महाराष्ट्र : पैगंबर के 'अपमान' पर दंडित करने के लिए मुस्लिम समूहों की 'पैगंबर मोहम्मद बिल' मांग
दुनिया में एकमात्र वो देश जिसका धार्मिक/सांस्कृतिक इतिहास 'शास्त्रार्थ' का रहा है, जिस देश में में ईश्वर से भी प्रश्न पुछने को भक्त का अधिकार माना जाता हो
दुनिया में एकमात्र वो देश जिसका धार्मिक/सांस्कृतिक इतिहास 'शास्त्रार्थ' का रहा है, जिस देश में में ईश्वर से भी प्रश्न पुछने को भक्त का अधिकार माना जाता हो
आज भारत के एक राज्य 'महाराष्ट्र' में एक मजहब विशेष के लोगों द्वारा पाकिस्तान एवं अन्य कट्टर इस्लामिक मुल्कों की तर्ज़ पर 'ईश-निंदा' जैसा एक कानून लाने की मांग की जा रही है और उस कानून को नाम दिया जा रहा 'पैगंबर मुहम्मद बिल'!!
ऐसा उस देश में करने की कोशिश हो रही है जो "दुनिया में एकमात्र वो देश जिसका धार्मिक/सांस्कृतिक इतिहास 'शास्त्रार्थ' का रहा है, जिस देश में में ईश्वर से भी प्रश्न पुछने को भक्त का अधिकार माना जाता हो, जहाँ 'गीता' जैसे सर्वकालिक ग्रंथ का निर्माण भक्त और भगवान के मध्य हुये तर्क पूर्ण प्रश्न - उत्तर के आधार पर हुआ हो, जहाँ किसी भी धर्म/पंथ/मजहब में विश्वास न रखने वाले व्यक्ति को भी अपने विचारों के साथ जीने की पूर्ण स्वतन्त्रता है।
आज ये लोग पैगंबर मुहम्मद के नाम पर एक राज्य में बिल लाने के लिए दबाब बना रहे हैं और कल ये ही दबाब ये पूरे देश में भी बनाने की कोशिश करेंगे!!
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भीमराव अम्बेडकर के पौत्र प्रकाश अम्बेडकर के नेतृत्व में वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) और कुछ मुस्लिम धार्मिक समूहों जैसे रज़ा अकादमी और तहफ़ुज़ नमूस-ए-रिसालत बोर्ड (पैगंबर के सम्मान बोर्ड का संरक्षण) ने राज्य सरकार पर "पैगंबर मुहम्मद बिल" पेश करने का दबाव बनाने के लिए हाथ मिलाया है।
इस बिल का एक मात्र उद्देश्य उन लोगों को सज़ा दिलाना है जो किसी भी रूप में 'पैगंबर मोहम्मद का अपमान' करें। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार से उन लोगों को दंडित करने के लिए एक विशेष कानून लाने की मांग की है और उसे नाम दिया गया है "पैगंबर मुहम्मद बिल"...
हालांकि मुस्लिम समूहों में इसे 'पैगंबर मुहम्मद विधेयक' के रूप में लोकप्रिय किया जा रहा है। मुस्लिम उलेमाओं/प्रमुखों द्वारा इस बिल का ड्राफ्ट पहले ही तैयार किया जा चुका है। अब इसे राज्य सरकार को देकर विधानसभा में पास कराने के लिए दबाब बनाया जाएगा। जिससे कि पैगंबर मुहम्मद और अन्य सभी धर्मों के प्रमुखों एवं हस्तियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर रोक लगेगी।
मौलाना मोइन अशरफ कादरी (मोइन मियां), जो रिसालत बोर्ड के प्रमुख हैं ने कहा, 'यह हमारा सुझाव है कि इसे 'पैगंबर मुहम्मद और अन्य धार्मिक प्रमुखों की निंदा अधिनियम, 2021' या 'अपमानजनक भाषा (रोकथाम) अधिनियम, 2021' शीर्षक दिया जा सकता है। लेकिन सरकार जो चाहे नाम दे सकती है। हमारी मांग है कि हमारे पवित्र पैगंबर और धर्मगुरुओं की निंदा, उपहास और अपमान को रोकने के लिए एक मजबूत कानून होना चाहिए। इस प्रकार का अपराध करने वालों के विरुद्ध अभी जो कानून हैं वे अपर्याप्त एवं कमजोर हैं, इसी कारण से सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं होती हैं," मौलाना मोइन अशरफ कादरी अखिल भारतीय सुन्नी जमीयतुल उलेमा के अध्यक्ष भी हैं।
इस बिल के पीछे मुस्लिमों का एक प्रभावशाली संगठन 'रज़ा अकादमी' मजबूती से खड़ा है, रज़ा अकादमी के अनुसार वे चाहते हैं कि या तो "तहफ़ुज़ ए नमोस ए रिसालात" विधेयक विधानसभा में पारित हो अन्यथा इसके लिए वे देशव्यापी विरोध आरंभ करेंगे।
Assembly Mein Tahaffuz e Namoos e Risaalat Bill Manzoor Kiya Jaaye - Hazrat Saiyyad Moin Miya
— Raza Academy (@razaacademyho) July 5, 2021
Hamare Jaayez Mutalbaat Agar Pure Nahi Hue To Hum Mulkgeer Ehtejaj Karenge - Raza Academy#RazaAcademy pic.twitter.com/Jc6SaOPWg5
यहाँ ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि भारत में सीधे - सीधे 'ईशनिंदा' के खिलाफ कोई कानून नहीं है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (ए) के तहत कानून है जिसमें 'जानबूझकर किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वालों के खिलाफ कारावास और जुर्माना का प्रावधान है। धारा 295 (ए) में के अनुसार अगर किसी ने "जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से" किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो आरोपी को जुर्माना और 3 साल तक की कैद का प्रावधान है।
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लेकिन लगता है कि मुस्लिम उलेमा एवं मुस्लिम संगठन वर्तमान कानून से संतुष्ट नहीं हैं और वो भारत से दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में भी पाकिस्तान और अन्य कट्टर इस्लामिक मुल्कों जैसा 'ईश-निंदा' कानून लागू कराना चाहते हैं।
"पैगंबर मुहम्मद बिल" के समर्थन में मुस्लिम संगठनों द्वारा प्रकाश अम्बेडकर को सिर्फ इसलिए साथ लिया गया है जिससे कि देश के लोगों को ये ना लगे कि केवल मुस्लिम संगठन ही इस बिल को नहीं ला रहे अपितु कुछ गैर-मुस्लिम भी उनके साथ हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता 'अबु आजमी' ने इस प्रस्तावित विधेयक के बारे कहा "कि यह विधेयक काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो कोई भी हमारे पैगंबर साहब के खिलाफ अपमानजनक बातें कहेगा उसे सजा मिलेगी। आगे उन्होंने कहा, 'सलमान रूश्दी जैसे लोग जो घृणा फैलाते हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। यह विधेयक केवल मुस्लिमों के लिए नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए होना चाहिए ताकि कोई भी गांधी जी, विवेकानंद के खिलाफ गलत बातें न करे।' सपा नेता ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को इस विधेयक का समर्थन करना चाहिए।