दिल्ली - कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ते हुये 'नकली डॉक्टर ?' द्वारा मंदिर परिसर में आँखों के कैंप का आयोजन, सवाल उठाए जाने पर कैंप बंद करके भागे
हम अनेक जगह ये देख चुके हैं कि सिर्फ अपना नाम चमकाने के लिए कुछ अनाड़ी और झोलाछाप (जो स्वयं को डॉक्टर कहते हैं) इधर-उधर कैंप लगाकर भोले-भाले लोगों के स्वास्थ से खिलवाड़ करते हैं
हम अनेक जगह ये देख चुके हैं कि सिर्फ अपना नाम चमकाने के लिए कुछ अनाड़ी और झोलाछाप (जो स्वयं को डॉक्टर कहते हैं) इधर-उधर कैंप लगाकर भोले-भाले लोगों के स्वास्थ से खिलवाड़ करते हैं
देश-दुनिया में सर्वप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन पिछले कई वर्षों से ही बीजेपी के कार्यकर्ताओं द्वारा बढ़े ज़ोर शोर से मनाया जाता है। हर साल की भांति इस साल भी देश भर में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा मोदी जी के जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। सेवा सप्ताह का अर्थ है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा सप्ताह के प्रत्येक दिन सामाजिक सेवा के रूप में अलग - अलग कार्य किए जाते हैं।
इस सेवा सप्ताह के दौरान आज दिल्ली के जामा मस्जिद क्षेत्र की गली छिप्पीवाड़ा के प्रसिद्ध राधा-कृष्ण मंदिर में एक नेत्र-जाँच शिविर का आयोजन किया गया। क्षेत्रीय लोगों और मंदिर प्रशासन के अनुसार इस कैंप का आयोजन वहाँ की स्थानीय निवासी सारिका श्रीवास्तव 'उपाध्यक्षा, भाजपा महिला मोर्चा जिला चाँदनी चौक' की अध्यक्षता में किया जा रहा था।
यूँ तो यह आयोजन सेवा सप्ताह के दौरान फ्री नेत्र जाँच और दवाई एवं चश्मे वितरण के लिए किया, परन्तु इस कार्यक्रम के दौरान शिविर की आयोजक एवं वहाँ उपस्थित एक मात्र 'कथित डॉक्टर' सारिका श्रीवास्तव एवं उसके कुछ लोगों द्वारा जिस प्रकार का दुर्व्यहवार मीडिया के साथ किया गया वह अति निंदनीय है। इतना ही नहीं जिस तरह सारिका श्रीवास्तव एक डॉक्टर होने का झूठा दावा करती है, हमारे द्वारा प्राप्त तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर, उनके एक डॉक्टर होने और न होने पर भी सवाल खड़े करते है।
घटनाक्रम के अनुसार यह शिविर मोदी जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में लगाया गया तो, samachar24x7 की टीम ने जामा मस्जिद क्षेत्र में चल रहे इस कार्यक्रम में पहुँच कर वहाँ चल रहे कैंप में आए लोगों से बात करने एवं क्षेत्रीय नेताओं द्वारा समाज कल्याण के प्रयासों को जानने के लिए शिविर के आयोजक और वहां मौजूद डॉक्टर्स की टीम से मिलने मंदिर परिसर में आयोजित शिविर में जाने का प्रोग्राम किया।
