Dr. Shrikant Jichkar : भारतीय मनीषा की पहचान, जिनके पास था अनंत ज्ञान

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आपसे कोई पूछे भारत के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति का नाम बताइए जो डॉक्टर भी रहा हो, बैरिस्टर भी रहा हो, आईएएस/आईपीएस अधिकारी रहा हो, विधायक मंत्री सांसद भी रहा हो, चित्रकार photographer पेंटर भी रहा हो, मोटिवेशनल स्पीकर भी रहा हो, पत्रकार कुलपति भी रहा हो, संस्कृत गणित का विद्वान भी रहा हो, इतिहासकार भी हो समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रखता हो काव्य रचना भी लिखता हो।

अधिकांश लोग यही कहेंगे क्या ऐसा संभव है आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी संस्थान की।

भारतवर्ष में ऐसा व्यक्ति जन्म ले चुका है और 49 वर्ष की अल्पायु में भयंकर सड़क हादसे में इस संसार से विदा भी ले चुका है। उस व्यक्ति का नाम है श्रीकांत जिचकर। श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 में संपन्न मराठा कृषक परिवार में हुआ था। वह भारत के सर्वाधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, उनका नाम भारत के 'सबसे योग्य व्यक्ति' के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

श्रीकांत जी ने 43 से ज्यादा कॉलेजों से 20 से अधिक डिग्री हासिल की थी... रेगुलर व पत्राचार के माध्यम से वह भी फर्स्ट क्लास गोल्ड मेडलिस्ट, कुछ डिग्रियां तो उच्च शिक्षा में नियम ना होने के कारण उन्हें नहीं मिल पाई इम्तिहान उन्होंने दे दिया था। उनकी डिग्रियां एवं शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार थी... MBBS MD gold medalist, LLB, LLM, MBA, Bachelor in journalism, संस्कृत में डिलीट की उपाधि यूनिवर्सिटी टॉपर, M.a. इंग्लिश, M.a. हिंदी, M.a. हिस्ट्री, M.a. साइकोलॉजी, M.a. सोशियोलॉजी, M.a. पॉलिटिकल साइंस, M.a. आर्कियोलॉजी, M.a. एंथ्रोपोलॉजी, 1978 बैच आईपीएस, 1980 बैच आईएएस, अधिकारी 1981, 1986 से 92 तक वो महाराष्ट्र विधान परिषद के विधायक और 1992 से लेकर 1998 तक राज्यसभा सांसद रहे।

श्रीकांत जिचकर का जीवन वर्ष 1973 से लेकर 1990 तक की प्रत्येक गर्मी व सर्दी का सीजन तमाम यूनिवर्सिटी के इम्तिहान देने में गुजरा। 1980 आईएएस की 4 महीने की केवल नौकरी कर इस्तीफा दे दिया... 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के विधायक बने, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बने 14 पोर्टफोलियो हासिल कर सबसे प्रभावशाली मंत्री रहे... महाराष्ट्र में पुलिस सुधार किया... 1992 से लेकर 1998 तक बतौर राज्यसभा सांसद संसद की बहुत सी समितियों के सदस्य रहे वहां भी महत्वपूर्ण कार्य किया...|

1999 में भयंकर कैंसर एंड स्टेज डायग्नोज हुआ डॉक्टर ने कहा आपके पास केवल एक महीना है अस्पताल पर मृत्यु शैया पर पड़े हुए थे... लेकिन आध्यात्मिक विचारों के धनी श्रीकांत जिचकर ने आस नहीं छोड़ी उसी दौरान कोई सन्यासी अस्पताल में आया उसने उन्हें ढांढस बंधाया संस्कृत भाषा, शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया कहा तुम अभी नहीं मर सकते... अभी तुम्हें बहुत काम करना है... चमत्कारिक तौर से श्रीकांत जिचकर पूर्ण स्वस्थ हो गए... स्वस्थ होते ही राजनीति से सन्यास लेकर... संस्कृत में डिलीट की उपाधि अर्जित की कहा करते थे संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद मेरा जीवन ही परिवर्तित हो गया है मेरी ज्ञान पिपासा अब पूर्ण हुई है। पुणे में संदीपनी स्कूल की स्थापना की, नागपुर में कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसके पहले कुलपति भी बने।

उनका पुस्तकालय किसी व्यक्ति का निजी सबसे बड़ा पुस्तकालय था जिसमें 52000 के लगभग पुस्तके थी।

उनका एक ही सपना बन गया था भारत के प्रत्येक घर में कम से कम 1 संस्कृत भाषा का विद्वान हो तथा कोई भी परिवार मधुमेह है जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार ना हो... यूट्यूब पर उनके केवल 3 ही मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो उपलब्ध है।

ऐसे असाधारण लोग आयु के मामले में निर्धन होते हैं, अति मेधावी अति प्रतिभाशाली व्यक्तियों का जीवन ज्यादा लंबा नहीं होता, आदि शंकराचार्य, महर्षि दयानंद सरस्वतीया स्वामी विवेकानंद सरस्वती जैसे अनेक मनीषी भी अधिक उम्र नहीं जी पाए थे।

2 जून 2004 को नागपुर से 60 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र में ही भयंकर सड़क हादसे में श्रीकांत जिचकर का निधन हो गया।

संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार Holistic health को लेकर उनका कार्य अधूरा ही रह गया..।

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