मेवात का डरावना सच : बढ़ रही जहाँ मुस्लिम आबादी, वहाँ खाली हो रहे हिन्दू गाँव

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देश की "राजधानी दिल्ली" से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर है "मेवात"

गुड़गांव से अलवर के रास्ते आगे बढ़ने पर सोहना के बाद मेवात का इलाका शुरू हो जाता है। मेवात एक मुस्लिम-बहुल इलाका है। यहां मेव मुसलमानों का दबदबा है। मेव पहले हिन्दू ही थे।

मेव एक जाति है। अभी भी कुछ मेव हिन्दू हैं।

मेवात का इलाका "हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश" में फैला है। 14वीं शताब्दी में तुगलक वंश के समय मेवात के लोगों को जबरन मुस्लिम बनाया गया। फिर भी ये लोग वर्षों तक अपनी पहचान को बचाने में सफल रहे, किन्तु 1920 के बाद "मजहबी संगठनों" ने इन लोगों को अपने रंग में रंगना शुरू कर दिया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यहां के मुस्लिम पाकिस्तान की मांग का समर्थन करने लगे। पर जब पाकिस्तान बना तो यहां के बहुत कम मुस्लिम पाकिस्तान गए। लेकिन अब लगता है कि ये लोग मेवात को ही 'पाकिस्तान' बनाने में लगे है ..

हरियाणा के मेवात क्षेत्र में चल रही गतिविधियों की पड़ताल से यही बात सामने आती है।

हरियाणा के मेवात क्षेत्र को कट्टरवादियों ने बहुत पहले ही 'बंगलादेश' बना दिया है। जहाँ बंगलादेश में करीब 8 प्रतिशत हिन्दू रह गए हैं, अब यही स्थिति मेवात की भी हो गई है। जबकि 1947 में बंगलादेश में करीब 30 प्रतिशत और मेवात में भी लगभग 30 प्रतिशत हिन्दू थे।

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अब पूरे मेवात को 'पाकिस्तान' की शक्ल देने देने का प्रयास तेजी से हो रहा है। आज हरियाणा के मेवात में हिन्दुओं के साथ वह सब हो रहा है जो बंगलादेश या पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ होता है।

हिन्दू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण,उनका मतान्तरण और फिर किसी मुस्लिम के साथ जबरन निकाह।

हिन्दुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाना। हिन्दू व्यापारियों से जबरन पैसे की वसूली करना। मंदिरों और श्मशान के भूखंडों पर कब्जा करना। बंगलादेशी घुसपैठियों को बसाना।

हिन्दुओं को झूठे मुकदमों में फंसाना।

हिन्दुओं के यहां डाका डालना।

कोढ़ में खाज यह कि प्रशासन द्वारा भी हिन्दुओं की उपेक्षा आम बात हो गयी है। इस कारण मेवात के हिन्दू मेवात से पलायन कर रहे हैं। मेवात के सभी 508 गांव लगभग हिन्दू-विहीन हो चुके हैं। किसी-किसी गांव में हिन्दुओं के दो-चार परिवार ही रह गए हैं। यदि सेकुलर सरकारों का रवैया नहीं बदला तो यहां बचे हिदू भी पलायन कर जाएंगे। फिर इस इलाके को पाकिस्तान बनने से कोई रोक नहीं सकता है।

हिन्दुओं की प्रताड़ना

मेवात पहले गुड़गांव जिले का भाग था । 4 मई 2005 को मेवात को जिला बनाया गया और नूंह को जिला मुख्यालय का दर्जा दिया गया। मेवात जिले का क्षेत्रफल 1784 वर्ग किलोमीटर है। मेवात जिले में कुल छह प्रखंड हैं –पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, नगीना, नूंह, तावडू और हथीन। इन कस्बाई नगरों में ही हिन्दू रह रहे हैं। जो हिन्दू सम्पन्न थे वे गुड़गांव, दिल्ली आदि शहरों में बस चुके हैं। जो बेचारे हिन्दू किसी कस्बे में भी घर नहीं ले सकते वे मजबूरीवश अपने गांवों में ही रह रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।

नूंह के एक गांव "मढ़ी: के पूर्व सरपंच "रामजी लाल" ने बताया 'उनके गांव में कुछ वर्ष पहले तक 25 घर हिन्दू थे। अब सिर्फ चार घर रह गए हैं। वे लोग दांतों के बीच जीभ की तरह रह रहे हैं। वे लोग निहायत ही गरीब हैं। यदि वे भी कहीं हिन्दू कस्बे में घर खरीद पाते तो गांव में बिलकुल नहीं रहते। मुस्लिमों ने उनके खेतों पर कब्जा कर लिया है। उनकी बहू –बेटियों को उठा ले जाते हैं।' बता दें कि रामजी लाल भी पिछले चार साल से नूंह में रह रहे हैं । जब वे सरपंच थे तो उन्होंने गांव के मुस्लिमों के दबाव पर कोई गलत काम नहीं किया । इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। आये दिन उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने लगी । मजबूरन उन्हें अपनी जमीन और घर बहुत ही कम कीमत पर बेचकर भागना पड़ा।