लेकिन जब हमने वहाँ पहुँचकर वहाँ का हाल देखा तो 'शिविर के आयोजकों की लापरवाही' देखकर हमें बड़ा झटका लगा क्योंकि जहाँ एक तरफ देश/दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर के आने का डर व्याप्त है और केंद्र एवं राज्य सरकारें लोगों को सावधान रहने एवं "कोरोना प्रोटोकॉल' के नियमों का सख्ती से पालन करने के दिशा निर्देश दे रही हैं तो वहीं इस शिविर के आयोजकों की लापरवाही का आलम ये था कि वहाँ अपनी आँखों की जाँच करने आने वाले लोगों की भीड़ उस मंदिर के छोटे से स्थान में ही पास - पास बैठी हुई थी एवं उसमें से भी अनेक लोगों के चेहरे पर मास्क भी नहीं था यहाँ तक कि स्वयं को आयोजक और डॉक्टर बताने वाली सारिका श्रीवास्तव और उनके सहयोगी भी बिना मास्क के ही वहाँ मरीजों की इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल कर रहे थे।
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इसके अतिरिक्त जब हमने वहाँ उपस्थित मंदिर प्रशासन के एक व्यक्ति से पूछा कि क्या इस शिविर की सूचना स्थानीय पुलिस को देकर इसकी इजाजत ली गई है (क्योंकि यहाँ एक समय में लगभग 50 से अधिक लोगों की भीड़ है जिस कारण यहाँ अचानक कोई अनहोनी भी हो सकती है) तो इस विषय पर उसने अनभिज्ञता ज़ाहिर की और जब इसी विषय पर हमने आयोजकों से जानना चाहा तो वहाँ से भी कोई संतुष्टिपूर्ण जबाब नहीं मिला।
जब हमने वहाँ उपस्थित लोगों की भीड़ को देखर कर सारिका श्रीवास्तव से पूछा कि वहाँ के डॉक्टर कौन है तो हमे सारिका द्वारा ही ज्ञात हुआ कि वह खुद ही शिविर की आयोजक एवं पेशे से डॉक्टर भी हैं और वो ही यहाँ मरीजों की नेत्र जाँच कर रहीं हैं।
यानि की इस कार्यक्रम का आयोजन भी सारिका श्रीवास्तव ने किया एवं यहाँ मरीजों की जाँच भी वह ही कर रही थीं।
ये सुनकर वहाँ samachar24x7 की टीम के साथ गए मि॰ अनिल वर्मा (क्योंकि ये कार्यक्रम मि॰ वर्मा के अपने क्षेत्र में ही हो रहा था इसीलिए इस कार्यक्रम को देखने और कवर करने वो स्वयं भी गए थे) को आश्चर्य हुआ कि वो स्वयं को डॉक्टर बताकर वहाँ आए मरीजों को क्यों बेबकूफ बना रही है? क्योंकि सारिका श्रीवास्तव की शिक्षा एवं डिग्रियों के आधार पर मि॰ वर्मा पहले से ही जानते थे कि वो मात्र एक Optometrist Technician है नाकि कोई डॉक्टर!!
शुरुआत में सारिका श्रीवास्तव ने मि॰ वर्मा से उचित व्यवहार किया। लेकिन जब मि॰ वर्मा ने सारिका से उनकी मेडिकल विशेषज्ञता पर सवाल किया तो अचानक से डॉ सारिका सकपका गयी और उनके हाव-भाव में अचानक बदलाव आया जो कि काफी आश्चर्यजनक था।
जो सारिका कुछ सेकेंड पहले तक उनसे ठीक से बात कर रहीं थी, अपनी मेडिकल विशेषज्ञता के बारे में पूछने पर आए इस बदलाव ने जनता के सामने काफी सवाल खड़े कर दिए, और क्यूंकि किसी भी संदेहजनक मुद्दे को जनता के सामने लाना एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर भी और एक जिम्मेदार मीडिया के रूप में भी हमारी ज़िम्मेदारी है और वह भी एक ऐसे स्थान पर जहाँ सीधे तौर पर नागरिकों के स्वास्थ से सम्बंधित बात हो।
इसीलिए मि॰ वर्मा ने बिलकुल भी देरी न करते हुये जनता के सामने ही सारिका से डायरेक्ट उनका विजिटिंग कार्ड माँगा जिससे कि "वो जनता के सामने ही ये सिद्ध कर सकें कि सारिका के पास ये अधिकार नहीं है कि वो अपने नाम के साथ डॉक्टर जैसा प्रतिष्ठित शब्द प्रयोग करके लोगों के विश्वास को धोखा दे"।
