अरविंद से उठा कुमार का विश्वास
कुमार विश्वास ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी वैकल्पिक राजनीति करने में विफल साबित हुयी है
samachar 24x7 | Updated on:22 Dec 2017 10:05 PM IST
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कुमार विश्वास ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी वैकल्पिक राजनीति करने में विफल साबित हुयी है
उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में कवि सम्मेलन के लिए आये जाने माने कवि और आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में से एक कुमार विश्वास ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी वैकल्पिक राजनीति करने में विफल साबित हुयी है।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में " राष्ट्रीय पुस्तक मेले" के दौरान आयोजित कवि सम्मेलन से इतर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए साफ तौर पर कहा कि 'आप' वैकल्पिक राजनीति करने में विफल रही है। गुजरात के उदाहरण से यह साफ है पार्टी उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को वहां अकेला छोड दिया गया, आप का नेतृत्व गुजरात गया ही नहीं।
पार्टी का संस्थापक सदस्य होने के बाद भी आजकल राजस्थान प्रभारी बनाकर राजनीतिक हाशिये पर पहुंचाये गये कुमार विश्वास ने कहा कि अभी तक पता नहीं कि राजस्थान में भी पार्टी लडेगी या कार्यकर्ताओं को गुजरात की तरह ही अकेले छोड दिया जायेगा। इसके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बात किया जाना जरूरी है।
कुमार विश्वास ने कहा " देश ने आप को विपक्ष की राजनीति नहीं बल्कि वैकल्पिक राजनीति करने के लिए चुना था। हम कांग्रेस की आलोचना करते थे कि इस पार्टी में चार आदमी बैठकर सभी फैसले कर लेते हैं और आज हम (आप) भी वहीं कर रहे हैं। "
इस बीच इशारों इशारों ने उन्होंने अलग पार्टी बनाने या अन्य किसी दल में शामिल होने के संकेत भी दिये। उन्होंने कहा कि स्वराज और राजनीतिक पारदर्शिता की बात दोबारा करनी होगी। हम (आप) राजनीति को बदलने आये थे इसलिए पुराने साथियों को फिर साथ लाना होगा।
अक्सर कांग्रेस की मुखर आलोचना करने वाले कुमार विश्वास पाला बदलते हुए राहुल गांधी की गुजरात में की गयी मेहनत की दाद देते नजर आये। उन्होंने कहा कि गुजरात में राहुल गांधी ने हार्दिक और जिग्नेश के साथ मिलकर जबरदस्त मेहनत की और इसीलिए युवा उनके साथ आये । राहुल ने जनता का मन और आशाएं दोनों जीतीं। राहुल अगर और मेहनत करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सफलता मिलेगी।
इस तरह कुमार विश्वास ने आप से मोह भंग होने और कांग्रेस या आंदोलन के पुराने साथियों के साथ मिलकर नयी राजनीतिक जमीन तलाशने की अपनी कोशिशों को इशारों इशारों में ही सही लेकिन साफ कर दिया।