वेद प्रकाश शर्मा - हिन्दी उपन्यास की दुनिया के एक "कालजयी लेखक"

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वेद प्रकाश शर्मा !! (10 June 1955 – 17 February 2017)

याद हैं आपको ..?

कल से उन्हें रंग रंगीली दुनियाँ से गये हुये तीन साल हो गये .

जी हाँ ! वही वेद प्रकाश शर्मा जिन्होंने बताया कि लिख कर भी पेट औऱ पॉकिट दोनो भरे जा सकते हैं।

वही वेद प्रकाश शर्मा : जिसने साहित्य को बस स्टैंड और गद्दे के नीचे तक पहुंचा दिया।

"वेद प्रकाश शर्मा नहीं रहे " इस खबर के बाद, " उनका जाना हिंदी साहित्य के लिए भारी क्षति है "जैसी लाइन कहीं इस्तेमाल नहीं की गयी।

वेद प्रकाश शर्मा पल्प लिखने वाले लेखक थे पल्प मतलब लुगदी कागज पर छपा साहित्य, बचपन में 'बालहंस' और गंभीर होने के बाद 'हंस' पढ़ने के बीच हम सब चोरी छिपे इन लुग्दियों को पढ़ते रहे हैं...

शायद हम सब के साथ ऐसा हुआ हो कि लुग्दी के नशे में डूबे रहने वाले हमारे चाचा, बड़े भाई हमें सलाह देते हों कि तुम ये सब किताबें मत पढ़ा करो ये किताबें पढोगे तो आवारा हो जाओगे..

सुरेंद्र मोहन पाठक के हार्पर कॉलिंस से छप कर पल्प से उठकर पॉपुलर की श्रेणी में चले जाने के बीच शर्मा अपनी जगह पर रहे, 'वर्दी वाला गुंडा' के 8 करोड़ कॉपी बिकने के रिकॉर्ड के साथ, आलोचक उनको खारिज करते रहे... तमाम लिट फेस्ट में पॉपुलर और साहित्य की बहस के बीच 'वर्दी वाला गुंडा' और 'दहेज में रिवॉल्वर' का नाम लिख कर बहस होती रहीं मगर, शर्मा जी इन सबसे दूर रहे, या कहें कि उन्हें दूर रखा गया... दिल्ली से मेरठ की दूरी शर्मा जी के मामले में तो इतनी ज़्य़ादा हो गई जितनी 1857 के गदर के समय में बागी सिपाहियों के लिए भी नहीं रही होगी...

आज भी जब वेद प्रकाश शर्मा की बात होती है तो हवाला दिया जा रहा है कि "आमिर खान उनसे मिले थे आमिर ने उनसे स्क्रिप्ट डिस्कस की थी"। आमिर खान की सिनेमाई समझ को सलाम करते हुए मुझे पूछना है सबसे...

177 उपन्यास लिखने वाले का परिचय एक फिल्म स्टार से मिलना क्यों लिखा जाए?

शर्मा जी ने इंटरनेशनल खिलाड़ी' और 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' ,जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी ये कहना बहुत ही क्लीशेड होगा मगर, सच है कि अगर वो इंजीनियरिंग कॉलेज से आकर ये सब करते तो सुपर स्टार होते...

सिर्फ इतना ही क्यों आपको एक किताब (वर्दी वाला गुंडा) का 8 करोड़ बिकना अतिश्योक्ति लगता हो तो इसका सिर्फ एक प्रतिशत ले लीजिए 8 लाख, हिंदी साहित्य में आज जितनी भी नई किताबें ज़्यादा बिकने वाली श्रेणीं में आती हों सबकी बिक्री का टोटल इस आंकड़े के उन्नीस ही बैठेगा...

वेद प्रकाश शर्मा को पहले मान्यता न देना और हिंदी के रिवाइव होने के दौर में उनका खारिज करना, हिंदी पट्टी के उस साहित्यिक सामंतवाद की निशानी है जिसमें किसी न किसी रूप में एलीट होना ही अंतिम लक्ष्य है क्या तर्क देंगे आप?

अगर आलोचकों के खारिज करने के कारण वेद प्रकाश शर्मा को कहीं गिना नहीं जाता है, तो नामवर सिंह ने तो फणीश्वर नाथ रेणु और मैला आंचल को भी खारिज किया था, (जैसे साहित्य के मठाधीशों ने छपने से पहले ही साहित्य के अंतिम बिंदू पर खड़ी कानपुर की घातक कथाएँ को खारिज कर दिया) आज कोर्स में मैरीगंज गांव के किस्से पढ़ाते समय क्या नामवर जी के मानस शिष्य इसे आलोचकों द्वारा खारिज उपन्यास बताते हैं...

