क्या छठें चरण के बाद ही भाजपा ने पार कर लिया बहुमत का आंकड़ा ?

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क्या छठें चरण के बाद ही भाजपा ने पार कर लिया बहुमत का आंकड़ा ?
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क्या छठें चरण के बाद ही भाजपा ने पार कर लिया बहुमत का आंकड़ा ?

क्रेन रूस युद्ध की ख़बरों के बीच सारा ध्यान उसी पर होने के कारण मैं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बाद अपना चुनावी आंकलन प्रस्तुत नहीं कर पा रहा था जिसकी अपेक्षा कई सम्मानित साथियों को थी। अतः आज मैं चौथे से छठवें तक का अनुमान आप सभी से साझा कर रहा हूं।

छठें चरण के मतदान के बाद बड़ी खबर ये नहीं है कि भाजपा बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है या नहीं, अपितु ये है कि फाजिल नगर की जनता ने बड़बोले 'स्वामी प्रसाद मौर्य' को नाकाबिल बना दिया है तो दूसरी तरफ 'रघुराज प्रताप सिंह "राजा भैया", कुण्डा मे अखिलेश यादव के कुण्डी लगाने के इरादे के उलट उन्हें उनके ही पिता मुलायम सिंह के धोबीपाट दांव से पटखनी देने मे कामयाब हो रहे हैं।

प्रथम तीन चरणों के मतदान के बाद भाजपा 124-138 अनुमानित सीटों के साथ दौड़ मे सबसे आगे बनी हुयी थी।

चौथे चरण मे किसान आंदोलन के समय सर्वाधिक चर्चा मे आए किसान बाहुल्य लखीमपुर खीरी तथा मंत्री और मुख्यमंत्री पद को खानदानी विरासत समझने वाले 'वरुण गांधी' के संसदीय क्षेत्र पीलीभीत मे भी चुनाव हुए।

ये देखना दिलचस्प होगा कि वहाँ के मतदाताओं का क्या रुख होगा जो एक तरह से न केवल किसान आंदोलन के मुद्दों और वरुण गांधी के मंत्री न बनाए जाने से उनकी नाराजगी पर जनमत संग्रह होगा।

मेरी जानकारी के मुताबिक किसान आन्दोलन के बीच लखीमपुर मे जो उपद्रव हुआ उसमें शामिल हुये लगभग सभी बाहरी थे और जो दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से घटना के शिकार हुए (जीप ड्राइवर और एक पत्रकार के अतिरिक्त) वो सभी भी स्थानीय नहीं थे, जिसकी वज़ह से वहाँ के मतदाताओं पर इसका शायद ही कोई विशेष प्रभाव पड़ा हो।

लखीमपुर की कुल आठ सीटों मे से भाजपा को 6 से 7 सीट मिल सकती है और समाजवादी गठबंधन को 1 से दो सीट मिलने जा रही हैं।

उधर पीलीभीत मे भी वरुण गांधी के भाजपा विरोधी बयानों के वावजूद 4 मे से 3 विधानसभा सीटों पर सफलता मिलने का अनुमान है।

चौथे दौर के 59 सीटों मे सपा गठबंधन को 18 से 20 सीटें मिल सकती हैं जबकि बसपा भी 4 से 6 सीटों पर काबिज हो सकती है जबकि काँग्रेस शून्य से 1 तक ही रहने वाली है। इस दौर के चुनावों मे भी भाजपा 33 से 36 सीटों के साथ बढ़त बनाये हुए दिख रही है।

पांचवे दौर मे कुल 61 विधानसभा सीटों के लिए बहराइच, श्रावस्ती सुल्तानपुर, बाराबंकी, गोंडा, प्रयागराज, प्रतापगढ़, अमेठी, कौशांबी, अयोध्या, चित्रकूट और रायबरेली जिलों मे मतदान हुआ और यही वो दौर है जहाँ से भाजपा पिछले 4 दौर के चुनावों में हुए नुकसान की भरपाई करती दिख रही है।

कुल 61 सीटों मे से भाजपा 44 से 48 सीटों पर अपना परचम फहराने जा रही है। जबकि समाजवादी गठबंधन 8 से 10 सीटों पर ही सीमित रहने वाली है, उधर बसपा और काँग्रेस का दयनीय प्रदर्शन इस दौर मे भी जारी रहेगा जिन्हें क्रमश: 3 और शून्य से 1 सीट पर ही संतोष करना पड़ेगा।

जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि तीसरे दौर के मतदान के बाद जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा साईकिल रेस से बाहर होती जाएगी और यही बात छठवें दौर के मतदान के बाद सच होते हुए दिख रही है।

छठें दौर की कुल 57 सीटों पर जहां काँग्रेस निल बटा सन्नाटे की तरफ बढ़ रही है वहीँ बसपा के साथ सपा का प्रदर्शन भी दयनीय रहने वाला है जिन्हें क्रमश: 3 से 4 और 8 से 10 सीटें ही मिलती दिख रही हैं। पिछले दोनों दौर मे मतदान प्रतिशत पिछली बार की तुलना मे आंशिक तौर पर कम हुआ है जिसका अर्थ ये है कि सत्ता विरोधी लहर बिल्कुल भी नहीं है और भाजपा 43-46 सीटों पर सफल होती दिख रही है।

इस तरह से अबतक 6 दौर के 349 सीटों पर मतदान के बाद अखिलेश के नेतृत्व वाले गठबंधन को जनता ने पूरी तरह नकारा दिया है और अभी तक उन्हें 100 सीटों पर भी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही जबकि बसपा 12-16 और कांग्रेस को 5 सीट भी नसीब होना सम्भव नहीं दिख रहा।

छ: चरणों के चुनाव के खत्म होने बाद भाजपा 232 से 246 के साथ बहुमत का आंकड़ा आराम से पार कर चुकी है।

मेरा बहुत कंजरवेटिव अनुमान है कि भाजपा यूपी विधान सभा मे 270+ सीटें हासिल करने मे कामयाब होगी किन्तु ये आंकड़ा अगर फिर एक बार 300 के पार हो जाए तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।

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