विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तञ्च मां कुरु
संगीत और राग-रागिनियों में भी माँ सरस्वती ही हैं। हमारे ग्रंथों में माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी) को वाग्देवी सरस्वती के प्राकट्य का दिन माना गया है इसलिये हम लोग वसंत पंचमी के दिन माँ की आराधना करते हैं और उनसे कहतें हैं कि तू है माँ तो हम शत्रुन्जयीं हैं, तू है तो हम लक्ष्मीवंत हैं, तू है तो हम यशस्वी हैं, तो है तो हम निरोगी हैं, तू है तो हमारा मान है और तू है तो हमें किसी और बात की चिंता नहीं है।


X
संगीत और राग-रागिनियों में भी माँ सरस्वती ही हैं। हमारे ग्रंथों में माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी) को वाग्देवी सरस्वती के प्राकट्य का दिन माना गया है इसलिये हम लोग वसंत पंचमी के दिन माँ की आराधना करते हैं और उनसे कहतें हैं कि तू है माँ तो हम शत्रुन्जयीं हैं, तू है तो हम लक्ष्मीवंत हैं, तू है तो हम यशस्वी हैं, तो है तो हम निरोगी हैं, तू है तो हमारा मान है और तू है तो हमें किसी और बात की चिंता नहीं है।
0