अन्तरराष्ट्रीय साजिश

जैन समाज, नूंह के अध्यक्ष और पेशे से वकील "विपिन कुमार जैन" मेवात में

हिन्दुओं की दशा से बहुत दुखी हैं। उन्होंने बताया कि 'पूरे मेवात से हिन्दुओं को भगाने के लिए

मानो "अंतरराष्ट्रीय स्तर" पर साजिश रची जा रही है । यहां के हिन्दुओं को आतंकित करने के लिए रोजाना कुछ न कुछ किया जाता है। छोटी-छोटी बात पर आये दिन हिन्दुओंको प्रताड़ित किया जाता है। लवजिहाद के द्वारा हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम बनाया जा रहा है। 25 मई 2012को मेवली गांव के एक अग्रवाल परिवार की लड़की का अपहरण किया गया और उसका निकाह एक मुस्लिम से करा दिया गया, जबकि वह मुस्लिम दो बच्चों का बाप है। हिन्दुओं की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है। मेवात में सरकारी योजनाओं में भी हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया जाता है।

एक सरकारी संस्था है मेवात विकास एजेंसी (एमडीए)। इसका वार्षिक बजट 70 करोड़ रु. है। इसका इस्तेमाल करीब-करीब मुसलमानों के लिए ही किया जाता है। मेवात में एक जूनियर बेसिक टीचर ट्रेनिंग स्कूल है। कुल 50 सीटें हैं पर 25 सीटें मुसलमानों के लिए सुरक्षित कर दी गयी हैं।'

शर्म की बात

नगीना के रहने वाले वीर सिंह ने अपने समधी ओमवीर (गांव -भिमसिका,तहसील- हथीन) के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे में जो बताया वह पूरे हिन्दू समाज के लिए शर्म की बात है। वीर सिंह के अनुसार 'ओमवीर को कुछ दिन पहले ही "तब्लीगी जमात" ने बहला-फुसलाकर मुसलमान बना लिया था और बाहर भेज दिया था, किन्तु चार महीने बाद ही उन्हें माजरा समझ में आ गया और वे वापस आ गए और एक हिन्दू के ही रूप में रहने लगे। इसके बाद उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने लगी। जान बचाने के लिए वे अभी भी गांव से बाहर छिप कर रहते हैं। इधर गांव में उनकी पत्नी और बच्चों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके बेटे पर कुरान फाड़ने का आरोप लगाया गया, जो बाद में गलत निकला। इसी बीच उनकी लड़की के साथ मेरे बेटे की शादी तय हुई और हम लोग 27 जुलाई 2012 को बारात लेकर उनके घर पहुंचे। इतने में वहां उस गांव के मुसलमान पहुंच गये और कहने लगे कि यह शादी नहीं हो सकती है,क्योंकि लड़की के पिता ने इस्लाम कबूल कर लिया है। इसलिए इस लड़की का किसी मुसलमान के साथ ही निकाह होगा । किन्तु लड़की की मां उनकी सारी बातों को नकारती रहीं और अंत में पुलिस की देखरेख में शादी हुई।'

