लोकतन्त्र के आतंकी लुटेरे : जलता अमेरिका असर भारत तक
ये सब पागलपन ये केवल "लोकतंत्र" के नाम पर करते हैं क्योंकि लोकतंत्र एक ऐसा शब्द है जिसके तले आप Antifa भी बन सकते हैं, सिमी भी
ये सब पागलपन ये केवल "लोकतंत्र" के नाम पर करते हैं क्योंकि लोकतंत्र एक ऐसा शब्द है जिसके तले आप Antifa भी बन सकते हैं, सिमी भी
समझना बहुत कठिन नही है कि ये सब क्या हो रहा क्यों हो रहा, सबकुछ आज के जमाने मे उपलब्ध है, इंटरनेट और किताबों में सारे रहस्य छुपे हैं, खैर अब तो रहस्य, रहस्य भी नही रह गए जब से सोशल मीडिया का ऐसा प्रभावशाली दौर आया है।
क्रान्ति क्या होती है? आज जो गली गली में क्रांतिकारी पैदा हो रहा दरअसल इनका हिडेन मोटिव क्या है, मैं आज सब पर्दा गिराउंगा।
क्रांति की परिभाषा क्या है ?
क्रांति तीव्र भी हो सकती है और धीरे-धीरे भी, क्रांति हिंसात्मक भी होती है और शांतिपूर्ण भी, यहाँ एक बात जो सबसे जरूरी है समझना, क्रांति का मतलब सत्ता परिवर्तन नही होता बल्कि व्यवस्था परिवर्तन होता है ।
क्रांति के नाम पर सत्ता परिवर्तन की लालच लिए आज सैकड़ो संगठन लोगों को बरगलाते हैं, उनका इस्तेमाल करते हैं।
आज जो अमेरिका जल रहा है थोड़ा सा इसके इतिहास में चलते हैं -
सब जानते हैं अमेरिका ब्रिटेन का उपनिवेश था, अमेरिका के लोगों मे जो मूलतः ब्रिटिश मूल के ही थे अपने मातृभूमि के प्रति प्यार और स्वतंत्रता की भावना लिए हुए संघर्ष को तैयार हुए, ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया, अमेरिकन लोग भी अपने अधिकारों के प्रति सजग हुए, ब्रिटेन की वही खून चुसाउ नीति इसका कारण बनी
ख़ैर लंबे संघर्ष के बाद स्वतंत्र हुआ, और उसी के बाद वहाँ गृह युद्ध आरम्भ हो गया, गृह युद्ध का प्रमुख कारण दास प्रथा थी
अमेरिका दो भागों में विभक्त हुआ, उत्तरी राज्य और दक्षिणी राज्य....
उत्तरी राज्य के लोग पूँजीवादी थे, उनके यहाँ फैक्ट्रियां लग चुकी थीं वहीं दक्षिण के राज्य कृषि प्रधान थे
अब दास प्रथा से दक्षिण के राज्यों को फायदा ये था कि उन्हें सस्ता श्रम मिलता था क्योंकि उधर बागवानी कृषि थी जिसमे भयंकर श्रम की आवश्यकता होती थी और सारे दासों का संकेद्रण दक्षिण के राज्यों में था, उत्तर के राज्य इस व्यवस्था का अंत करके खुद की फैक्टरियों के लिए सस्ता श्रम खोज रहे थे ताकि दासों को मजदूर बना कर लाया जाए। अब्राहम लिंकन उत्तर से थे, दास व्यवस्था के विरोधी थे क्योंकि उत्तर के लोगों के लिए ज्यादा फायदेमन्द वही था, गृह युद्ध की शुरआत हुई 1860 में, 1865 में दास प्रथा का अंत हुआ अमेरिका एकीकृत हुआ ! ये लड़ाईं दो राष्ट्रों की नही थी वरना अमेरिका कभी एकीकृत नही होता ये बस आपसी हितों का टकराव था एक ही प्रकार के दो समूहों में, आज लेबर UP बिहार से जब महाराष्ट्र, और तमिलनाडु जाते हैं तो उन्हें हिक़ारत की नज़र से देखने वालों को समझना चाहिए कि ये श्रमिक वर्ग ही थे जिनको अपना बनाने के लिए अमेरिका में गृह युद्ध हो गया था !
कुछ दिनों पहले अमेरिका के Minniapolis में जार्ज फ्लॉयड नाम के अफ्रीकन अमेरिकन मूल के व्यक्ति को पुलिस ने 20 डॉलर की नोट नक़ली चलाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया, अमेरिका में जब पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो वहाँ हथियारों की सुलभता की वजह से सबसे पहले दोनों हाथ पकड़ के नीचे गिरा देती है फिर हथकडी मार देती है, उन्हें डर होता है कि कहीं सामने वाला गोलियाँ न चला दे
ऐसा ही इस व्यक्ति के साथ हुआ, पर पुलिस अधिकारी ने आवेश में आकर करीब 7 मिनट तक उसे लिटा के उसपर उसी मुद्रा में बना रहा जिससे साँस रुकने से उसकी मौत हो गयी,
सीधे-सीधे यह एक बड़ी चूक थी, पुलिस वाला 24 घण्टे के अंदर हत्या के केस में गिरफ़्तार कर लिया गया पर तब तक अमेरिका की गली-गली में उसकी मौत का वीडियो वायरल हो गया
जिसमे वो कहता रहा..."I can't breathe "
थाना फूँक दिया गया, शहर का पुलिस मुख्यालय जला दिया गया, हज़ारों की संख्या में लोग निकले, हिंसक प्रदर्शन होने लगा
इन सब के पीछे एक प्रमुख आर्गेनाईजेशन सामने आया जिसका नाम है ANTIFA
ये खुद को एन्टी फासिस्ट कहते हैं जिनका मोटो है हिंसा होती है तो हो पर क्रांति होकर रहेगी,
ये पूंजीवाद विरोधी, कम्युनिस्ट, मार्क्सिस्ट लोग हैं जिन्हें अमेरिका में far left कहते हैं, ट्रम्प ने इसी संगठन को हाल में ही आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
अब इसी संदर्भ में बात कराते हैं भारत की
सिमी याद है ?
