श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन भैरव मंदिर, बाड़मेर राजस्थान
बालक बोला.... मैं यहाँ का क्षेत्रवासी भैरव-देव हूँ और आप महान जैन आचार्य श्री है.... आप इस तीर्थ का विकास करें मैं आपके साथ हूँ परन्तु मुझे भगवान पार्श्वनाथ जी के मंदिर में एक आले (दीवार) में विराजमान करो
बालक बोला.... मैं यहाँ का क्षेत्रवासी भैरव-देव हूँ और आप महान जैन आचार्य श्री है.... आप इस तीर्थ का विकास करें मैं आपके साथ हूँ परन्तु मुझे भगवान पार्श्वनाथ जी के मंदिर में एक आले (दीवार) में विराजमान करो
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जिला बाड़मेर राजस्थान के बालोतरा रेलवे स्टेशन से 13 किलोमीटर एवं मेवाड़ सिटी से 1 कि॰मी॰ दूर पर्वतीय श्रृंखलाओं के मध्य स्थित है विश्वविख्यात जैन तीर्थ श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ। इस तीर्थ क्षेत्र के आस पास का इतना प्राकृतिक और मनोहर है कि कोई भी सम्मोहित हो जाए। यह भारत के जैन समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
साक्ष्यों के अनुसार श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ का संबंध प्राचीन इतिहास ए साथ भी बहुत गहरा है। प्राप्त विवरणों के आधार पर वि. स. ३ में इस स्थान के उदय होने का आभास मिलता है, यद्यपि इस संबंध में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध नहीं है। श्री नाकोड़ा तीर्थ के भैरव देव के बारे में प्रचलित जन श्रुति/गाथा आगे प्रस्तुत है :
परम पूज्य गुरुदेव हिमाचल सुरिश्वर जी म.सा. तीर्थ के विकास एवं देखभाल की व्यवस्था में जुटे थे ....
एक दिन रात्रि के समय गुरुदेव अपने उपाश्रय में पाट पर सो रहे थे तभी सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उन्हें एक छोटा सा बालक पाट के आसपास घूमता हुआ दिखाई दिया....
गुरुदेव पाट पर बैठ गए फिर बालक को बुलाया और पूछा.... अरे बालक यहाँ क्यों घूम रहा है ?? किसका है तू ??
बालक बोला.... मैं यहाँ का क्षेत्रवासी भैरव-देव हूँ और आप महान जैन आचार्य श्री है.... आप इस तीर्थ का विकास करें मैं आपके साथ हूँ परन्तु मुझे भगवान पार्श्वनाथ जी के मंदिर में एक आले (दीवार) में विराजमान करो....
ऐसा बोलकर भैरव जी अदृश्य हो गए....
गुरुदेव विचार में पड़ गए परमात्मा के मंदिर में भैरव जी को कैसे बिठाया जाए ?? क्योंकि भैरवजी को सिन्दूर बलि मदिरा आदि सब चढ़ते हैं और जैन मंदिर में इन सारी चीजों की बिलकुल अनुमति नहीं है....
गुरुदेव दुविधा में पड़ गए की क्या करना....
फिर एक दिन भैरव-देव को जाग्रत करने के लिए गुरुदेव साधना में बैठ गए....
साधना पूर्ण होने पर भैरव-देव प्रत्यक्ष हुए और कहा.... बोलो गुरुदेव ??....
गुरुदेव ने कहा.... आपको हम मंदिर में विराजमान करेंगे परन्तु आपको हमारे जैन धर्म के नियमों में प्रतिबद्ध होना पड़ेगा....
तब भैरव-देव बोले.... ठीक है जो भी आप नियम बतायेंगे वो मैं स्वीकार करूँगा....
गुरुदेव बोले.... आपको जो अभी वस्तुएं भोग रूप में चढ़ती हैं वो सब बंद होंगी.... आपको हम भोग रूप में मेवा मिठाई कलाकंद तेल आदि चढ़ाएंगे.... आपको जनेऊ धारण करनी पड़ेगी.... विधि विधान के साथ समकित धारण करवाकर आपको ब्रहामण रूप दिया जाएगा....
भैरव-देव बोले.... मेरा रूप बनाओ गुरुदेव....
गुरुदेव बोले.... आपका रूप हम कैसे बनायें भैरव-देव ??
तब भैरव-देव ने कहा कि जैसलमेर (बाड़मेर का पड़ोसी जिला) से पीला पत्थर मंगवाकर कमर तक धड़ बनवाओ....
नाकोड़ा जी जैन तीर्थ ग्रन्थों की अथाह जांच के पश्चात यह जानकारी मिली कि गुरुदेव ने मुनीम-जी भीमजी को जैसलमेर भेजा और वहां से पीला पत्थर मँगवाया.... पत्थर भी इतना अच्छा निकला कि सोमपुरा मूर्तिकार (अब श्रीराम मंदिर बनाने वाले) को बुलवाकर मूर्ति का स्वरुप बताया.... पिंडाकार स्वरुप को मुंह का स्वरुप देकर मुँह और धड़ को जोड़ा और अति सुन्दर मोहनीय भैरवजी की मूर्ति बनायीं गयी....
इस नयनाभिराम मूर्ति को देखकर सब खुश हो गए....
शोध कर्ता श्री नाकोड़ा जी जैन तीर्थ ग्रन्थ टीम के अनुसार वि.सं.1991 माघ शुक्ला तेरस गुरु पुष्ययोग में भैरवजी को विधि विधान के साथ नियमों से प्रतिबद्ध करके जनेऊ धारण करवाकर शुभ वेला में पार्श्वनाथ प्रभु के मूल गम्भारे के बाहर गोखले में विराजमान किया गया.... भैरवजी का स्थान खाली ना रहे इसलिए हनुमानजी की मूर्ति मुख्य मंदिर प्रांगण में स्थापित की गयी....
इस प्रकार नाकोड़ा जैन तीर्थ के मूल गम्भारे में बटुक भैरव (भगवान शिव का बाल स्वरूप) विराजित हैं....
नाकोड़ा भैरव जैन तीर्थ स्थल राजस्थान के पाक सीमावर्ती जिले बाड़मेर में पहाड़ों से घिरा बहुत ही सुंदर मनमोहक तीर्थ व पर्यटन स्थल है जहां आज देश विदेश से लाखों हिन्दू (जैन व समस्त हिन्दू सम्प्रदाय) श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं....
नाकोड़ा भैरवजी के आशीर्वाद से इस तीर्थ स्थल पर आज तक कंस्ट्रक्शन कार्य रुका नहीं है ना रुकेगा.... नाकोड़ा भैरव तीर्थ में बने राजस्थानी राजपूती जैन शैली के मंदिर आज विश्व भर में अपनी बेजोड़ स्थापत्यकला के कारण विख्यात है....
यहां नित्य प्रतिदिन सुबह शाम आरती की बोली लगती है जो लाखों रुपयों तक रोज़ जाती है इसके अलावा यहां नित्य कई लाख रुपये चढ़ावा आता है....
मैं नाकोड़ा भैरव व इसके पास स्थित मां भटियाणी मन्दिर जसोलगढ़ बाड़मेर तीन वार जा चुका हूं....
मारवाड़ (जोधपुर) व बीकानेर के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी मां नागणेची का मन्दिर भी यहां स्थित है....
मारवाड़ के महावीर महापराक्रमी महायोद्धा सेनानायक दुर्गादास जी राठौड़ का गांव भी यहीं स्थित है....
नाकोड़ा भैरवनाथ धाम की जय....