चीनी घुसपैठ का तूतिंग मसला सुलझ गया है : आर्मी चीफ
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीनी सड़क निर्माण दल, भारतीय क्षेत्र के तूतिंग में लगभग एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। सूत्रों के अनुसार वह उस भारतीय क्षेत्र में रास्ता बनाने के उद्देश्य से घुसे थे, लेकिन भारतीय सैन्य दलों से सामना होते ही ये दल वापस लौट गए और अपने पीछे सड़क निर्माण के बहुत सारे उपकरणों को छोड़ गए।
Dr Anil Verma | Updated on:8 Jan 2018 10:45 PM IST
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सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीनी सड़क निर्माण दल, भारतीय क्षेत्र के तूतिंग में लगभग एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। सूत्रों के अनुसार वह उस भारतीय क्षेत्र में रास्ता बनाने के उद्देश्य से घुसे थे, लेकिन भारतीय सैन्य दलों से सामना होते ही ये दल वापस लौट गए और अपने पीछे सड़क निर्माण के बहुत सारे उपकरणों को छोड़ गए।
नयी दिल्ली (एजेंसी) : भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने आज बताया कि अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में चीन की अनाधिकृत प्रवेश का ''तूतिंग मसला" सुलझा लिया गया है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही भारतीय सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में चीन के सड़क निर्माण दल द्वारा वहाँ अनाधिकृत रूप से सड़क बनाने के प्रयासों को भारतीय सेना ने विफल कर दिया था।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीनी सड़क निर्माण दल, भारतीय क्षेत्र के तूतिंग में लगभग एक किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। सूत्रों के अनुसार वह उस भारतीय क्षेत्र में रास्ता बनाने के उद्देश्य से घुसे थे, लेकिन भारतीय सैन्य दलों से सामना होते ही ये दल वापस लौट गए और अपने पीछे सड़क निर्माण के बहुत सारे उपकरणों को छोड़ गए।
आर्मी चीफ ने बताया कि अरुणाचल में दो दिन पहले दोनों पक्षों के बीच हुई एक सीमा कार्मिक बैठक (BPM) में अब इस मुद्दे को सुलझा लिया गया। उनके मुताबिक सिक्किम सेक्टर के डोकलाम क्षेत्र में भी अब चीनी सैन्य टुकड़ियों की तैनाती में काफी कमी देखी गई है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों भारत और चीनी सेना के बीच 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद के खत्म होने के लगभग चार महीने बाद इस तरह की कोई घटना सामने आई है।
इसके साथ ही दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि, हम धीरे-धीरे हथियारों के आयात को कम करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब इस बात को पुख्ता करने का समय आ गया है कि "हम अगली लड़ाई अपने देश में बने हथियारों के दम पर ही लड़ें"।
ध्यान देने की बात है कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से हथियारों के निर्माण को लेकर कई नए कदम उठाए गए हैं। कई विदेशी कंपनियों से इस बात के समझौते किए गए हैं कि "वह अपने उत्पादों का निर्माण भारत में ही करेंगी"। सरकार ने हथियारों को देश में ही विकसित करने के काम को अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' से भी जोड़ा है।