हिन्दुओं का बहिष्कार

एक ओर तो किसी हिन्दू लड़की का जबरन किसी मुस्लिम पुरुष

से निकाह करा दिया जाता है, तो दूसरी ओर यदि कोई हिन्दू लड़का किसी मुस्लिम लड़की से प्यार करता है तो उसे मुसलमान बनना पड़ता है। ऐसा न होने पर पूरा मुस्लिम समाज हिन्दुओं पर टूट पड़ता है। अभी पिछले अप्रैल माह की ही बात है। नगीना निवासी भारत भूषण का इकलौता पुत्र विशाल जैन एक मुस्लिम लड़की के चक्कर में आ गया। वसीम अहमद बनकर उसने उस लड़की से निकाह कर लिया और अब वह बल्लभगढ़ में रहता है। विशाल मुस्लिम बन गया फिर भी वहां के मुसलमानों ने विशाल के पिता को धमकाना शुरू कर दिया। अब जान बचाने के लिए घर – द्वार बेचकर वे अब फरीदाबाद रहते हैं। उसी घटना को लेकर खुलेआम नगीना के शेष हिन्दुओं को भी धमकी दी गयी कि बदले में एक हिन्दू लड़की उठाई जाएगी। इस कारण वहां के हिन्दुओं ने काफी दिनों तक अपनी लड़कियों को पढ़ने के लिए स्कूल-कालेज नहीं भेजा। मुस्लिमों ने यह भी फतवा दिया कि कोई भी मुस्लिम किसी हिन्दू दुकानदार से कोई सामान नहीं खरीदेगा। हिन्दुओं की दुकानों के बाहर मुस्लिम चौकीदार बैठा दिए गए। उनको यह काम दिया दिया गया कि यदि कोई मुस्लिम किसी हिन्दू दुकानदार से सामान खरीदता पाया जाय तो उसे पकड़ा जाय। हिन्दुओं का बहिष्कार काफी दिनों तक चला। मेवात के हिन्दुओं का कहना है कि हिन्दू दुकानदारों का आये दिन किसी न किसी बहाने बहिष्कार किया जाता है। इसके दो मुख्य उद्देश्य हैं – एक हिन्दुओं को भगाना और दूसरा , उधारी के पैसे की बेमानी करना। मालूम हो कि यहां के मुसलमान हिन्दू दुकानदारों से उधार में सामान खरीदते हैं और जब पैसा अधिक हो जाता है तो उनका बहिष्कार कर देते हैं। हिन्दुओं का कहना था कि उधारी देना उनकी मजबूरी है। यदि उधार में सामान नहीं देंगे तो भी दिक्कत है।

श्मशान भूमि पर कब्जा

मेवात के ग्रामीण क्षेत्रों से हिन्दुओं के पलायन के बाद मंदिरों की जमीन और श्मशान भूमि पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है। इस कारण जो भी हिन्दू ग्रामीण क्षेत्रों में बचे हैं उन्हें बड़ी दिक्कत होती है। किसी हिन्दू को अपने किसी मृत परिजन का अंतिम संस्कार किसी सड़क के किनारे करना पड़ता है। उस दिन जब हम लोग बड़कली चौक से पिन्हावा जा रहे थे तो सड़क के किनारे कुछ लोग एक शव का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे। भीड़ देखकर हम लोग रुके तो कुछ युवक पास आए। उनमें से एक युवक प्रेम ने बताया कि यह शव उनके चाचा बुध सिंह का है। सुबह ही एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी। सड़क के किनारे अंतिम संस्कार क्यों कर रहे हो? यह पूछने पर प्रेम ने बताया कि श्मशान की जमीन पर आसपास के खेत वालों ने कब्जा कर लिया है। इस वजह से हम लोगों को बड़ी दिक्कत हो रही है। जिन लोगों ने कब्जा कर रखा है उनसे कुछ कहते हैं तो वे कहते हैं मुर्दा जलाना है तो कहीं भी जला लो। प्रेम ने यह भी बताया कि अब उसके गांव अटेरना शमशाबाद में हिन्दुओं के सिर्फ तीन घर बचे हैं।

गोवंश की हत्या

स्थानीय लोगों ने बताया कि पूरे मेवात में सूर्योदय से पहले ही सैकड़ों गोवंश की हत्या हो जाती है। फिर उनके मांस को एक किलो, आधा किलो की थैलियों में बंद करके बेचा जाता है। मांस बेचने के लिए लोग गांव-गांव घूमते हैं। उनकी संख्या दूध बेचने वालों से अधिक होती है। यहां तस्करी से गोवंश लाया जाता है। 'गो हत्यारों को मेवात के स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त है।

इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। वोट की राजनीति ने मेवात की सभ्यता व संस्कृति को बदलकर रख दिया है।'

मस्जिद एवं मदरसों की बाढ़

पूरे मेवात में बड़ी संख्या में मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हो रहा है। मुख्य सड़क के किनारे हर मोड़ पर मस्जिदें बन रही हैं और 8-10 गांवों के बीच एक बड़ा मदरसा बन रहा है। कोई भी अपराध करके अपराधी सड़क के किनारे की मस्जिद में छिप जाते हैं। जो अपराधी मस्जिद में छिप जाता है वह पुलिस की पकड़ से बाहर हो जाता है, क्योंकि पुलिस मस्जिद के अंदर तलाशी लेने से बचती है। एकाध बार पुलिस ने ऐसा किया तो पुलिस पर मजहबी ग्रंथों के अपमान का आरोप लगाकर खूब हंगामा मचाया गया।

