शौर्य चक्र अवार्डी "संधू" की दिन-दहाड़े हत्या; पंजाब सरकार ने वापस ले लिया था सुरक्षा कवच

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शौर्य चक्र अवार्डी संधू की दिन-दहाड़े हत्या; पंजाब सरकार ने वापस ले लिया था सुरक्षा कवच

शौर्य चक्र अवार्डी "संधू" की दिन-दहाड़े हत्या; पंजाब सरकार ने वापस ले लिया था सुरक्षा कवच

शौर्य चक्र से सम्मानित 62 वर्षीय बलविंदर सिंह संधू जिन्होंने वर्षों तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी को शुक्रवार केआर दिन मोटरसाइकिल पर सवार दो अज्ञात लोगों ने चार गोलियां मारीं, घटना के समय वह पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड कस्बे में अपने घर से सटे कार्यालय में थे। वह और उसका परिवार वर्षों से आतंकवादियों की हिट लिस्ट में था।

तुरन उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बलविंदर सिंह और उनके परिवार ने वर्षों तक राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जब पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था उस दौरान अनेक आतंकवादी हमलों का सामना किया था। संधू को 1993 में शौर्य चक्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार वीरता, साहसी कार्रवाई एवं आत्म-बलिदान के लिए दिया जाता है।

पूर्व राज्य सरकार द्वारा दिये गए सुरक्षा कवर को वर्तमान में कांग्रेस की राज्य सरकार ने एक साल पहले तरनतारन पुलिस की सिफारिश पर वापस ले लिया था, इस पर उनके भाई रंजीत ने कहा था कि आज भी उनका पूरा परिवार आतंकवादियों की हिट लिस्ट में बना हुआ है।

संधू की पत्नी जगदीश कौर के अनुसार यह आतंकवादियों की करतूत है क्योंकि उनके परिवार की किसी अन्य से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि "उनके परिवार ने हमेशा आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, मेरे परिवार पर आतंकवादियों ने 62 से अधिक बार हमला किया। हमने सुरक्षा कवर के लिए DGP दिनकर गुप्ता से कई बार अनुरोध किए, लेकिन सभी व्यर्थ हुये।

जगदीश कौर ने कहा कि "परिवार तब तक संधू के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेगा, जब तक सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती जो उनके परिवार का सुरक्षा कवच हटाने के लिए जिम्मेदार हैं।" कौर ने मांग की "हमारे परिवार को तुरंत सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए और आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए,"।

संधू के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे - गगनदीप सिंह, अर्शदीप सिंह और प्रदीप कौर हैं।

राज्य सरकार द्वारा 62 वर्षीय को प्रदान की गई सुरक्षा को स्थानीय पुलिस की सिफारिश पर एक साल पहले हटा दिया गया था।

श्री सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल को आदेश दिया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया है कि फिरोजपुर के पुलिस उपमहानिरीक्षक की अगुवाई वाली एसआईटी बलविंदर सिंह पर घातक हमले के सभी कोणों की जांच करेगी।

मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता को निर्देश दिया है कि वे शीघ्र जांच सुनिश्चित करें। कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि जांच सभी संभावनाओं को ध्यान में रखेगी। "किसी को भी हत्या का दोषी पाया जाता है, उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा।"

पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा कि संधू को सुबह करीब 7 बजे दो अज्ञात हमलावरों ने मार दिया, जिससे संधू की मौके पर ही मौत हो गई।

इलाके के सीसीटीवी (CCTV) फुटेज से पता चलता है कि हमलावर संधू के घर पहुंचे और उनमें से एक ने कंपाउंड में घुसकर उस पर प्वाइंट-ब्लैंक रेंज से फायर किया।

डीजीपी ने एक बयान में कहा, "वाहन के विवरण और उसके पंजीकरण संख्या का पता लगाया जा रहा है।"

हत्या की जांच के लिए गठित एसआईटी का विवरण देते हुए, डीजीपी ने कहा कि फिरोजपुर रेंज के डीआईजी हरदयाल मान के अलावा, टीम में तरनतारन के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मन निंबले और भिखीविंड के उप पुलिस अधीक्षक राजबीर सिंह शामिल हैं।

श्री सिंह 1990 और 1991 के बीच अपने घर पर आतंकवादियों द्वारा कई हमलों से लड़ने और जीवित रहने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने घर की छत पर बंकर भी बनाए।

श्री सिंह और उनके परिवार द्वारा प्रदर्शित बहादुरी ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा दिलाई।

31 जनवरी 1990 को आतंकवादियों द्वारा परिवार पर पहली बार हमला किया गया था।

एक सरकारी विज्ञप्ति पत्र के अनुसार, परिवार को 30 सितंबर, 1990 को अपने सबसे घातक हमले का सामना करना पड़ा, जब लगभग 200 आतंकवादियों ने उनके घर को घेर लिया और रॉकेट लाँचर सहित अनेक घातक हथियारों से लगातार पांच घंटे तक उन पर हमला किया। इस योजनाबद्ध हमले में, आतंकवादियों ने बारूदी सुरंगों को संधू के घर तक आने वाले पहुंच मार्ग में फैलाकर रास्ते को अवरुद्ध कर दिया ताकि पुलिस उनकी मदद न कर सके। इस घातक आतंकी हमले में, संधू भाइयों और उनकी पत्नियों ने सरकार द्वारा प्रदान की गई पिस्तौल और स्टेन-गन से आतंकवादियों का सामना किया। संधू भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्रतिरोध ने उग्रवादियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया।

इन सभी लोगों ने आतंकवादियों के हमले का सामना करने के लिए एक उच्च साहस और बहादुरी का प्रदर्शन किया है और आतंकियों द्वारा उन्हें मारने के लिए किए गए बार-बार के प्रयासों को विफल कर दिया।

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