कुम्भ 2019: एतेहासिक मेले की ऐतिहासिकता

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कुम्भ 2019: एतेहासिक मेले की ऐतिहासिकता

उत्तंर प्रदेश के प्रयागराज शहर में आस्था का कुंभ संपन्न हो चुका है। लेकिन इस बार का कुंभ अपने आप में काफी ऐतिहासिक रहा है।‌ इस बार के कुंभ के जरिए संस्कृति, अध्यात्मिक्ता और सबसे बेहतर स्वच्छता का प्रदर्शन देखने को मिला। जो पर्यावरण और स्वच्छता के लिहाज से आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार के रिकार्ड के मुताबिक, लगभग इस बार 24 करोड़ लोगों ने कुंभ के मौके पर डुबकियां लगाई। इस बार के कुंभ की खासियत एक और यह भी रही कि पर्यावरण के हितों में अनुकूल, और पर्यावरण की बिगड़ती दशा से अवगत कराने के लिए नए विचारों पर काम किया गया।

स्वच्छता और पर्यावरण के हितों के लिए उठाए जाने वाले कदम और समस्याओं से निपटने के लिए सी.एस.आई.आर (काउंसिल आफ साइन्टिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) की सहायक विंग, नीरी (एन.ई.ई.आर.आई) ने खासा जोर दिया और कुंभ के दौरान कार्यक्रम कर इन बातों पर जोर दिया। सरकारी संस्थान होने के नाते स्थायी वातावरण के लिए प्रोद्योगिकी का उपयोग करने के लिए सी.एस.आई.आर की विंग नीरी द्वारा ग्रीन वॉल की पहल की शुरुआत की गई। नीरी ने लगातार कार्यक्रम कर के 4 मार्च 2019 तक इस पवित्र नगरी में लोगों के बीच जागरूकता लाने पर कार्य किया। कुंभ मेले में लोगों की भारी संख्या, भारत के साथ-साथ दुनिया भर के विभिन्न देशों के लोग प्रतिदिन कुंभ स्नान के जरिए कार्यक्रम से जुड़े। कुल मिलाकर इस पहल से वैश्विक स्तर पर ग्रीन वॉल को लेकर लोगों में जागरूकता आई।

दूसरी ओर, कुंभ में ग्रीन वॉल के शुरू होने के कारण सीमित समय में बड़ी संख्या में लोगों को जानकारी देना भी था। नीरी के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने कार्यक्रम के सफल होने पर अपने संबोधन में कहा, 'इस आधुनिक और अत्याधुनिक तकनीकी दुनिया में कई पर्यावरणीय मुद्दे हैं। जो हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। इस ग्रह पर सभी मनुष्यों के प्रभाव से सभी पर्यावरणीय मुद्दों को संबंधित आधार पर तत्काल हल करने की आवश्यकता है। आम लोगों में जागरूकता बढ़ाना बहुत आवश्यक है। बढ़ते प्रदूषण सूचकांक, ग्लोबल वार्मिंग, तापमान में वृद्धि, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, जैसे कि जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट। इसके अलावा और भी अन्य कारण हैं।‌ इन समस्याओं के लिए लोगों को उनके खतरों और समाधानों के बारे में जागरूक करना बहुत आवश्यक है।


डॉ कुमार ने बताया कि लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए सी.एस.आई.आर एंव नीरी ने ग्रीन वॉल अभियान शुरू किया है। इस दुनिया को हरियाली वाली जगह बनाने में योगदान करने के लिए एक पहल है। इस अभियान के तहत लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही कैसे उनके छोटे छोटे प्रयासों से पृथ्वी को हरियाली में बदला जा सकता है। कमरे से बाहर जाने से पहले प्रकाश और पंखे बंद करना, कूड़ेदान के अलावा कूड़े का कहीं ढेर न लगने देना, अपने आसपास पेड़-पौधे लगाना, पानी की बर्बादी को रोकना और पर्यावरण के प्रति सतर्क रहना, यही लोगों को ग्री‌न वॉल की पहल का समर्थन करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