'सुरेंद्र मोहन पाठक' की दीवानगी, उनके फैन क्लब के कारण उन्हें लिट फेस्ट और तमाम आयोजनों में बुलाया जा रहा है या उनके बड़े प्रकाशक के चलते ये संभव हुआ है... याद रखिए तमाम नई हिंदी वाले लेखक (सभी प्रकाशनों के मिलाकर) भी इसलिए कौतुहल का विषय हैं कि वो IIT, IIM से पढ़कर, लंदन में रहकर हिंदी में लिखते हैं...

खुशवंत सिंह के किस्सों और काशी का अस्सी (जिसमें भोले नाथ के साथ भो** के की बात होती है) को पढ़ते हुए 'वर्दी वाला गुंडा' को एक असाहित्यिक और भौंडा साहित्य टाइटल घोषित करने के बीच *वेद प्रकाश शर्मा* का हमारे बीच से जाना बस एक 'खबर' भर थी, उन्होंने क्या लिखा और कैसा लिखा इस पर बात करने, रिव्यू करने की क्षमता हमारे पास नहीं है मगर हम शर्मा जी के लेखक बनने का किस्सा सुना सकते हैं...

शर्मा जी के लेखक बनने की कहानी रोचक है, वे ओम प्रकाश शर्मा, गुलशन नंदा, इब्ने सफी, सबको पढ़ते थे, लेकिन पसंद वेद प्रकाश कांबोज को करते थे, शर्मा कांबोज को गुरु मानते थे कांबोज के दो अहम किरदार थे विजय और रघुनाथ कांबोज को पढ़कर उन्हें हमेशा लगता था कि वे इससे बेहतर लिख सकते हैं...

1972 में हाइस्कूल का पेपर देने के बाद गर्मी की छुट्टियों में उन्हें पैतृक गांव बिहरा भेज दिया गया वे अपने साथ कोई एक दर्जन उपन्यास ले गए थे वहां उनका न कोई दोस्त था, न कोई फ्रेंड सर्कल उन्होंने लिखना शुरू किया और लिखते-लिखते एक कॉपी, दो कॉपी, कई कॉपी भर गईं. मेरठ पहुंचने पर यह बात उनके पिता को मालूम हुई वे शाम को घर आए और उन पर लट्ठ बजाना शुरू कर दिया कहा, ''अब तक तो पढ़ै था, अब इसनै लिख दिया इसनै तो उपन्यास लिख दिया यह लड़का तो बिगड़ गया''

पिटाई के बाद पिता ने बोला, ''क्या लिखा है, तैने मुझै लाके दे'' किशोर वेद प्रकाश ने कॉपियां उन्हें लाकर दे दीं...

पिता ने सुबह कहा, ''बहोत अच्छा लिखा है तैने, यह दिमाग में कहां से आ गई?'' पिता स्क्रिप्ट लेकर प्रेस में कंपोजिंग सिखाने ले गए, वहां मानो उनकी किस्मत उनका इंतजार कर रही थी... वहां *लक्ष्मी प्रेस* के मालिक *जंग बहादुर* बैठे थे बहादुर ने कुछ पन्ने पढ़े और इसके बाद क्या हुआ ये दुनिया जानती है...

हां ये ज़रूर हो सकता है कि कल कोई सुपर स्टार वेद प्रकाश शर्मा के लिए ट्वीट-श्वीट कर ले, अंग्रेज़ी का कोई प्रकाशन 'बेस्ट ऑफ शर्मा' के नाम से एक हार्ड बाउंड बुक सेट निकाल दे और हम सब अपने-अपने बुक शेल्व में उसे जगह दे दें...

बाकी कभी कभी लगता है साहित्य का तामशा तब तक यूँ ही चलता रहेगा जब तक कोई वेद प्रकाश शर्मा वर्दी कलम वाला गुंडा नहीं बन जायेगा।

