देश की सर्वोच्च ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ और उसके गद्दार ??
रॉ के डबल एजेंट रवि मोहन के पलायन के बाद जहां अमेरिका ने कड़ी कार्रवाई की वहीं अपने देश में कुछ भी नहीं हुआ। सीआइए ने रवि को भगाने में शामिल काठमांडू के एजेंट को जबरन रिटायर कर दिया। इसके अलावा भी कई लोगों पर कार्रवाई हुई। लेकिन रॉ में जो 57 लोग रवि मोहन की मदद कर रहे थे, उनमें से 26 से कोई सवाल-जवाब ही नहीं किया गया। बाकी 31 इस समय विदेश में तैनात हैं।
पवन अवस्थी | Updated on:25 May 2018 4:03 PM IST
रॉ के डबल एजेंट रवि मोहन के पलायन के बाद जहां अमेरिका ने कड़ी कार्रवाई की वहीं अपने देश में कुछ भी नहीं हुआ। सीआइए ने रवि को भगाने में शामिल काठमांडू के एजेंट को जबरन रिटायर कर दिया। इसके अलावा भी कई लोगों पर कार्रवाई हुई। लेकिन रॉ में जो 57 लोग रवि मोहन की मदद कर रहे थे, उनमें से 26 से कोई सवाल-जवाब ही नहीं किया गया। बाकी 31 इस समय विदेश में तैनात हैं।
कल दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं, जिनमे पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति मियाँ हामिद अंसारी, तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिव्वल ने पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी और भारतीय एजेंसी R&AW के पूर्व प्रमुख आर॰एस॰ दौलत के द्वारा सयुक्त रूप से लिखी पुस्तक का विमोचन किया था .....
मनमोहन सरकार के समय में इंटेलिजेंस एजेंसियों का क्या हाल था इस पर आज से 8 वर्ष पहले मेरे द्वारा लिखा गया एक पोस्ट !!!
देश की सर्वोच्च ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ में 57 लोग भारत के गद्दार .....!!!
जो मित्र भारत की इंटेलीजेंस एजेंसियों के अंदर घट रहे उन घटनाक्रमों की जानकारी चाहते हैं जिनके बारे में देश की मीडिया ज्यादा जानकारी नहीं देता,,, जो घटनाएं देश के दूरगामी हितों को बहुत गहराई तक प्रभावित करती हैं... भारत की गुप्तचर एजेंसियों के माध्यम से दुश्मन देश कैसे भारत को कमजोर करते हैं... कैसे देश के नेता मंत्री और भ्रष्ट नौकरशाह दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के हांथो में खेलते हैं आदि घटनाक्रमों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराती एक पुस्तक रिलीज हुई है जो मित्र इच्छुक हो वो इस पुस्तक को जरुर पढ़ें इसका नाम है "एस्केप टू नो-व्हेयर" (Escape to No Where).. इसके लेखक हैं खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी 'अमर भूषण'.......................!!!
देश की सर्वोच्च ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ में जो 57 लोग भारत के गद्दार 'रवि मोहन' की मदद कर रहे थे, उनमें से 26 से कोई सवाल-जवाब ही नहीं किया गया। बाकी 31 इस समय विदेश में तैनात हैं........................।
देश की खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी 'अमर भूषण' का दावा है कि उनकी किताब 'एस्केप टू नो-व्हेयर' हकीकत नहीं, एक फसाना है, लेकिन इसमें सिर्फ व्यक्तियों और एकाध जगहों के नाम भर बदले गए हैं। बाकी पूरी कहानी सच्ची है। यह कहानी है 'रवींद्र सिंह' की। सेना के पूर्व मेजर और रॉ में संयुक्त सचिव रवींद्र सिंह के मई, 2004 में अचानक गायब हो जाने के बाद जो तथ्य सामने आए, उनसे पता चला कि कैसे देश के गद्दार दूसरे देशों के लिए काम कर रहे हैं, और देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगा रहे हैं। उसी रवींद्र सिंह की कहानी उपन्यास की शक्ल में जल्दी ही पाठकों के सामने होगी। यह पुस्तक इस मामले में अलग है कि इसमें कोई अध्याय नहीं है।
पहले दिन से जब रॉ के मुखिया जीवनाथन को पता चलता है कि रवि मोहन (रवींद्र सिंह) का व्यवहार संदिग्ध है, वहां से लेकर 96वें दिन वरास्ते नेपाल उसके अमेरिका भाग जाने तक की बात रोमांच से भरपूर हैं। उसे भगाने में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए मदद करती है। सबसे दुखद बात यह है कि नौकरशाही के उच्चाधिकारी रवि मोहन के मामले में कार्रवाई न करने का दबाव डाल रहे थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे अमेरिका के साथ रिश्ते खराब होंगे। इसके बावजूद रॉ के कुछ प्रतिबद्ध अधिकारियों ने रवि मोहन की एक-एक गतिविधि पर नजर रखी। उसके ऑफिस और कार में कैमरा फिट किया गया। वह जिस जिम में जाता था, वहां एक एजेंट प्लांट किया गया। जब वीडियो से पता चला कि वह रोज संवेदनशील फाइलें लेकर घर जाता है तो उसे रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया।
लेकिन सीआइए के जिस हैंडलर के लिए रवि मोहन काम कर रहा था, उसकी पहचान नहीं हो पाने के कारण ही गिरफ्तारी नहीं हो पाई और वह देश के भागने में कामयाब रहा। खुफिया एजेंसियां भी कुछ नहीं कर पाई। रॉ के डबल एजेंट रवि मोहन के पलायन के बाद जहां अमेरिका ने कड़ी कार्रवाई की वहीं अपने देश में कुछ भी नहीं हुआ। सीआइए ने रवि को भगाने में शामिल काठमांडू के एजेंट को जबरन रिटायर कर दिया। इसके अलावा भी कई लोगों पर कार्रवाई हुई। लेकिन रॉ में जो 57 लोग रवि मोहन की मदद कर रहे थे, उनमें से 26 से कोई सवाल-जवाब ही नहीं किया गया। बाकी 31 इस समय विदेश में तैनात हैं।
Tags: #RAW#Amar Bhushan#Central Investigation Agency#Rabinder Singh#Jeevnathan#Ravinder Singh#escape-to-nowhere#हमीद अंसारी#मनमोहन सिंह#कॉंग्रेस