लाभ के पद के मामले में अयोग्य ठहराये गये आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने उच्च न्यायालय में इसे चुनौती देते हुए आज नयी याचिका दायर की
विधायकों ने इस मामले को लेकर न्यायालय में पहले दायर एक याचिका कल वापस ले ली थी। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं दिया।
विधायकाें की ओर से न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट और एके चावला की पीठ के समक्ष पेश हुए वकील मनीष वशिष्ठ ने न्यायालय से मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर तत्काल सुनवाई की अपील की जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया और सुनवाई के लिए कल की तारीख निर्धारित की।
दिल्ली में आप की सरकार बनने के कुछ समय बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 के बीच अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त कर दिया था। सरकार के इस फैसले को प्रशांत पटेल नाम के वकील ने चुनौती दी थी। मामला सामने आने के बाद सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर संसदीय सचिवों की नियुक्ति को उनकी नियुक्ति की तिथि से मंजूरी देने के लिए पास किया था। इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति ने मंजूरी देने की बजाय इसे चुनाव आयोग को भेज दिया था। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के पास विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। रविवार को राष्ट्रपति ने आयोग की सिफारिश को मंजूरी दे दी जिसके बाद विधि मंत्रालय ने 21 जनवरी को इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी थी।