कुछ लोगों के लिए "सड़क पर कांवड़िए" मात्र एक भीड़ है ?
कोई धर्म विरुद्ध आचरण करने पर गले पर तलवार रखी होने का या फिर किसी एक किताब में लिखी बातों को ही सर्वोपरि मानने का या एक आर्गनाइज्ड रिलिजन का डर रहा नही कभी, तभी तो मॉडर्न सेक्युलरों, cool dude/cool dudeniyo को हमारी सारी मान्यताएँ बकवास ही लगीं और लगती भी हैं ।
कोई धर्म विरुद्ध आचरण करने पर गले पर तलवार रखी होने का या फिर किसी एक किताब में लिखी बातों को ही सर्वोपरि मानने का या एक आर्गनाइज्ड रिलिजन का डर रहा नही कभी, तभी तो मॉडर्न सेक्युलरों, cool dude/cool dudeniyo को हमारी सारी मान्यताएँ बकवास ही लगीं और लगती भी हैं ।
हमारे लिये वो भीड़ हैं, ट्रैफिक जाम करने वाली भीड़ ।
हमारे लिये ये लोग वो हैं ज़िनके पास कोई काम नहीं है और है फालतू का समय, जो हमारे जैसों के पास तो बिलकुल भी नहीं हैं ।
नंगे पाँव मीलों, पानी, जी हाँ केवल पानी ही कंधों पर उठाए, उमस भरी गर्मी में धुन का सफर तय करते ये वो लोग हैं ज़िन्हे देख हम अपनी गाड़ियों के शीशे चढ़ा, अनदेखा करने की कोशिश करने लगते हैं ।
ये कोई नई बात नहीं है, हमने शुरु से अनदेखा ही किेया है, अपनी आस्था और उससे जुड़े हर क्रिया का, हरेक प्रतीक का । एक अपराधबोध के साथ धर्म को देखा है या फिर एक शर्म महसूस किया है, धर्म, पूजा, भजन, आरती सब में, शायद इस डर से कि फिर मॉडर्न, प्रोग्रेसिव नहीं रह जायेंगे हम ।
कोई धर्म विरुद्ध आचरण करने पर गले पर तलवार रखी होने का या फिर किसी एक किताब में लिखी बातों को ही सर्वोपरि मानने का या एक आर्गनाइज्ड रिलिजन का डर रहा नही कभी, तभी तो मॉडर्न सेक्युलरों, cool dude/cool dudeniyo को हमारी सारी मान्यताएँ बकवास ही लगीं और लगती भी हैं ।
सच है, मीलों काँवड़ उठाये ये यात्री भी खुद को कुछ नहीं मानते, वो प्रबुद्ध तो बिलकुल भी नहीं मानते खुद को, ना ही कुछ होने का कोई गुमान है ।
प्रकृति का हो कर, प्रकृति में विलीन होने की प्रक्रिया को मूर्त रूप देते ये साधारण लोग ये संदेश तो दे ही देते हैं कि कुछ क्रियायें जिनका कोई output नहीं दिखता, कोई productivity नहीं, कोई फायदा नहीं, वो भी बाकी कई चीजों से ज़्यादा महत्व रख सकती हैं ।
अध्यात्म न जाने कितनी ही बातों को महत्वहीन बना सकता है, स्वार्थ और निजता ज़िसमें प्रमुख है ।
मंदिरों में लाखों की संख्या में लोग बहुत सुबह से ही पंक्तिबद्ध हो जाते हैं, जलाभिषेक करने को, शिवरात्रि के दिन। पर किसी राज्य सरकार ने यह नहीं देखा कि श्रद्धालुओं को इस दिन का अवकाश भी चाहिए होगा।
शिवभक्त सरकार को महाशिवरात्रि की अग्रिम शुभकामनाएं !