बाहर निकालने में जुटा था। उस समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कर्ण का वध करने के लिए कहा, और अर्जुन ने कर्ण को ऐसा घायल कर दिया कि मृत्यु सुनिश्चित हो। कर्ण को यह बात बड़ी अखरी। मृत्युशय्या पर उस ने कृष्ण को और अर्जुन को निहत्थे पर वार कराने/करने के लिए बड़ा कोसा, अधर्मी कह दिया। तब कृष्ण ने कई सारी घटनाएं गिना कर कर्ण से पूछा, कि जब वह कौरवों के साथ इन सारी धर्म के विरुद्ध जाने वाली घटनाओं में संलिप्त था तब उस का धर्म क्या था, कहाँ था उस का धर्म पालन का आग्रह? यह प्रसंग एक मराठी उपन्यास ने बड़े प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है, जिस में कर्ण यानि राधा का पुत्र - राधासुत को एक प्रश्न बार बार पूछा जाता है - "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
2002 से लेकर आज तक कांग्रेस नरेंद्र मोदी को घेरने की जी-जान से कोशिश कर रही है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि जो धक्का उन्हें 2014 के आम चुनावों में लगा है, उस से शायद 'सोनिया माता' और बाकी कांग्रेसी उबर नहीं पाए हैं और वे उस के बदले की फिराक में लगे हैं
देश की केन्द्रीय सत्ता हाथ से छिटक जाने से, भ्रष्टाचार के पैसे का अमर्याद स्रोत बंद होने से, जीएसटी और नोटबंदी का प्रतिकूल परिणाम न हो कर मोदीजी की लोकप्रियता और बढ़ती दिखाई देने से, और 2019 में मोदीजी का ही पलड़ा भारी दिखाई देने से कांग्रेसी लगभग पगला गए हैं । भाजपा के दो दिग्गज 'अमित शाह और नरेंद्र मोदी' का राम-लखन सा अटूट रिश्ता और उस के कांग्रेसियों पर होने वाले प्रभावों को देखते हुए किसी न किसी बहाने से मोदी या शाह को किसी न किसी मामले में घेर कर उन की प्रतिमा मलीन करने का उन का प्रयास किसी से छिपा नहीं है। अमित शाह के विरुद्ध कांग्रेस ने जो ढेर सारे आपराधिक मामले थोपे थे उन में से एक की सुनवाई महाराष्ट्र के न्यायमूर्ति लोया के सामने हो रही थी। उनकी उस सुनवाई के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुई असामयिक मृत्यु पूरी तरह प्राकृतिक है, और उनके परिवार को इस मामले में और घसीटा न जाए, ऐसा उनके बेटे अनुज लोया ने हाल ही में एक पत्रकार परिषद् बुला कर कहा है। इस स्पष्टता के बावजूद कांग्रेस और उसकी खबरंडी गैंग उसे भुनाने में ही लगे हैं। उन के लिए कुछ सवाल प्रस्तुत है -
? एक जमाने में इंदिरा गाँधी के निकटवर्तीय माने जाने वाले कांग्रेसी नेता ललित नारायण मिश्र की मृत्यु एक बम धमाके में हुई। हमेशा की तरह इंदिरा गांधी ने इसमें "विदेशी ताकतों का हाथ" होने का दावा किया। लेकिन मिश्र जी की पत्नी ने इस हत्या का आरोप सीधे इंदिरा गांधी पर लगाया था। तब इस गैंग ने जांच की मांग क्यों नहीं की थी? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? राजीव गांधी और सोनिया गांधी का विवाह होने के बाद धीरे धीरे सारे गांधी परिवार के सदस्य अप्राकृतिक मृत्यु के ग्रास बने।
? संजय गांधी की मौत एक संदेहास्पद विमान दुर्घटना में हुई। जब उन का विमान हादसा हुआ तब जमीन पर आ गिरे विमान में आग लगी ही नहीं, जब कि अमूमन आग लगती ही है। हवाई अड्डे पर विमान में ईंधन भरे जाने के प्रमाण होने पर भी विमान में आग न लगना या उस का विस्फोट न होना किस बात का द्योतक है? उस समय यह अफवाह गर्म थी कि संजय गांधी को उस की माँ ने ही मरवाया था
? इंदिरा गाँधी को जब उनके ही रक्षकों नें गोलियों से भून डाला था तब सीधे सुसज्जित और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस AIIMS की ओर रुख न कर के सोनिया गांधी उन्हें विरुद्ध दिशा में राम मनोहर लोहिया हस्पताल ले गई। वहां जाने के बाद फिर मन बदल कर वे उन्हें AIIMS ले आईं। इस झमेले में आधा घंटा बर्बाद हो गया - वही निर्णायक समय जो इस तरह के आपात्काल में बड़ा कीमती होता है, जीवन या मृत्यु का अंतर बन सकता है।