Ved Prakash Sharma's Novels list

1. दहकते शहर

2. आग के बेटे

3. खूनी छलावा

4. छलावा और शैतान

5. विकाश और मैंकाबर

6. विकास मैंकाबर के देश में

7. मैंकाबर का अंत

8. प्रलयकारी विकास

9. एक मुठ्ठी दर्द

10. अपराधी विकास

11. मंगल सम्राट विकास

12. विनाश दूत विकास

13. विकास की वापसी

14. विजय और विकास

15. महाबली टुम्बकटू

16. विकास दी ग्रेट

17. पहली क्रांति

18. दूसरी क्रांति

19. तीसरी क्रांति

20. क्रांति का देवता

21. हीरों का बादशाह

22. पाकिस्तान का बदला

23. प्रिंसेस जैक्सन का देश

24. सी.आई.ए. का आतंक

25. रहस्य के बीच

26. आयरन मैन

27. सिंगही और मर्डर लैंड

28. बदसूरत

29. सुमन

30. अर्थी मेरे प्यार की

31. राखी और सिन्दूर

32. आलपिन का खिलाडी

33. सफ़ेद चूहा

34. दौलत पर टपका खून

35. कोबरा का दुश्मन

36. इंकलाब का पुजारी

37. सबसे बड़ा जासूस

38. चीते का दुश्मन

39. विश्व विजेता

40. तीन तिलंगे

41. आग लगे दौलत को

42. शहीदो की चिता

43. खून की धरती

44. तिरंगा झुके नहीं

45. वतन की कसम

46. खून दो आजादी लो

47. बिच्छू

48. लाश कहाँ छुपाऊ

49. कानून मेरे पीछे

50. जजमेंट

51. दौलत है ईमान मेरा

52. आ बैल मुझे मार

53. देवकांता संतति भाग-१

54. देवकांता संतति भाग-२

55. देवकांता संतति भाग-3

56. देवकांता संतति भाग-4

57. देवकांता संतति भाग-5

58. देवकांता संतति भाग-6

59. देवकांता संतति भाग-7

60. देवकांता संतति भाग-8

61. देवकांता संतति भाग-9

62. देवकांता संतति भाग-10

63. देवकांता संतति भाग-11

64. देवकांता संतति भाग-12

65. देवकांता संतति भाग-13

66. देवकांता संतति भाग-14

67. वतन

68. गुलिश्तां खिल उठा

69. हिन्द का बेटा

70. देश न जल जाये

71. कानून बदल डालो

72. फ़ासी दो कानून को

73. जला हुआ वतन

74. चीख उठा हिमालय

75. धरती बानी दुल्हन

76. विश्व युद्ध की आग

77. चकमा

78. रूक गयी धरती

79. कर्फ्यू

80. शेर के बच्चे

81. खून ने रंग बदला

82. हत्यारा कौन

83. माटी मेरे देश की

84. मत रो माँ

85. लाखों हैं लाल मेरे

86. गैंडा

87. क़त्ल ए आम

88. हिंसक

89. दरिंदा

90. एक कब्र सरहद पर

91. जय हिन्द

92. रणभूमि

93. वन्दे मातरम

94. गन का फैसला

95. एक और अभिमन्यु

96. सारे जहां से ऊँचा

97. सभी दीवाने दौलत के

98. इंकलाब जिंदाबाद

99. दूध ना बख्शूंगी

100. धर्मयुद्ध

101. बहू मांगे इन्साफ

102. साढ़े तीन घंटे

103. अलफांसे की शादी

104. कफ़न तेरे बेटे का

105. विधवा का पति

106. हत्या एक सुहागन की

107. कैदी न. १००

108. इंसाफ का सूरज

109. दुल्हन मांगे दहेज़

110. सुलग उठा सिन्दूर

111. मेरे बच्चे मेरा घर

112. आज का रावण

113. नसीब मेरा दुशमन

114. औरत एक पहेली

115. कानून का पंडित

116. शीशे की अयोध्या

117. केशव पंडित

118. कानून का बेटा

119. बीवी का नशा

120. मांग में अंगारे

121. विजय और केशव पंडित

122. कोंख का मोती

123. सबसे बड़ी साजिश

124. साजन की साजिश

125. भगवान नंबर दो

126. सुहाग से बड़ा

127. चक्रव्यहू

128. जुर्म की माँ

129. कुबड़ा

130. दहेज़ में रिवाल्वर

131. जादू भरा जाल

132. वर्दी वाला गुंडा

133. जिगर का टुकड़ा

134. लल्लू

135. रैना कहे पुकार के

136. भस्मासुर

137. मेरा बेटा सबका बाप

138. पागल

139. मि. चैलेंज

140. वो साल खद्दरवाला

141. कातिल होतो ऐसा

142. मदारी

143. शाकाहारी खंजर

144. फंस गया अलफांसे

145. पंगा

146. कारीगर

147. ट्रिक

148. कठपुतली

149. एक थप्पड़ हिंदुस्तानी

150. पाक-साफ़

151. गूंगा

152. डमरूवाला

153. असली खिलाडी

154. शिखंडी

155. रामबाण

156. दूर की कौड़ी

157. काला अंग्रेज

158. फिरंगी

159. खलीफा

160. शंखनाद

161. क्यूंकि वो बीवियां बदलते थे

162. वेदमंत्र

163. अंगारा

164. शेखचिल्ली

165. हत्यारा मंगलसूत्र

166. केशव पंडित की वापसी

167. विजय के सात फेरे

168. नौकरी डाट कॉम

169. खेल गया खेल

170. सुपरस्टार

171. पैंतरा

172. कश्मीर का बेटा

173. चलते पुर्जे

174. डायन

175. डायन -2

176. सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री

177. अपने कत्ल की सुपारी

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नोट : इस लेख का श्रेय इसके लेखक को जाता है लेकिन हमारे पास लेखक का नाम नहीं है अगर किसी पाठक के पास हो या मूल लेखके इसे पढ़ें तो वो हमें सूचित कर सकता/सकते हैं। ज्ञात होने पर लेखक का नाम लेख में दे दिया जाएगा ।

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