नीरी टीम ग्रीन वॉल के संबंध में लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए डिजिटम माध्यमों का‌ भी सहारा लिया है। आज के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन है। इसी को ध्यना में रखते हुए नीरी के ने एक डिजिटल विवरणिका भी तैयार किया है। यह विवरणिका आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही समार्टफोन में सोशल मीडिया के जरिए या क्यूआर कोड स्कैन करके एक दूसरे को आसानी से विवरणिका भेजा जा सकता है। नीरी ग्रीन वॉल के बारे में सोशल मीडिया और वेबसाइटों के जरिए भी पाठकों तक जानकारी पहुंचाने पर कार्य कर रहा है। हमारा मानना है कि डिजिटलाइजेशन के युग में यह बहुत आसान तरीका है। जो लोग कुंभ में नहीं आ सके थे, वे भी सोशल मीडिया और ई-विवरणिका पढ़कर ग्री‌न वाॅल के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटा सकते हैं।'

आपको बता दें, प्रयागराज में कुंभ मेले में ग्रीन वॉल पहल स्टॉल देखने के लिए प्रतिदिन लगभग 10 हजार लोग आए। इस तरह महीने के लंबे कार्यक्रम में लगभग 6 लाख लोग स्टॉल पर जुटे और ग्रीन वॉल पर जानकारी जुटाए।‌ उम्मीद लगाया जा रहा है कि ई-विवरणिका के उपलब्ध होने पर और भी लोगों में ग्रीन वॉल के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी।‌ हमने ई-विवरणिका पर इसलिए भी अधिक जोर दिया, क्योंकि अमूमन लोग कहीं मेले में घूमने और आस्था से जुड़े स्थान पर अन्य किसी कार्यक्रम में मन से शामिल नहीं होते हैं।‌ हालांकि, नीरी के लिए यह कार्यक्रम इस बीच करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों में अक्सर देखा जाता है कि कार्यक्रम के दौरान आए अतिथियों को जब भी विवरणिका (ब्रोशर) दिया जाता है। लोग बिना पढ़े इधर उधर फेंक कर चले जाते हैं। जिससे कार्यक्रम का उद्देश्य और भी विपरीत दिशा में चला जाता है और सफल नहीं हो पाता है।

नीरी के टीम ने गहण चर्चा के बाद ई-विवरणिका ( आॅनलाइन ब्रोशर) का उपाय सूझाया। जिससे कागज़ की बर्बादी को भी रोका जा सके। प्रिंटिंग पर भी संस्थान का व्यर्थ खर्च न हो और उद्देश्य भी सफल हो जाए। इसको लोग कभी भी फुर्सत में अपने स्मार्टफोन पर पढ़ सकते हैं। ई-विवरणिका के माध्यम से अधिक लोगों को आॅनलाइन एक दूसरे को भेजकर पर्यावरण और ग्रीन वाॅल के प्रति जागरूक किया जा सकता है।

इसी उद्देश्य से नीरी की टीम ग्रीन वाॅल की पहल कर के व्यावहारिक रूप से लोगों को प्रेरित कर एक बदलाव का हिस्सा बनाने में सहयोग कर रही है, और बेहतर और स्वस्थ वातावरण के लिए पहल करने की प्रतिज्ञा करती है। व्यावहारिक रूप से करीब 2 करोड़ 60 लाख पृष्ठों और हजारों पेड़ों को बचाया जा चुका है। लोग बड़े पैमाने पर पर्यावरण के प्रति संकल्प लेकर इस पहल का समर्थन कर रहे हैं। लोग ग्रीन वॉल पहल का समर्थन करने का संकल्प ले रहे हैं। ग्रीन वॉल वीडियो को लोग अलग अलग प्लेटफॉर्म पर पसंद और अपने चिर-परिचितों को शेयर कर उन्हें भी पर्यावरण के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। यह पहल लोगों को बहुत हद तक प्रभावित करने में सफल‌ रही है। क्योंकि देशभर में क‌ई लोग प्रतिज्ञा लेते हुए अपने वीडियो को लगातार शेयर कर रहे हैं। अब तक 3000 से अधिक लोगों द्वारा पहल के समर्थन में ग्रीन वाॅल फेसबुक के पेज को पसंद किया जा चुका है।

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