मुस्लिम स्कूल ने BJP के मुस्लिम नेता के बच्चे को पढ़ाने से मना किया
सैय्यद महताब का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चे का नामांकन उक्त स्कूल में नर्सरी कक्षा में कराया था। नामांकन के बाद से वह नियमित रूप स्कूल जा रहा था, लेकिन जब स्कूल प्रबंधन को इस बात की भनक लगी कि वह बीजेपी के नेता हैं, तो स्कूल प्रबंधन अब बच्चे को पढ़ाने से इनकार कर रहा है। महताब आलम ने जिला शिक्षा अधीक्षक से स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है
सैय्यद महताब का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चे का नामांकन उक्त स्कूल में नर्सरी कक्षा में कराया था। नामांकन के बाद से वह नियमित रूप स्कूल जा रहा था, लेकिन जब स्कूल प्रबंधन को इस बात की भनक लगी कि वह बीजेपी के नेता हैं, तो स्कूल प्रबंधन अब बच्चे को पढ़ाने से इनकार कर रहा है। महताब आलम ने जिला शिक्षा अधीक्षक से स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है
धनबाद के एक मुस्लिम स्कूल ने एक बच्चे को स्कूल में पढ़ाने से इंकार आकर दिया। बता दें कि यह एक मुसलमान नेता का बच्चा है। असल में बच्चे के पिता बीजेपी पार्टी से संबंध रखते है जिसके चलते स्कूल वालों ने बच्चे को पढ़ाने से इनकार कर दिया है। स्कूल का कहना है कि बीजेपी एक मुस्लिम विरोधी पार्टी है, इसलिए उन्होने इस पार्टी के मुस्लिम नेता के बच्चे को पढ़ाने से इंकार किया है।
मुस्लिम नेता व अभिभावक ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधीक्षक से कर स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है।
बच्चे के पिता सैय्यद महताब आलम अपने परिवार के साथ धनबाद के पांडरपाला में रहते हैं, उन्होने कहा कि नर्सरी में पढ़ने वाला बच्चा हिंदू-मुसलमान क्या जाने? अगर स्कूल प्रबंधन बच्चे के सामने मजहब के आधार पर भेदभाव करेंगा तो बच्चे के मन पर क्या असर होगा? सैय्यद महताब आलम ने आजाद नगर स्थित मदर हलीमा पब्लिक स्कूल प्रबंधन पर यह गंभीर आरोप लगाया है।
सैय्यद महताब का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चे का नामांकन उक्त स्कूल में नर्सरी कक्षा में कराया था। नामांकन के बाद से वह नियमित रूप स्कूल जा रहा था, लेकिन जब स्कूल प्रबंधन को इस बात की भनक लगी कि वह बीजेपी के नेता हैं, तो स्कूल प्रबंधन अब बच्चे को पढ़ाने से इनकार कर रहा है। महताब आलम ने जिला शिक्षा अधीक्षक से स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है।
वहीं दूसरी ओर दूसरी ओर प्राचार्या नाजनीन खान ने इन सभी आरोपों को सिरे ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। उनके बच्चे का नामांकन सत्र 2017-18 में किया गया था। वर्ष 2018-19 के सत्र में नामांकन के लिए कहा गया है लेकिन उन्होंने नामांकन नहीं कराया है, लेकिन जब स्कूल की प्राचार्या से पूछा गया कि क्या अगर वे बच्चे का दोबारा नामांकन कराते हैं, तो वे उसे स्कूल में पढ़ने देंगी ? इस पर प्राचार्या ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। जिला शिक्षा अधीक्षक ने पूरे मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है।