सिमी की स्थापना 1977 में अलीगढ़ में हुई थी, मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी (जो कि Western Illinois University में इंग्लिश का प्रोफेसर था) ने इसकी स्थापना की थी जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था,
1980 से 90 के बीच देश के लगभग अधिकांश सांप्रदायिक दंगो में सिमी के कार्यकर्ताओं का हाथ था पर इन्हें बैन नही किया गया
9/11 अटैक अमेरिका के बाद 2001 में इस पर बैन लगाया गया,
ज़रा सोचिए... सैकड़ो आतंकी संगठनों से सम्बन्ध, बाबरी के बाद हर दंगे में इनका हाँथ, संगठन का मोटो ही था येन-केन-प्रकारेण भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना फिर चाहें हिंसा से ही सही, पर उस पर बैन कब लगा ? लगभग "23 साल बाद" एक लंबे अंतराल के बाद वो भी तब जब अनेक बड़ी - बड़ी ऐसी आतंकी घटनाएँ हुईं जिनमें सिमी का नाम आया !
केरला हाइकोर्ट में केरल सरकार की एफिडेविट है कि PFI उस प्रतिबंधित सिमी का ही नया रूप है, अभी 2020 के दिल्ली दंगो में इनका हाँथ किसी से छुपा नही है पर 2006 में अस्तित्व में आया PFI अब तक 2020 मे भी चल रहा, केरल में केरल पुलिस ने इनके ठिकानों से किलिंग टार्गेट्स, हथियार, आतंकी ब्लूप्रिंट तक रिकवर किया है पर अब तक PFI आज़ाद है
वहीं अमेरिका में ट्रम्प ने साफ़ कहा है
When the looting starts - Shooting starts ! और हिंसा के बाद ही ANTIFA आतंकी संग़ठन घोषित हो गया ।
इन कम्युनिस्टों को क्रांति का पैसा कहां से आता है
हम सब जानते हैं, उसका एक मात्र स्रोत चीन है !
अमेरिका तो far left के "किरान्तिकारियों" के पिछवाड़े में भूँसा भर ही देगा पर भारत को भी सीख लेते हुए एक्शन लेना होगा
इसके पहले की ये सब नासूर बन जाए !
अब कड़ियाँ जोड़ देता हूँ,
जिन दासों की बात ऊपर हुई उसमें अधिकतर ब्लैक थे, दूसरे देशों के ह्यूमन राइट्स पर इनकी संस्थाएँ और मीडिया खूब लेख लिखा करते आयी हैं पर खुद के ही देश मे क्या समस्या है इसपर बात उन्होंने की ही नहीं,
अमेरिका तो रेसिजम की लड़ाईं लड़ रहा, जिसका फायदा ANTIFA जैसे संगठनों ने हिंसा का सहारा लेकर खूब भुना लिया
भारत तो नक्सलियों की लड़ाईं और सिमी / PFI की लड़ाईं दोनों साथ लड़ रहा,
इस्लामिक कट्टरपंथ और फार लेफ्ट चाइना प्रॉक्सी जो आपस मे भारत मे एकजुट हैं, लगातार भारत माँ को घायल करती आई हैं
और ये सब पागलपन ये केवल "लोकतंत्र" के नाम पर करते हैं क्योंकि लोकतंत्र एक ऐसा शब्द है जिसके तले आप , PFI भी और हर दूसरे दिन अन्य किसी देश से भीख में आई फंडिंग से सड़क पर किरान्ति का बिगुल भी फूँक सकते हैं !!
आज अमेरिका जो झेल रहा कल भारत भी झेल सकता है, एन्टी CAA प्रोटेस्ट में हमने इस्लामिक कट्टरपंथ और फार लेफ्ट का मजबूत गठजोड़ देख लिया है
भारत और अमेरिका की स्थिति में जो मुख्य अंतर है वो यह है कि वहाँ के ब्लैक रेसिजम के खिलाफ लड़ रहें जिनका हिंसक साथ दे रहें ANTIFA जैसे कम्युनिस्ट संगठन और इंडिया की सिमी/PFI भारत को इस्लामिक राज्य बनाने के लिए लड़ रहें जिनका साथ दे रहें कम्युनिस्ट
पहला अधिकारों की बात है
दूसरा इस्लामिक सत्ता की
किरान्ति से किसी को मतलब नही है ।