जज V/s जनता और लोकतंत्र में बराबरी का भ्रम !!!
चूँकि सरकार की मज़बूरी होती है की वह नैतिकता और संविधान की मर्यादाओं के कारण किसी जज के खिलाफ खुल कर कोई टिप्पड़ी नहीं कर सकती.... लेकिन देश के आम नागरिको को अपने देश के सुप्रीम कोर्ट से सवाल पूछने और उनके संदेहास्पद आचरण पर खुल कर सवाल करने का हक़ होना चाहिए... और ये हक़ तब जरुर होना चाहिए जब आम जनता के मन में देश की सर्वोच्च न्यायपलिका के आचरण से संदेहों की श्रंखला तैयार हो जाए।


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चूँकि सरकार की मज़बूरी होती है की वह नैतिकता और संविधान की मर्यादाओं के कारण किसी जज के खिलाफ खुल कर कोई टिप्पड़ी नहीं कर सकती.... लेकिन देश के आम नागरिको को अपने देश के सुप्रीम कोर्ट से सवाल पूछने और उनके संदेहास्पद आचरण पर खुल कर सवाल करने का हक़ होना चाहिए... और ये हक़ तब जरुर होना चाहिए जब आम जनता के मन में देश की सर्वोच्च न्यायपलिका के आचरण से संदेहों की श्रंखला तैयार हो जाए।
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