मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या पर राष्ट्रपति कोविन्द ने जताई चिंता

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मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या पर राष्ट्रपति कोविन्द ने जताई चिंता
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश में मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि इस चुनौती से निपटने के लिए विशेषज्ञों की संख्या कई गुना बढ़ाने की जरूरत है।
श्री कोविंद ने आज राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि निमहांस के हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक देश की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा किसी न किसी तरह के मानसिक रोग से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि देश में जनसांख्यिकी संबंधी और आर्थिक बदलावों के कारण लोगों को शारीरिक और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है जिससे मानसिक बीमारियां बढ़ रही हैं। निमहांस के सर्वेक्षण के नतीजे चिंताजनक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि 1.3 अरब लोगों में से 10 फीसदी मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं। यह संख्या जापान की कुल आबादी के बराबर है। उन्होंने कहा कि देश के समक्ष इस समय अाम स्वास्थ्य समस्याओं, गंभीर मानसिक बीमारियों और वस्तुओं का उपयोग एवं दुरुपयोग जैसी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा पीढ़ी भी जीवन शैली में बदलाव और पेशेगत समस्याओं के कारण उत्पन्न हुई स्थितियों से प्रभावित हो रही है।
श्री कोविंद ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर वर्षों से चली आ रही भ्रांति को दूर करने की जरूरत है क्योंकि इससे रोगियों की हालत और खराब होती है। अवसाद जैसी बीमारियों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए बल्कि उनका इलाज कराया जाना चाहिए। जागरुकता और शिक्षा के प्रचार-प्रसार से इस तरह की समस्याओं के उन्मूलन में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा, "मैं निमहांस द्वारा विकसित समुदाय आधारित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बेल्लारी माॅडल के क्रियान्वयन की पुरजोर वकालत करता हूं। यह मानसिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आदर्श है और देश के हर जिले में इसे अपनाया जाना चाहिए।"

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