मध्यप्रदेश : नरेंद्र सिंह तोमर ने धार में "महाराणा प्रताप" की प्रतिमा का किया अनावरण

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धार (मध्यप्रदेश) : कल मध्यप्रदेश के धार में केन्द्रीय पंचायतीराज, ग्रामीण विकास एवं खनन मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा का अनावरण करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी महापुरुष की प्रतिमा लगाने का निर्णय करना, उसकी व्यवस्था करना और उसको लोकार्पण तक पहुंचाना, यह एक बड़ी यात्रा है।

सामान्यतः प्रतिमा लगाना इस देश में नई बात नहीं है। हमारा देश राजा महाराजाओं का देश है। जहां-जहां जिन लोगों ने राज किया है ऐसे अनेक स्थान देश में है। आप घूमने चलो तो आपको देश भर में अनेक प्रतिमाएं राजा महाराजाओं की मिल जाएंगी लेकिन आप सब पूरे देश का भ्रमण करो और अनेक प्रतिमाओं का अध्ययन करो तो आपको अधिकांश प्रतिमाएं ऐसी मिलेंगी जिन प्रतिमाओं पर जन्मदिन और उनकी पुण्यतिथि पर उनके परिवार का व्यक्ति भी फूल चढ़ाने नहीं आता अधिकांश प्रतिमा देश में ऐसी ही मिलेंगी।

लेकिन अगर बात करें महाराणा प्रताप, महाराज छत्रपति शिवाजी, महात्मा गांधी, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद की या फिर बिस्मिल जिस व्यक्ति ने भी समाज के लिए, संस्कृति के लिए और इस पुण्य भूमि की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दिया हो, उसकी प्रतिमा आज देश में जहां लगी है, वहां उनका कोई अपना हो ना हो लेकिन उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि पर अनेक लोग इकट्ठे होते हैं और उनका सम्मान करते हैं एवं उनके महान व्यक्तित्व से प्रेरणा ग्रहण करते हैं,.

श्री तोमर ने कहा कि सामान्य तौर पर हम सब जानते हैं की हमारे देश में राजा महाराजा की भी पूजा नहीं हुई, हमारे देश में पूजा हुई तो कर्म की हुई है, पूजा हुई तो बलिदान की हुई, यूं तो कहें महाराणा प्रताप और शिवाजी पर हमें गर्व है दूसरी तरफ उन्होंने मानसिंह का उदाहरण दिया और कहा कर्म ही पूजा है। इसलिए पूजा मानसिंह की ना होकर महाराणा प्रताप की होती है शिवाजी की होती है ।

अध्यात्म का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा भगवान कि किसी ने नहीं सोचा था कि जब भगवान श्रीराम का राज्यभिषेक होना था। लेकिन श्रीराम को राज्य अभिषेक के स्थान पर वनवास जाना पड़ा। राम ने वन जाने का निर्णय किया और वन में 14 वर्ष व्यतीत किए उसमें उन्होंने मर्यादाओं को स्थापित किया। पिता की मर्यादा, माता की मर्यादा, समाज की मर्यादा, गांव की मर्यादा, कुल की मर्यादा, अनेक मर्यादाओं को 14 वर्षों में राम ने स्थापित करने का काम किया और अब रावण का संघार करके वह अयोध्या लौटे तो लोगों ने नारा लगाया भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जय हो और अपनी क्रियाओं के आधार पर भगवान श्री राम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बने।

महाराणा प्रताप के कृतित्व महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व,धरती के प्रति समर्पण, महाराणा प्रताप के मन की व्यापकता और महाराणा प्रताप का शौर्य और महाराणा प्रताप का उस को अंगीकृत करना अगर उनके आदर्शों पर हम चल सकेंगे तो मैं समझ सकता हूं अपने जीवन को भी सार्थक कर सकते हैं।

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