इलाज़ के नाम पर लूट की मोडस ऑपरेंडी....

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मैं डाक्टर संजीव भारद्वाज के पास वापस लौटा... मरीज़ की अतिसामान्य आर्थिक हालात का ज़िक्र करते हुए... सस्ती औषधि लिखने की प्रार्थना की.... डाक्टर संजीव भारद्वाज ने बेहद तल्ख भाषा कहा कि "दवाइयां लेनी हो त�

(विशेष कारणों से मरीज़ का नाम परिवर्तित है)

बलिया के मित्र अरविंद मणि का फोन आया कि वह जनकपुरी वेस्ट मेट्रो पर हैं... उन्हें मेरी मदद की ज़रूरत थी... कार्यालय की छुट्टी थी.. एक घंटे में जनकपुरी वेस्ट स्टेशन पहुँच गया। पता चला उन्हें यकृत संबंधी तकलीफ है। उन्हें जनकपुरी के आयुर्वेदिक डॉक्टर "संजीव भारद्वाज" को दिखाना था।

पता चला कि डाक्टर भारद्वाज कई इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर दिखाई देते हैं, उनका यूट्यूब चैनल भी है जिसमें वह यकृत, हार्ट.. पैरालिसिस इत्यादि रोगों को संतोषजनक तरीके से खत्म करने का दावा भी करते हैं। यही देखकर अरविंद मणि बलिया से चलकर दिल्ली आए थे।

बहरहाल यह देख कर चौंक गया कि अरविंद अकेले थे.... बीमारी का क्वांटम देख उन्हें बलिया से दिल्ली की यात्रा नहीं करनी चाहिए थी... हम दोनों डॉ संजीव की क्लिनिक पहुंचे... डाक्टर की फीस रु 2500/- है। मामला काफी हाई-फाई लगा। स्टाफ से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की... कि डाक्टर भारद्वाज ब्रांडेड दवाइयां प्रयोग करते हैं या नहीं। डाक्टर साहेब दवाइयां खुद ही बनाते हैं या आयुर्वेदिक कम्पनियों के उत्पाद प्रयोग करते हैं... दवाइयां अनुमानतः प्रति माह कितने की होंगी। स्टाफ काफी ट्रेंड था... कुछ भी बताने से... मुस्कुरा कर इनकार कर दिया।

दवाई के मूल्य की जानकारी चाहने के पीछे कारण यह था कि अरविंद निम्न माध्यम आय वर्ग से आते हैं... अगर महँगी दवाइयां खरीद नहीं सकते तो रू॰ 2500/- की कंसल्टेशन फीस देने का क्या औचित्य था... जबकि रोग का प्रकार तो अरविंद और उनके परिवार को पहले से ही पता ही था।

खैर रू॰ 2500/- की फीस जमा कर डाक्टर भारद्वाज के चैंबर दर्शन हुए। डाक्टर साब काफी जल्दी में थे... फटाफट सरसरी निगाह से पुरानी रिपोर्ट्स और अन्य डॉक्टरों के पर्चे देखे... मरीज़ की तरफ उन्होंने कोई खास तवज्जो देने की ज़रूरत नहीं समझी। अब मैंने हस्तक्षेप किया कि डॉक्टर साहब मरीज़ का नाड़ी आकलन तो कर ही लें (आयुर्वेदिक उपचार में नाड़ी परीक्षा का विशेष महत्व है) और पेट पर हाथ लगाकर कम से कम यह तो जांच लें कि लिवर में सख्ती या बढ़ोत्तरी बहुत ज़्यादा तो नहीं है...

डाक्टर साहेब बोले मैंने सब पर्चों से देख लिया है... पेट और नाड़ी पर हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है। अर्थात डाक्टर साहेब लाइलाज मरीजों का इलाज बगैर मरीज़ को छुए ही करते हैं। मैंने तो FRCS डॉक्टरों को गहनता से पेट को दबा दबा कर जांच करते देखा है। बहुत से आयुर्वेदिक डाक्टर तो सिर्फ नाड़ी देख कर रोग का पता कर लेते हैं। तदोपरांत.. पैथालॉजी टेस्ट या दवाइयां लिखते हैं। डाक्टर साहेब अति आत्मविश्वास से भरे थे। डाक्टर ने मुझे आंखों से वार्निंग दी और चुप रहने का इशारा किया। बताया कि डेढ़ साल दवा चलेगी और दवाइयां लिख दीं.... क्लिनिक के बगल में ही डाक्टर की फार्मेसी है। हम दवाइयां लेने पहुंचे।

अरविंद ने पूँछा कि एक माह की दवाई कितने रूपये की है ? जवाब मिला रू॰15000/- ... यानी छः माह के रू॰ 90,000/- यानी एक साल के रू॰ 1,80,000/- अर्थात डेढ़ साल के रू॰ 2,70,0000/- .... सिर्फ दवाइयां... अन्य टैस्ट वगैरा अलग से। किसी गारंटी का कोई मतलब नहीं। साधारण हरड़-बहेड़ा-आंवला कुटकी, अमालकी, गिलोय, कालमेघ जैसी हर्ब्स... सामान्य रेट वाली औषधियां इतने ऊंचे रेट पर।

अरविंद मणि... दवाइयों के रेट सुनकर भौचक्के रह गए। जिस देश मे मोदी सरकार की शानदार औषधि और चिकित्सा पॉलिसियों के चलते हार्ट का स्टैंट रू॰ 28000/- में मिलता हो... लाइफ सेविंग ड्रग्स के रेट 90 % कम आ गए हों.. गरीबों में फ्री में इलाज की सुविधा मिलती हो... वहीं आयुर्वेदिक और अक्सर होमियोपैथी के नाम पर... क्रोनिक बीमारियों के इलाज के रूप में इतना आर्थिक शोषण और दोहन।

मैं डाक्टर संजीव भारद्वाज के पास वापस लौटा... मरीज़ की अतिसामान्य आर्थिक हालात का ज़िक्र करते हुए... सस्ती औषधि लिखने की प्रार्थना की.... डाक्टर संजीव भारद्वाज ने बेहद तल्ख भाषा कहा कि "दवाइयां लेनी हो तो लो... टाइम बर्बाद मत कीजिए"

बलिया से आये अरविंदमणि और मैं बगैर दवाई लिए... निराश कदमों से बाहर आ गए।

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डॉ संजीव एवं इस प्रकार विज्ञापन के माध्यम से इलाज़ के बड़े - बड़े दावे करने वाले डाक्टरों के खिलाफ इस तरह की और भी शिकायतें समय - समय पर आती रहती हैं

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