आवारा कुत्तों के हमलों का राष्ट्रव्यापी मुद्दा: तत्काल कार्रवाई की मांग - विजय गोयल

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आवारा कुत्तों के हमलों का राष्ट्रव्यापी मुद्दा: तत्काल कार्रवाई की मांग - विजय गोयल

(1) एक कमजोर सा व्यक्ति 3 कुत्तों को लेकर चल रहा है, अगर वो बेकाबू हो जाएँ तो क्या होगा... (2) 14 साल का बच्चा जिसकी कुत्ते के काटने से दर्दनाक मौत हुई 

• वैश्विक स्तर पर रेबीज से होने वाली मौतों में से 36 प्रतिशत सिर्फ भारत में होती हैं, प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रेबीज से होने वाली 65 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं।

• रेबीज़ वैश्विक स्तर पर संक्रामक रोग से होने वाली मृत्यु का दसवां प्रमुख कारण है। देश में रेबीज उन्मूलन समस्या लंबे समय से चली आ रही एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने गाजियाबाद में कुत्ते के काटने से 14 वर्षीय बच्चे की दु:खद मौत का मामला प्रकाश में लाते हुए केंद्र/राज्यों सरकार से आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती समस्या के त्वरित समाधान के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।

एक हालिया बयान में, गोयल ने देश भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि यह आश्चर्य की बात है कि G-20 शिखर सम्मेलन से पहले जब इन आवारा कुत्तों को बाड़ों में भेजने की चर्चा हो रही थी उस समय मौजूदा कानूनों का हवाला देते हुए पशु प्रेमियों और गैर सरकारी संगठनों (NGO) के विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन यही संगठन तब चुप रहते हैं जब ऐसे आवारा कुत्ते मासूम बच्चों और बुजुर्गों को काटते, नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके परिमाण स्वरूप अनेक बार पीड़ित को कष्टप्रद दर्दनाक मृत्यु का सामना तक करना पड़ता है।

विजय गोयल ने गाजियाबाद की एक घटना का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि आवारा कुत्तों के डर ने पूरे देश को विशेषकर बच्चों एवं बुजुर्गों को जकड़ लिया है। आश्चर्य की बात है कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक महिला ने तीन कुत्तों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन दिए बिना ही पाला हुआ था, जिसके कारण वो स्थानीय लोगों के लिए मौत/आतंक का पर्याय बने हुए हैं।

इसके अलावा, उन्होंने ने लोगों की गलत प्राथमिकताओं का मुद्दा उठाया, क्योंकि कुछ लोग मानव सुरक्षा पर आवारा कुत्तों को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने इन आवारा कुत्तों की बढ़ती आक्रामकता को रेखांकित किया, जो उनके द्वारा अन्य जानवरों के खाने को भी खाने से और भी बढ़ गई है। इससे न केवल दुखद घटनाएं हुई हैं, बल्कि देश में पर्यटन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा रहा है, इतना ही नहीं स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को भी आवारा कुत्तों से मुठभेड़ का डर लगा रहता है।

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तथाकथित कुत्ते प्रेमियों की असंगतता पर प्रकाश डालते हुए, गोयल ने कुत्ता प्रेमियों द्वारा एक भी आवारा कुत्ते को अपनाने में उनकी अनिच्छा का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि किसी विशेष स्थान पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से कुत्ते इसे अपने अधिकार क्षेत्र के रूप में देखने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से जब अन्य लोग उनके (क्षेत्र) पास आते हैं तो वे काट सकते हैं।

उन्होंने ने कुत्तों के बढ़ते हमलों के प्रति राज्य सरकारों और नगर निगमों (एमसीडी) की उदासीनता की भी आलोचना की। गोयल ने आवारा जानवरों के लिए उचित नसबंदी प्रक्रियाओं की कमी और पालतू जानवरों और आवारा दोनों के लिए एंटी-रेबीज इंजेक्शन की अनुपस्थिति की ओर इशारा किया।

गोयल, जो अपने स्तर पर पिछले कई महीनों से दिल्ली में कुत्ते द्वारा काटने की समस्या के समाधान की वकालत कर रहे हैं, ने इस मुद्दे के समाधान के लिए तत्काल कदमों की एक श्रृंखला का प्रस्ताव रखा। इनमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि सभी कुत्तों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगे, आवारा कुत्तों की नसबंदी बढ़ाना, सभी अस्पतालों में एंटी-रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध कराना और काटने की घटनाओं के मामले में कुत्ते के मालिकों को जिम्मेदार ठहराना।

वैश्विक स्तर पर रेबीज से होने वाली मौतों में से 36 प्रतिशत सिर्फ भारत में होती हैं, प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रेबीज से होने वाली 65 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। रेबीज़ वैश्विक स्तर पर संक्रामक रोग से होने वाली मृत्यु का दसवां प्रमुख कारण है। देश में रेबीज उन्मूलन समस्या लंबे समय से चली आ रही एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है।

मामले की गंभीरता, जैसा कि गोयल ने उजागर किया है, नागरिकों की सुरक्षा और आवारा कुत्तों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

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