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सारिका श्रीवास्तव जो कि डॉक्टर होने का दावा करती है अपना कोई विजिटिंग कार्ड / मेडिकल आईडी कार्ड दिखाने की बजाय उल्टा मीडिया से सवाल करने लगी की आपको यहाँ बुलाया किसने और आपको अंदर किसने आने दिया।
कार्यक्रम के बाहर खड़ी जिस मीडिया को बताया गया था कि सारिका श्रीवास्तव ही इस शिविर की सर्वेसर्वा एवं डॉक्टर हैं अचानक उनकी मेडिकल डिग्री पर बात आते ही सारिका के मुँह से मीडिया के लिए ये सवाल कि "आपको यहाँ बुलाया किसने?" मि॰ वर्मा द्वारा उनकी मेडिकल विशेषज्ञता पर उठाए गए सवाल को सही सिद्ध कर रहा था।
मि॰ वर्मा द्वारा उठाए जा रहे सवालों से बौखलाई हुई सारिका श्रीवास्तव ने एक हेल्थ से सम्बंधित कार्यक्रम की आयोजक होने के नाते अपनी जिम्मेदारी समझने की बजाय उल्टा मीडिया से सवाल किया और उनसे अपना प्रेस कार्ड दिखने कि मांग की।
जब मि॰ वर्मा ने उन्हें तुरंत अपना प्रेस कार्ड दिखाया तो सारिका और उनके साथ मौजूद लोगों की बौखलाहट और बड़ गई, और सारिका जो कि चंद मिनट पहले 'डॉक्टर' होने का दवा कर रही थी उन्होंने तुरंत ही वहाँ उपस्थित अपने लोगों से मीडिया को बाहर निकालने के लिए कहा। इसके बाद वह एवं उनके सहयोगी अचानक मि॰ वर्मा के हाथ से माइक छीनने एवं उन्हें वहाँ से बाहर निकालने का प्रयास करने लगे। इतना ही नहीं उनके साथ मौजूद कुछ पुरुषों ने उनका प्रेस कार्ड छीन कर जब्त करने की भी कोशिश की।
वहाँ सारिका एवं उनके लोगों द्वारा बाहर मीडिया को निकालने के लिए की जा रही धक्का-मुक्की के बावजूद मि॰ वर्मा अपनी टीम के साथ शिविर स्थल पर सिर्फ जनता के सार्वजनिक हित के कारण मौजूद रहे और लगातार सारिका से उनकी मेडिकल डिग्री का नाम जानने और उनका विजिटिंग कार्ड दिखाने की मांग करते रहे।
आपको एक बार फिर से बता दें कि यह एक सामाजिक नेत्र जाँच शिविर था, जिसका आयोजन एक मंदिर यानि एक सामाजिक धार्मिक स्थल पर किया गया था।
सारिका के आदेश पर उनके साथ वहाँ उपस्थित कुछ लोगों ने मि॰ वर्मा और हमारे कैमरा पर्सन के साथ धक्का-मुक्की की और खुद सारिका जी ने कई बार मि॰ वर्मा के हाथ से माइक पकड़ कर खींचने का प्रयास किया। इसका विजूअल प्रूफ आप यहाँ मौजूद वीडियो में भी देख सकते है।
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सारिका एवं उनके लोगों द्वारा मंदिर से धक्का मुक्की कर निकल दिए जाने के बाद, मि॰ अनिल वर्मा और कैमरा पर्सन मंदिर परिसर से बाहर सड़क पर आकर वहां मौजूद लोगों से सवाल-जवाब करने लगे।
क्यूंकि यह कार्यक्रम क्षेत्र के एक प्रसिद्ध मंदिर में आयोजित किया जा रहा था, तो मंदिर प्रशासन पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं, कि उन्होंने बिना डॉक्टर की योग्यता जाने किस आधार पर आँखों के स्वास्थ जैसे नाज़ुक मामले के लिए मंदिर में कैंप लगाने की आज्ञा दी?
हम अनेक जगह ये देख चुके हैं कि सिर्फ अपना नाम चमकाने के लिए कुछ अनाड़ी और झोलाछाप (जो स्वयं को डॉक्टर कहते हैं) इधर-उधर कैंप लगाकर भोले-भाले लोगों के स्वास्थ से खिलवाड़ करते हैं और जब कोई मामला बिगड़ जाता है तो ये झोलाछाप तो गायब हो जाते हैं और भुगतना उन मासूम लोगों को या फिर सरकार को पड़ता है!!!