बसाए जा रहे हैं विदेशी मुस्लिम

मेवात के कई हिस्सों में "बंगलादेशी मुस्लिम" घुसपैठियों और म्यांमार से भगाए गए "रोहिंग्यायी मुस्लिमों" को बसाया जा रहा है। इन्हें बसाने के लिए ग्राम पंचायतों की जमीन उपलब्ध कराई

जा रही है। केनाल रेस्ट हाउस (यह एक स्थान का नाम है), पुन्हाना में तम्बू लगाकर इन मुस्लिमों को रखा जाता है। इसके बाद अन्य पंचायतों में उन्हें बसाया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि इन मुस्लिमों की मदद "जमीयत उलेमा हिन्द" के अलावा मेवात के अनेक "मजहबी संगठन, पंचायत प्रतिनिधि और विभिन्न राजनीतिक दलों के मुस्लिम नेता कर रहे हैं"। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 200 विदेशी मुस्लिम परिवारों को नूंह के रेवसन और फिरोजपुर झिरका के पास बसाया गया है। सूत्रों के अनुसार इन दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम बुखारी के द्वारा जारी धर्मान्तरण पत्र मुस्लिमों की मदद के लिए स्थानीय मुस्लिमों से पैसा वसूला जा रहा है। यह भी पता चला है कि इन मुस्लिमों के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने की कोशिश की जा रही है।

"तब्लीगी जमात"

मेवात के मुस्लिमों में कट्टरवाद घोलने का काम तब्लीगी जमातें कर रही हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जमात के लोग गांव-गांव घूमते हैं और मुस्लिम युवाओं को जिहाद और लव जिहाद के लिए उकसाते हैं। साथ ही हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने का काम करते हैं। पिन्गवां के एक युवक ललित ने बताया कि करीब एक साल पहले मौलानाओं के भाषण से प्रभावित होकर वह मुस्लिम बन गया था और इस्लाम का प्रचार करने लगा था। किन्तु जल्दी ही उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और आर्य समाज के कार्यकर्ताओं के सहयोग से पुन: हिन्दू हो गया। इस तरह की घटनाएं मेवात में प्राय: रोज ही घटती हैं। मेवात के अधिकतर मुस्लिम युवा ट्रक चालक हैं।

इस बहाने उन्हें पूरे भारत में जाने का मौका मिलता है। आए दिन ये युवा कहीं न कहीं से हिन्दू युवतियों को साथ ले आते हैं। कुछ दिन मौज-मस्ती करते हैं फिर उन्हें

आपस में ही बेच देते हैं। "आर्य वेद प्रचार मंडल मेवात" के संरक्षक "श्री पदमचंद आर्य" ने बताया कि ऐसी अनेकयुवतियों को हमारे कार्यकर्त्ताओं ने जान हथेली पर रखकर मुस्लिमों से छुड़ाया है।

इस्लामी शैली में सरकारी भवन

मेवात में जो भी सरकारी भवन बन रहे हैं, उनमें इस्लामी शैली की छाप स्पष्ट रूप से दिखती है। उदाहरण के लिए आप नूंह में बन रहे नए सचिवालय और नूंह के पास ही नल्लड़ गांव में बन रहे चिकित्सा महाविद्यालय को ले सकते हैं। ये दोनों भवन इस्लामी शैली में बन रहे हैं। इन में मस्जिद की तरह मीनारें और गुम्बद हैं। क्या हिन्दू बहुल क्षेत्र में कोई सरकारी भवन मंदिर की शैली में बन सकता है? यदि नहीं तो मेवात में ऐसा क्यों हो रहा है? मांडीखेड़ा का अल-आफिया जनरल अस्पताल, जिसका निर्माण ओमान के सुल्तान ने अपनी बेटी के नाम पर किया है, भी पूरी तरह इस्लामी शैली में है। सवाल उठता है कि इस्लामी शैली में एक अस्पताल के भवन का निर्माण क्यों किया गया? इसकी अनुमति किसने दी?

मेवात में आए दिन

पुलिसकर्मियों की पिटाई होती है। पिछले 10 महीने में ऐसी 40 घटनाएं हो चुकी हैं। जब भी पुलिस किसी अपराधी, तस्कर, बलात्कारी या हत्यारे की धर-पकड़ के लिए जाती है तो स्थानीय लोग पुलिसकर्मियों को घेर कर पीटते हैं। दिल्ली में भी मेवात के युवा डकैती,हत्या, छीना-झपटी, बलात्कार आदि घटनाओं में शामिल पाए जाते हैं। दिल्ली में उन्हें 'मेवाती गिरोह' के नाम से जाना जाता है। जब भी दिल्ली पुलिस मेवाती गिरोह के किसी अपराधी को पकड़ने के लिए मेवात जाती है तो उसकी भी पिटाई होती है।

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