'इस म्यूजियम में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य' : PM मोदी ने किया प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्धघाटन

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इस म्यूजियम में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य : PM मोदी ने किया प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्धघाटन
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'इस म्यूजियम में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य' : PM मोदी ने किया प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्धघाटन

आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 'प्रधानमंत्री संग्रहालय' का उद्धघाटन किया।कहा जाता है कि 'प्रधानमंत्री संग्रहालय' (Prime Minister Museum) पीएम नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। पीएम मोदी द्वारा इसका उद्धघाटन देश में चल रहे 'अमृत महोत्सव समारोह' के दौरान किया गया। मोदी जी ने उद्धघाटन से पहले म्यूजियम का पहला टिकट भी खरीदा।

आपकी जानकारी के लिए इस प्रधानमंत्री संग्रहालय में 'पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर पीएम मोदी तक' देश में अभी तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं उनके योगदानों के बारे में इस म्यूजियम के जरिए बताया जाएगा। इससे पहले सत्ता में रहे किसी भी राजनेता ने शायद ही इस बारे में कभी सोचा हो!!

इस 'प्रधानमंत्री संग्रहालय' का निर्माण दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में पहले से बने नेहरू स्मारक के स्थान पर किया गया है। आजादी के बाद से आज तक तीन मूर्ति भवन में सिर्फ पहले प्रधानमंत्री नेहरू से संबन्धित बातें थीं और उस पर एक प्रकार से गांधी परिवार का वर्चस्व था। लेकिन अब ये स्थान देश के प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान का स्मारक बनकर देश की जनता के सामने है।

इस म्यूजियम को बनने में लगभग चार साल का समय लगा है एवं उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसे बनाने में लगभग 271 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह स्मारक करीब 15,600 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाया गया है।

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इस अवसर पर बोलते हुए, माननीय प्रधान मंत्री ने देशभर में आज मनाए जा रहे विभिन्न त्योहारों का उल्लेख किया।


आज 14 अप्रैल को बाबासाहेब अम्बेडकर का जन्मदिवस भी था, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये मोदी जी ने कहा, "जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार बाबासाहेब थे, उसने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया। इस संसदीय प्रणाली में मुख्य दायित्व देश के प्रधान मंत्री का कार्यालय रहा है। यह आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे प्रधानमंत्री का संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर मिला है।" इस अवसर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों का स्वागत करते हुये उन्हें बधाई दी।

उन्होंने जोर देकर कहा, " जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब यह संग्रहालय एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है। इन 75 वर्षों में देश ने कई गौरवमय पल देखे हैं। इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है।

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प्रधानमंत्री द्वारा आजादी के बाद से सभी सरकारों के योगदान की सराहना की गई। उन्होंने कहा, "देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत में बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लाल किले से भी यह बात कई बार दोहराई है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब भी बन गया है। देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष - सृजन को जानेंगे।"

भारत के समृद्ध इतिहास और समृद्ध युग को याद करते हुए, प्रधान मंत्री ने भारत की विरासत और इसके वर्तमान की सच्ची तस्वीर के बारे में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।

कई हाथों में चक्र वाले संग्रहालय के लोगो पर टिप्पणी करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह चक्र 24 घंटे की निरंतरता और समृद्धि और कड़ी मेहनत के संकल्प का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह संकल्प, चेतना और शक्ति आने वाले 25 वर्षों में भारत के विकास को परिभाषित करने वाली है।

प्रधानमंत्री ने बदलती विश्व व्यवस्था और उसमें भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित किया। श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज जब एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है, दुनिया भारत को आशा और विश्वास की नजर से देख रही है, तो भारत को भी हर पल नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना होगा।"

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