दिल्ली में केजरीवाल सरकार के सामने बड़ी चुनौतियाँ
दिल्ली सरकार के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की रही।
samachar 24x7 | Updated on:27 Dec 2017 9:52 PM IST
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दिल्ली सरकार के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की रही।
दिल्ली में आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच पिछले साल के मुकाबले इस साल कम टकराव देखा गया लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार को प्रदूषण, अधूरे चुनावी वादों और भ्रष्टाचार के आरोप जैसे मुद्दों से दो-चार होना पड़ा। पिछले साल 31 दिसंबर को राज निवास का प्रभार संभालने के बाद अनिल बैजल ने नए न्यूनतम वेतन और शिक्षा ऋण योजना जैसे आम आदमी पार्टी की सरकार के कई अहम फैसलों को मंजूरी दी।
बैजल के पूववर्ती नजीब जंग और आप सरकार के बीच नौकरशाही पर प्रशासनिक नियंत्रण समेत कई मामलों को लेकर टकराव होता रहता था।
बहरहाल, अक्तूबर में कई मौकों पर उपराज्यपाल और केजरीवाल के बीच तकरार देखने को मिली। केजरीवाल ने करीब 17,000 अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के सरकार के फैसलों को मंजूरी देने में बैजल की ओर से की जा रही देरी पर कहा था कि ''वह निर्वाचित मुख्यमंत्री है ना कि आतंकवादी।'' फरवरी 2015 में आप सरकार बनने के बाद से केजरीवाल ने कई मोर्चो पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। लेकिन पंजाब, गोवा और नगर निकाय चुनावों में झटका खाने के बाद पार्टी ने अपना रुख बदल दिया।
राष्ट्रीय राजधानी में मई में उस समय राजनीतिक तूफान आ गया था जब केजरीवाल ने ''खराब जल प्रबंधन'' के आरोप पर जल मंत्री कपिल मिश्रा को बर्खास्त कर दिया था। मंत्रिमंडल से निकाले जाने के बाद मिश्रा ने केजरीवाल पर लगातार शब्द बाण चलाए और उन पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपये नकद लेने के आरोप लगाए।
मिश्रा को निकाले जाने के बाद केजरीवाल ने मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए दो नए चेहरे कैलाश गहलोत और राजेंद्र पाल गौतम को शामिल किया।
आप सरकार फरवरी में सत्ता में तीन साल पूरे कर लेगी लेकिन उसने चुनाव पूर्व किए गए कई वादे अभी तक पूरे नहीं किए हैं। इनमें पूरी राष्ट्रीय राजधानी में वाई-फाई सुविधा देना और सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा शामिल है। दिल्ली सरकार के अनुसार, वह ये सभी वादे पूरे करने की प्रक्रिया में है।
दिल्ली सरकार के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की रही। वर्ष 2017 में कई मौको पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने प्रदूषण के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लिया।
आप सरकार ने अपने गठन के बाद से अब तक स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र को सबसे ज्यादा अहमियत दी है। इस संबंध में उसने कई योजनाएं शुरू की।
मार्च में केजरीवाल सरकार ने अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन 37 फीसदी तक बढ़ा दिया। अकुशल कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन 13,350 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया। पहले यह 9,724 रुपये प्रति माह था।
अर्द्धकुशल और कुशल कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन क्रमश: 14,698 रुपये और 16,182 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया।
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