उर्दू के सहारे Civil Services Exam (UPSC) में सेंध - शिक्षा के नाम पर नए जिहाद की तैयारी

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फ्री - फ्री - फ्री के सहारे सिविल सर्विसेस में दिन व दिन बढ़ता उर्दू का वर्चस्व बन रहा है खतरे की घंटी ?

यह बहुत खतरनाक संकेत है भविष्य के लिए।

सावधान हिंदू, सावधान भारत सरकार

IAS के एग्जाम में अचानक मुसलमानों की बाढ़ क्यों आ गयी है? कड़वा सच!

पिछले 4-5 सालों से कश्मीरी मुस्लिम युवक UPSC में बहुत सेलेक्ट हो रहें, इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि कश्मीरी ही नहीं बल्कि पूरे भारत से मुस्लिम युवक बड़ी मात्रा में यूपीएससी की बाजी मार रहें। आज के मुक़ाबले पहले इनका चयन प्रतिशत कम था।

आप इसमें एक पैटर्न देखेंगे बस ध्यान से आगे की बात समझने की कोशिश कीजिये।

जो मुस्लिम उर्दू साहित्य मेंस में रखेगा, उन्हें जाँचने वाला भी मुस्लिम ही होगा (जाहिर है हिन्दू उर्दू नही पढ़ते) और वो चाहेगा उसकी कौम का बन्दा अधिकारी बने ताकि बाद में पूरी सरकार पर प्रेशर ग्रुप के जरिये दबाव बना सकें। ये उर्दू से IAS और UPSC जैसी परीक्षाओं में मुस्लिम और कश्मीरी युवकों को देश के उच्च पदों पर बिठाने की साज़िश है जिस से जब भी हिन्दू मुस्लिम गृह युद्ध हो ये कट्टर मुस्लिम अपनी कोम का साथ दें और औवेसी जैसे लोग इन को आसानी से अपने कब्जे में कर सके।

अभी आप देखेंगे तो मेंस में आप उर्दू ही रख सकते हैं ऐसा तमाम वेबसाइट्स आपको दिखायेंगी लेकिन एक न्यूज़ चैनल पर मैंने कुछ दिन पहले जब रिजल्ट आया था तो उसमें किसी कश्मीरी के बारे में बता रहा था उसने विषय बताया था "Urdu & Islamic studies" से इन्होंने *UPSC* दिया है, क्या ऐसा कुछ UPSC में शामिल हुआ है? हाँ शामिल हुआ है वो सच ही कह रहा था आप लिंक पर क्लिक करके स्वयं भी UPSC के Syllabus को चैक कर सकते हैं।

अगर इस्लामिक स्टडी शामिल हुआ है तो मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूँ ।

अब एक बात और गौर करने वाली है:

1.अल अमीन एजुकेशनल सोसाइटी, बैंगलोर

2. जामिया सल्फ़िया, वाराणसी

3. अल बरकत इंस्टिट्यूट, अलीगढ

4. Aliah यूनिवर्सिटी, कोलकाता

5. अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

6. अल फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद

7. अंजुमान हमी ए मुसलमीन, भटकल

8. अंजुमन ए इस्लाम, मुंबई

9. अंसार अरेबिक कालेज, मल्लपुरम

10. अल जामिया अल इस्लामिया, मल्लपुरम

11. वीमेन इस्लामिया कालेज, मल्लपुरम

12. चौधरी नियाज मुहम्मद कालेज, बैसूली बदायूँ

13. दारुल हुदा इस्लामिक यूनिवर्सिटी

14. हमदर्द यूनिवर्सिटी दिल्ली

15. जमाल मोहम्मद कालेज

16. इब्न सीना अकैडमी

17. जामिया अर्फ़िया, कौशाम्बी

18. जामिया मिलिया इस्लामिया

19. जामिया नूरिया अरबिया

20. मदरसा अल बकीयत अल सहलात, वेल्लूर

आदि-आदि इत्यादि ये सारे मुस्लिम स्पेशल इंस्टिट्यूट हैं, यहाँ हिन्दू मिलेंगे नही, मिलेंगे भी तो नाम मात्र के वो भी कुछ जगह जो केंद्रीय बड़ी यूनिवर्सिटी हैं जैसे अलीगढ या ओस्मानिया हैदराबाद, बाकी हजारों इंस्टिट्यूट जहाँ हिन्दू झाँकने भी नहीं जाता।

अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी/कालेज के अंतर्गत चल रहे, सरकार से पैसा पाते हैं और पढ़ाते हैं इस्लामिक स्टडीज।

क्या एक भी ऐसी यूनिवर्सिटी इस देश में है जहाँ हिंदुत्व या वैदिक कल्चर की पढ़ाई होती हो? जहाँ वेद पढ़ाये जाते हों? नहीं!

पर इस्लामिक स्टडी की हजारों हैं ।

एक भी सिक्ख को अब एसपीजी में नौकरी नहीं मिलती।

प्राइम मिनिस्टर की सुरक्षा के लिए जब से इंदिरा गाँधी की मौत हुई है, पंजाब में जब स्वर्ण मंदिर में सेना घुसी थी पंजाब रेजिमेंट के कई सैनिकों और अधिकारियों ने विद्रोह कर दिया था सेना में अंत में नियम बदला आज महार रेजिमेंट में भी ब्राह्मण अधिकारी/ सैनिक भेज दिया जाता है, सिक्खों को बाँट दिया गया, आज हर रेजिमेंट में ये आपको मिलेंगे।

ये इस्लामिक स्टडी से, इन्हें आईएएस बनाना मतलब असंतोष और प्रेशर ग्रुप का निर्माण करना, किसी भी कठोर नीति को कश्मीर के विरुद्ध ये बनने नही देंगे।

39 करोड़ की आबादी माइनॉरिटी नही होती है, इनसे सारे अल्पसंख्यक अधिकार लिए जाने चाहिए। ये भारत का मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है। इंडोनेशिया के बाद विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में है।

ताज्जुब यह है कि फिर भी अल्पसंख्यक कैसे है?

सबसे पहले इनके मदरसे गिनने चहिए, इन इस्लामिक संस्थाओं में क्या चल रहा, क्या पढ़ाया जा रहा सबकी जाँच हो, इन्हें कोई वित्तिय सहायता नही देनी चाहिए। यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है, यही secularism है ।

इनमे गणित, विज्ञान, कंप्यूटर के शिक्षक भर्ती किये जाने चाहिए !!

सरकार को चाहिए कि UPSC, IAS, IPS जैसी उच्च पद की परीक्षाओं को केवल हिंदी जो कि राष्ट्रभाषा है और english जो कि प्रचलित भाषा और कार्य भी ज्यादातर इसमे ही होता है इसलिए इन्ही 2 भाषाओ में परीक्षा करवाये न कि रीजनल भाषा मे जिस से भविष्य के भारत को देश भक्त पदाधिकारी मिले न कि देशद्रोही ओर सरकार को झुकाने वाले आखिर इतने उचे पद पर जाने वाले अधिकारियों को कम से कम हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान तो होना ही चाहिए क्यों कि भविष्य में उर्दू में किसी भी आफ़िस में काम नही होगा फिर उर्दू की जरूरत क्या है ये अधिकारी किसी मदरसे में तो पढ़ाने नही जाएंगे मोदी जी कृपया सोचिये ओर समय रहते उर्दू को UPSC exam से बाहर कीजिये।

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कौशल मिश्रा की कलम से।

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