MIMHANS हॉस्पिटल में किया गया स्ट्रोक पर सेमिनार का आयोजन

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Meerut Institute of Mental Health & Neuroscience (MIMHANS) में स्ट्रोक यानि पक्षाघात के विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया

Meerut Institute of Mental Health & Neuroscience (MIMHANS) में स्ट्रोक यानि पक्षाघात के विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मेरठ, मुजफ्फर नगर और दिल्ली एनसीआर से आए लगभग 100 फिजियोथैरेपिस्ट ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

सेमिनार में हिस्सा लेने वाले सभी फिजियोथैरेपिस्ट को बताया गया कि किस तरह स्ट्रोक एक घातक बीमारी है और किस प्रकार इस से निपटा जा सकता है।

सेमिनार में मौजूद सभी डाक्टर्स से बातचीत के दौरान मिमहेन्स हॉस्पिटल के न्यूरो फिजीशियन, डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि पक्षाघात विश्व में दूसरे नंबर पर मौत का सबसे बड़ा कारण है। साथ ही उन्होंने बताया कि यदि मरीज पक्षाघात के बाद जल्दी से अस्पताल पहुँच जाता है तो Tissue plasminogen activator (tPA) इंजेक्शन के द्वारा पक्षाघात से होने वाले प्रभाव को रोका जा सकता है।

यादी आप पक्षाघात के लक्ष्ण दिखते ही 4.5 घंटे के अंदर जल्द से जल्द कदम उठायेँ तो पेरलाइसिस से बचा जा सकता है वरना एक मामूली ब्रेन स्ट्रोक भी आपको हमेशा के लिए अपाहिज बना सकता है।

वहीं डॉ॰ वीरेंद्र खोखर ने स्ट्रोक के दौरान फिजियोथैरेपी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कि स्ट्रोक में मुख्य रोल एक फिजियोथैरेपिस्ट का होता है जिसकी मदद से मरीज को फिर से पुनर्वास में लाया जा सकता है। पक्षाघात से मरीज के एक तरफ के हाथ पैर काम करना बंद कर देते है तो हमें दिमाग को उस भाग को चलाने के लिए ट्रेंड करना पढ़ता है। अगर मरीज में खड़े होने की क्षमता आ जाती है, तो जितना ज़्यादा हो सके उसे चलाने कि कोशिश करें और पक्षाघात वाले भाग को ज़्यादा से ज़्यादा काम में लें।

स्ट्रोक के प्रभाव को कम करने और पुनर्वास के प्रोसैस को तेज करने के लिए मरीज का आत्मविश्वास व फिजियोथैरेपी दो सबसे महत्वपूर्ण चीज़े है। पुनर्वास की चुनौतियों का नाम ही फिजियोथैरेपी है।

इस अवसर पर Capital University, Koderm , Jharkhand के चांसलर डॉ पवन सैनी, वाइस चांसलर डॉ M॰K॰ Vajpayee एवं दिल्ली से AIAP के Eastern Zone Secretary डॉ रवि शंकर रवि की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ॰ विशाल शर्मा ने आए सभी फिजियोथैरेपिस्ट को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताया और प्रेक्टिकल भी कराया।

इसी के साथ सेमिनार में डॉ॰ अर्चना शर्मा, डॉ॰ अंशुमन शर्मा, कर्नल डी॰वी॰ सिंह, जितेंद्र शर्मा और राकेश शर्मा का भी खासा योगदान रहा।

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