1984 सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की पुन: जांच
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आज कहा कि एसआईटी द्वारा बंद किये गये 186 मामलों की जांच फिर से होगी। शीर्ष अदालत का यह फैसला उसके द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश के बाद आया है। समिति ने दंगों से जुड़े 241 बंद मामलों में से 186 को फिर से खोलने और इसकी पुन: जांच कराये जाने की सिफारिश की है।
समाचार स॰ | Updated on:10 Jan 2018 7:23 PM IST
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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आज कहा कि एसआईटी द्वारा बंद किये गये 186 मामलों की जांच फिर से होगी। शीर्ष अदालत का यह फैसला उसके द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश के बाद आया है। समिति ने दंगों से जुड़े 241 बंद मामलों में से 186 को फिर से खोलने और इसकी पुन: जांच कराये जाने की सिफारिश की है।
नयी दिल्ली (एजेंसी) : उच्चतम न्यायालय ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों से जुड़े 186 मामलों की फिर से जांच कराने और इसके लिए नये सिरे से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आज कहा कि एसआईटी द्वारा बंद किये गये 186 मामलों की जांच फिर से होगी।
शीर्ष अदालत का यह फैसला उसके द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश के बाद आया है। समिति ने दंगों से जुड़े 241 बंद मामलों में से 186 को फिर से खोलने और इसकी पुन: जांच कराये जाने की सिफारिश की है।
इस समिति में पिछले साल उच्चतम न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों -न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एम पांचाल- को शामिल किया गया था, जिन्हें मामला बंद किये जाने के औचित्य की जांच करनी थी।
न्यायालय ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि मामलों की पुन: जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक नयी समिति गठित की जायेगी, जिनके नामों की घोषणा कल होगी। हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रस्तावित समिति में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) का एक सेवानिवृत्त अधिकारी और एक कार्यरत अधिकारी शामिल किया जायेगा। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्ति के समय पुलिस उपमहानिरीक्षक से नीचे के पद पर नहीं होना चाहिए।
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख-विरोधी दंगों में दिल्ली में 2,733 लोग मारे गए थे।