? श्रीपेरंबदूर की सभा में राजीव गांधी की हत्या LTTE के आतंकियों के आत्मघाती दस्ते द्वारा की गई। सभा स्थान पर पहुँचने पर कांग्रेसी नेता सारे दूर रहे और अकेले राजीव गांधी मारे गए। उन की हत्या की विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है। और तो और, उन आतंकी हत्यारों को माफ़ी दिलाने के प्रयास सोनिया और प्रियंका गांधी द्वारा होते रहे है। तब से ले कर अब तक इस मामले की जांच का आग्रह क्यों नहीं हुआ? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? प्रियंका गांधी की शादी रॉबर्ट वाड्रा से होने के कुछ ही वर्षों में बहन मिशेल वाड्रा (सड़क हादसे में मृत्यु, दिल्ली-जयपुर मार्ग, एप्रिल 2001), भाई रिचर्ड वाड्रा (आत्महत्या), पिताजी राजेन्द्र वाड्रा (आत्महत्या) इन परिजनों की आकस्मिक मौतें हुई। राबर्ट वाड्रा से जवाब तलब करने वाला अब कोई नहीं बचा है। इन सारी मौतों के पीछे के संयोग की जांच करने की मांग क्यों नहीं हुई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? सोनिया गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने के बाद कुछ महीनों में ही कांग्रेस नेता राजेश पायलट की एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। तब इस संजोग के जांच की मांग क्यों नहीं की गई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के तरीके पर आक्षेप लेनेवाले, और 9 नवम्बर 2000 को उन के खिलाफ अध्यक्षपद का चुनाव लड़ने वाले जितेन्द्र प्रसाद महज दो ही महीनों में 16 जनवरी 2001 को हलके से अस्वास्थ्य के चलते परलोक सिधार गए। तब इस संजोग की जाँच करने की मांग क्यों नहीं हुई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? सोनिया गांधी के खास निकटवर्ती, मित्र और कांग्रेस के कद्दावर नेता माधवराव सिंधिया की भी एक हैलीकाप्टर हादसे में मृत्यु हुई। दक्षिण में कद्दावर नेता और आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री YSR रेड्डी का कद जैसे ही देश के राजनीति में दखल देनेलायक बड़ा हुआ तो उनकी भी मृत्यु एक हैलीकाप्टर हादसे में हुई। इन मौतों के पीछे के संयोग की जांच करने की मांग क्यों नहीं हुई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? नगरवाला नामक व्यक्ति ने इंदिरा गाँधी के आवाज की नक़ल कर स्टेट बैंक को फोन कर 60 लाख रुपयों का गबन किया। इस केस के रोचक तथ्य गूगल कर जरूर पढिएगा। बन्दा पकड़ा गया। उसने एक बयान दिया था कि जेल से लिखे पत्रों में वह एक बड़ा भंडाफोड़ करने वाला है। नगरवाला और उस केस से सम्बंधित सभी आरोपी और साक्ष्य किसी न किसी तरह प्राकृतिक या आकस्मिक मृत्यु के शिकार हुए। इन मौतों के पीछे के संयोग की जांच करने की मांग क्यों नहीं हुई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
? सुनंदा पुश्कर के मृत्यु के बारे में ऐसी कई बातें सामने आई हैं जिन्हें संदेहास्पद कहा जा सकता है। लेकिन जिन पर इस हत्या का संदेह है वे शशि थरूर उस हादसे के बाद भी बड़े आराम से केंद्रीय मंत्री बने रहे, बाद में सांसद के रूप में पुनर्निर्वाचित भी हुए, और बेशर्मी से ऐसे घूमते है जैसे कुछ हुआ ही न हो! तब इसी मिडिया ने और कांग्रेस ने इसकी जांच करने की मांग क्यों नहीं हुई? "तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
सवाल तो कई है। लेकिन कांग्रसियों के लिए केवल सत्ता में आ कर भारत को लूटना और धर्मान्तर को बढ़ावा दे कर भारत को ईसाई या कसाई देश बनाना ही मायने रखता है। इन के लिए सिर्फ एक प्रश्न मायने रखता है वो है - "लेकिन 2002 का क्या??"
लेकिन हमें चाहिए कि कांग्रेस से पूछते रहें, कि इन सारे मामलों की जांच की मांग क्यों नहीं हुई?
"तब कहाँ गया था रे राधासुत तुम्हारा धर्म?"
यह लेख मूल मराठी में है जिसके लेखक - Mandar Dilip Joshi (अगर आप लेख को मराठी में पढ़ना चाहें तो यहाँ Click करें)
हिंदी अनुवाद: कृष्ण धारासूरकर
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