राम विरोधियों का नया पैंतरा, भूमि पूजन रोकने के लिए इलाहाबाद HC में लगाई याचिका

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राम विरोधियों का नया पैंतरा, भूमि पूजन रोकने के लिए इलाहाबाद HC में लगाई याचिका
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राम विरोधियों का नया पैंतरा, भूमि पूजन रोकने के लिए इलाहाबाद HC में लगाई याचिका

अयोध्या में राम मंदिर के 'भूमि पूजन' की तारीख 5 अगस्त निर्धारित किए जाने के दो दिन बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, इस आयोजन पर रोक लगाने की मांग करते हुए, इसे अनलॉक 2.0 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करार दिया है।

बुधवार को दिल्ली के वकील साकेत गोखले ने यह याचिका दायर की। गोखले ने याचिका में कहा है कि चूंकि इस कार्यक्रम में लगभग 300 लोगों के शामिल होने की संभावना है, अतः यह सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि इस धार्मिक आयोजन से कोरोनावायरस फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।

कोरोना महामारी के दौरान जनहित का नाम लेकर दायर की गई है यह याचिका, याचिकाकर्ता साकेत गोखले, जिसने विदेशों में कई समाचार प्रकाशनों में काम किया है और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है ।

गोखले ने ट्विटर पर लिखा "मैंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के साथ एक पत्र जनहित याचिका दायर की है अयोध्या में राम मंदिर के आयोजन पर रोक लगाने के लिए, अनलॉक 2.0 दिशा-निर्देशों के मद्देनजर और इस महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में। नहीं जनता इससे क्या परिणाम आएगा लेकिन हम सही काम करना और बोलना बंद न करें, "ट्वीट पढ़ा।

इस याचिका में राम मंदिर ट्रस्ट के साथ-साथ केंद्र को भी पार्टी बनाया गया है।

कौन है " साकेत गोखले" -


कहने को तो साकेत स्वयं को पत्रकार, वकील और RTI activist कहता है लेकिन जब आप उसके Social Media और Twitter को खंगालेंगे तो वहाँ सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और मोदी सरकार के विरुद्ध ही सबकुछ मिलेगा, साकेत को सारी कमियाँ सिर्फ पिछले 6 सालों के शासनकाल में ही नज़र आएंगी जो भी आरटीआई मिलेगी वो सिर्फ मोदी सरकार के विरुद्ध ही मिलेगी। इसके अतिरिक्त अन्य किसी पार्टी की सरकार विशेषकर कांग्रेस सरकारों में (वर्तमान/पूर्व) या कांग्रेस के भ्रष्टतम क्रियाकलापों में साकेत को कोई कमी दिखाई नहीं देती।

साकेत के लिखे हुये शब्दों से ही ज्ञात होता है कि वो "राहुल गांधी" को अपने लिए आदर्श मानता है और उसके ही अनुसार वो विदेश से पत्रकारिता छोड़कर भारत आया ही राहुल के लिए/साथ काम है।

अग्रलिखित शब्द उसके ट्वीट का ही हिन्दी अनुवाद है जो उसने अपने ट्विटर पर राहुल के फोटो के साथ लगाया हुआ है:

"जब मैंने पत्रकारिता छोड़ दी और India आ गया, तो यह केवल आपके लिए था 'राहुल गांधी' अन्यथा मैं सार्वजनिक सेवा में काम करने का सपना भी देख सकता था।
गैर-राजनीतिक परिवार से आने के बावजूद, मुझे हमेशा ऐसा महसूस हुआ कि आपके नेतृत्व में मेरी आवाज़ और विचार मायने रखते हैं।
सब कुछ के लिए और अधिक धन्यवाद 'राहुल गांधी'।"

इस सब को पढ़ने और देखने के बाद कोई नासमझ भी समझ सकता है कि साकेत के द्वारा राम मंदिर भूमि पूजन को रोकने के लिए जनहित के नाम पर लगाई गई याचिका के पीछे किस व्यक्ति/पार्टी का दिमाग काम कर रहा है और ये किसके हाथ की कठपुतली है ?

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