जब मि॰ वर्मा ने मंदिर के बाहर खड़े होकर ज़ोर-शोर से मंदिर प्रशासन पर भी सवाल उठाया तो मि॰ वर्मा से बात करने के लिए एक बुजुर्ग सज्जन आगे आए, पूछने पर उन्होंने स्वयं को मंदिर ट्रस्ट का सेक्रेटरी बताया हालाँकि जब उनसे इस आयोजन और यहाँ मौजूद डॉक्टर्स की प्रमाणिकता पर सवाल किया गया तो वो बिना जवाब दिए वहां से चले गए।
डॉक्टर होने का दावा करने वाली सारिका श्रीवास्तव जो की यहाँ मुफ्त नेत्र जांच करने का आयोजन कर रही थी उनके लिए शिविर बीच में बंद करना अपने डॉक्टर होने की प्रमाणिकत देने से ज़्यादा आसान था।
साथ ही मि॰ वर्मा द्वारा उठाए गए सवालों से जागरूक होकर जब मंदिर प्रशसन को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हुआ तो उन्होंने सारिका एवं उनके साथ मौजूद लोगों से उनकी प्रमाणिकता मांगी और एक बार फिर इस शिविर के आयोजक अपनी प्रमाणिकता साबित करने में विफल हुए जिससे नाराज़ मंदिर प्रशासन ने तुरंत शिविर को रोकने का फैसला किया। इतना ही नहीं मंदिर प्रशासन ने आक्रोशित होकर बिना देर किए आयोजकों द्वारा वहां लगाए गए बैनर एवं पोस्टर भी स्वयं अपने ही हाथों से फाड़ दिए।
सारिका द्वारा बिना मीडिया या मंदिर प्रशासन के सवालों का जवाब दिए चलते हुये शिविर को बीच में ही बंद कर मौके से भाग जाना केवल और केवल संदेह को बढ़ाता ही नहीं है अपितु मि॰ वर्मा के द्वारा सारिका के 'नकली डॉक्टर' होने के बारे में जो कुछ भी कहा गया उसे शत-प्रतिशत प्रमाणित भी करता है।
क्योंकि "अपना विजिटिंग कार्ड दिखाना या कोई भी ऐसा तथ्य प्रस्तुत करना जो उन्हें डॉक्टर सिद्ध करे और मि॰ वर्मा को झूठा" तो दूर की बात वह मंदिर प्रशासन और वहां मौजूद मीडिया को अपनी मेडिकल विशेषज्ञता एवं मेडिकल डिग्री का नाम तक बताने से बचती दिखीं। जबकि सारिका का निवास स्थान उस कैंप स्थल से मात्र 200 मीटर की दूरी पर ही है, अतः अगर वो अपनी जगह सही होतीं और एक प्रामाणिक डॉक्टर होतीं तो वो चाहतीं तो मि॰ वर्मा द्वारा उनकी काबिलियत पर लगाए गए आरोपों को वहीं जनता के सामने मात्र 5 मिनट में गलत और निराधार सिद्ध कर सकतीं थीं।
लेकिन ना तो सारिका ने ऐसा किया और ना ही वो ऐसा कुछ कर पाने की स्थिति में थीं क्योंकि वो जानती थीं कि वो मात्र एक Optometrist Technician हैं जो भारतीय कानून के अनुसार 'डॉक्टर' लगाने के अधिकारी नहीं हैं।
samachar24x7 या मि॰ वर्मा द्वारा इस कार्यक्रम के आयोजक या मौके पर मौजूद खुद को 'डॉक्टर' बताने वाली सारिका श्रीवास्तव वाकई डॉक्टर होने या ना होने की कोई प्रमाणिकता नहीं देता है लेकिन मि॰ वर्मा द्वारा उठाए गए सवालों का कोई भी संतुष्टिपूर्ण जबाब ना देकर वहाँ से भागना ही सारिका की काबिलियत पर बड़े सवाल खड़े करता है!! किसी भी निष्कर्ष पर आना एक जांच का मुद्दा है।