लोकतंत्र का इफ़्तार, बाकी सब बेकार
जैन, बौद्ध, सिक्ख, पारसी के त्योहार पर कौन से राजनीतिक दल इस तरह के आयोजन करते हैं? इस दुहरे धर्मनिरपेक्षता से ज्यादा खतरा है लोकतंत्र को अपेक्षाकृत साम्प्रदायिकता के

- ऐसा क्या किया है इन दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने जो ये बड़े बड़े नेता इनके यहाँ नहीं पहुँचते है?
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Tags: #इफ्तार#रोज़े#इस्लाम#मुसलमान#लोकतन्त्र#धर्मनिरपेक्षता#सांप्रदायिकता#सेकुलरिज़्म#अल्पसंखयक राजनीति#Iftar#Ramzan#Islam#Muslim#Secularism#Minority