तीन मुख्यमंत्रियों ने नीति अयोग की मुख्य बैठक से किनारा किया
ममता बनर्जी और के चंद्रशेखर राव सहित तीन मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की पांचवीं बैठक में भाग नहीं लिया।
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ममता बनर्जी और के चंद्रशेखर राव सहित तीन मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की पांचवीं बैठक में भाग नहीं लिया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शनिवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की पांचवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक से दूरी बनाए रखी। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी नीति अयोग बैठक में शामिल नहीं हुए।
आपको बता दें ममता बनर्जी ने पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की इस बैठक को बेकार बताते हुए इसमें भाग लेने से इंकार कर दिया था। वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने व्यस्तता का हवाला देते हुए इस बैठक में ना आने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि राज्य में एक सिंचाई परियोजना के उद्घाटन की तैयारियों में व्यस्त हैं, जिस कारण वे नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में नीति अयोग बैठक में शामिल नहीं होने के अपने निर्णय से अवगत कराया। 3 पृष्ठ लंबे पत्र में, ममता बनर्जी ने साफ शब्दों में कहा था कि इस बैठक में भाग लेना बेकार है क्योंकि इस बैठक का एजेंडा राज्यों से परामर्श किए बिना केंद्र द्वारा किया गया है।
हालांकि ममता बनर्जी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके मंत्रिमंडल का कोई अन्य मंत्री उनकी ओर से बैठक में शामिल होगा या नहीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि योजना आयोग नीति आयोग की तुलना में अधिक प्रभावी था और उसकी वापसी की मांग की। बनर्जी ने कहा, "मैंने समान विचार वाले मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर साथ आने और योजना आयोग की वापसी करने की मांग करने को भी कहा।"
दूसरी ओर के चंद्रशेखर राव ने कहा है कि वे सिंचाई परियोजना के उद्घाटन की तैयारी में व्यस्त हैं। दोनों नेताओं ने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी अनुपस्थिति दर्ज़ कराई थी। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज करने के बाद से यह पहली बैठक है। बैठक राष्ट्रपति भवन में होगी।
नीति आयोग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, वर्षा जल संचयन, सूखे की स्थिति और राहत के उपाय, आकांक्षात्मक जिलों को बदलने के साथ-साथ वामपंथी अतिवाद प्रभावित जिलों पर विशेष ध्यान देने के साथ सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है।