कैसा जश्न? कैसी स्वतंत्रता? 15 अगस्त 1947!

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असली जायज़ जश्न होता है 14 अगस्त को पाकिस्तान में। हाँ, उन्होंने पाकिस्तान को भारत से छीना था, 14 अगस्त 1947 को। सामूहिक भारत की कुल 20 % आवादी ने भारत का 35 से 40 प्रतिशत हिस्सा भारत से छीन लिया था..उनके पास जिन्ना था। हमारे पास हिजड़े थे...

50 लाख सनातन हत्याएं हुईं (नरेंद्र कोहली के शब्दों में) लाखों घर जले, महीनों हिन्दू लाशें सड़ती रहीं, चील कौवे और कुत्ते सड़ी और कीड़ों से बजबजाती हिन्दू लाशें झिंझोड़ते रहें। हज़ारों हिन्दू बेटियों को नए बने पाकिस्तान में चौराहों पर 50-50/- रु में बेंचा गया, हज़ारों हिन्दू अबलायें रंडीखानों में पटक दी गईं। दुधमूहों को तलवारों से काटा गया, भालों पर लटकाया गया। मन्दिरों, गुरद्वारों, घरों में हिन्दू-सिक्खों को बंद कर आगें लगा दी गईं। कुएं, तालाब हिन्दू-सिख लाशों से ऊपर तक भरे पड़े थे।

यह था असली 15 अगस्त 1947 मनाओ इन लाशों पर जश्न ए आज़ादी। कहते हैं दिल्ली में 15 से 21 अगस्त 1947 तक लगातार 7 दिन तक जश्न ए अय्याशी चला था। पूरे देश के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देने दिल्ली पहुचे थे 15 अगस्त 1947 को।

आज भी मेरी नई पीढ़ी को यह अहसास नहीं है हमने क्या खोया था 1947 में? गिलगित बाल्टिस्तान,स्कार्दू की नदियों की रेत से सोना आज भी इकट्ठा किया जाता है जो उस वक्त मनसबदारी में वहां के अमीर, कश्मीर के राजा को दिया करते थे। स्वात, श्रीनगर घाटी से कहीं सुंदर चित्राल-नीलम घाटी, नीलम नदी और उस क्षेत्र में मीठे पानी की बड़ी-छोटी दर्जनों अनुपम नदियां और सेबों की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद हम से छीन ली गईं! भारत का असली मुकुट हिमालय की चोटी गॉडविन आस्टिन अर्थात K-2 हमारी न रही, पाकिस्तान की हो गईं।

लाहौर व्यापार का केंद्र, खूबसूरत और उस समय मुम्बई से भी ज़्यादा आधुनिक शहर जिसे श्रीराम जी के पुत्र लव ने बसाया था, बलूचिस्तान बहुमूल्य खनिजों का स्रोत जहाँ आज भी हैं हज़ारों किलोमीटर की तट रेखा और कराची विश्व की सबसे उपजाऊ जमीन और माँ गंगा को भी हम पूर्वी पाकिस्तान में गवाँ बैठे। चटगांव, कॉक्स बाजार और ढाकेश्वरी मां के मंदिर वाला ढाका हम से छीन लिया गया।

मनाओं 15 अगस्त अर्थात स्वतंत्रता दिवस

हां, कुछ और भी मिला था 15 अगस्त 1947 को हमको लाखों विधवा और सधवा हमारी मां, बेटियां जो अपने पति,पिता, संतानें और सब कुछ लुटा कर पाकिस्तान से भारत शरणार्थियों के रूप में आयीं थीं हज़ारों के कोख में जेहादी गुंडों और बलात्कारियों की अनचाही बर्बर बलात्कार की निशानियां भी थीं।

मनाओं 15 अगस्त!

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