सौंफ से स्वास्थ्य लाभ : पाचन सहायता से लेकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने सहित अनेक लाभ

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सौंफ से स्वास्थ्य लाभ : पाचन सहायता से लेकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने सहित अनेक लाभ
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सौंफ से स्वास्थ्य लाभ : पाचन सहायता से लेकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने सहित अनेक लाभ

भारतीय समाज में भोजन के बाद सौंफ खाना एक आम बात है।

यह आपकी सांसों को तरो-ताजा करने के साथ ही आपके दांतों को भी साफ करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सौंफ़ के बीज इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार से स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं, यह प्राकृतिक रूप से ही सूजन-रोधी (anti-inflammatory) होने के साथ ही जीवाणुरोधी (antibacterial) होने का लाभ भी देती है। सौंफ़ में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स में से एक एनेथोल नमक एंटीऑक्सिडेंट (antioxidant), शरीर में कई प्रकार की सूजन को रोकता है।

इसमें कई प्रकार के खनिज व मैंगनीज से भी पाये जाते हैं, जो एंजाइम को सक्रिय करने से लेकर, चयापचय, कोशिकाओं की सुरक्षा, हड्डी विकास, रक्त शर्करा विनियमन और घाव भरने में महत्वपूर्ण योगकारक है।

पाचन में सहायता करता :

सौंफ के बीजों में मौजूद आवश्यक तेल पाचन रस और एंजाइम के स्राव को गति प्रदान करते हैं जो पाचन की प्रक्रिया में सहायक होते हैं। पेट को फूलने का मुख्य कारण होता है अत्यधिक गैस का बनना, सौंफ इस गैस को बनने से रोकने मदद करता है। कभी-कभी अनुचित आहार की आदतों, अनियमित जीवन शैली और वजन के कारण बढ़ी हुई पेट की अम्लता को बेअसर करने में यह बहुत मदद करती है। अम्लता (Acidity) ही सीने में जलन (heartburn) का प्रमुख कारण है लेकिन भोजन के बाद सौंफ खाने से इसके होने की संभावना कम हो सकती है। सौंफ का यह गुण ही इसे अम्लता-रोधी (anti-acidity) दवाओं में एक सामान्य घटक बनाता है।

हीमोग्लोबिन का मुख्य घटक लोहा (Iron) है और सौंफ Iron एक अच्छा स्रोत है इसके अतिरिक्त इसमें हिस्टिडीन (Histidine) नामक एक एमिनो एसिड भी पाया जाता है। ये हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करते हैं। हिस्टिडीन हीमोग्लोबिन और रक्त के अन्य घटकों के निर्माण को उत्तेजित करता है।

शुगर/मधुमेह को नियंत्रित:

वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मधुमेह से पीढ़ित चूहों पर लिए गए एक प्रयोग में उनका मेन्थॉल युक्त सौंफ के बीज से बने एक अर्क के साथ इलाज किया गया, इस प्रयोग के परिणामस्वरूप पाया गया कि, कुछ खुराक के बाद, इस अर्क ने अन्य मानक मधुमेह-रोधी (anti-hyperglycemic) दवाओं की तुलना में एक सीमा पर रक्त में शर्करा के स्तर को कम कर दिया।

चिकित्सकों की सलाह के अनुसार मनुष्य को अपने आहार में उच्च फाइबर अवश्य शामिल करने चाहिए, मधुमेह रोगियों को तो ये सलाह मुख्य रूप से दी जाती है। उनके अनुसार भोजन में विशेष रूप से घुलनशील फाइबर खाने से रक्त शर्करा के स्तर में सुधार करने में मदद मिल सकती है जिससे कि टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। यह भी दावा किया जाता है कि सौंफ के बीज में एक और एंटीऑक्सिडेंट बीटा-कैरोटीन भी पाया जाता है जो टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि सौंफ में कैंसर विरोधी गुण हो सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है:

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक माना जाता है क्योंकि यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है जैसे कि दिल का दौरा, स्ट्रोक और आर्टेरोस्क्लेरोसिस (Artherosclerosis), सौंफ़ बीज एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें मौजूद फाइबर रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखने में मदद करता है।

शरीर/पेट की गर्मी कम करता:

शरीर / पेट की गर्मी कम करने के लिए सौंफ के बीजों को सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें रातभर पानी में भिगो कर, प्रातःकाल उस पानी से बीज़ निकालकर एवं छानकर पिलाया जाए। आयुर्वेदनुसार शरीर की आंतरिक गर्मी को कम करने के लिए यह सबसे अच्छे साधनों में से एक माना जाता है।

उच्च रक्तचाप के खिलाफ:

सौंफ़ के बीज पोटेशियम का एक आवश्यक स्रोत हैं और पोटेशियम उच्च रक्तचाप को कम करने के कार्य करता है। यह रक्त वाहिकाओं पर तनाव को कम करके उन्हें हल्का करता है जिस कारण रक्तचाप कम हो जाता है। पोटेशियम हमारे शरीर में पानी के संतुलन के साथ-साथ एसिड-बेस बैलेंस को भी नियंत्रित करता है।

इसका सेवन कैसे करें?

सौंफ को कच्चा खाया जा सकता है या इसे मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां तक कि सौंफ के तेल का उपयोग शोरबा सहित खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंटों के रूप में किया जाता है। सलाद में सौंफ के बल्ब भी डाले जा सकते हैं।

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