स्थानीय विरोध के बाद भी पार्क में जमा हुई नमाज़ियों की भीड़ : गुरूग्राम प्रशासन नाकाम
लेकिन जैसा कि नमाज़ियों की भीड़ बिना अन्य लोगों की चिंताओं या अधिकारों को देखे कहीं भी (मुख्य सड़कों पर भी) नमाज़ पढ़ना आरंभ कर देती है
लेकिन जैसा कि नमाज़ियों की भीड़ बिना अन्य लोगों की चिंताओं या अधिकारों को देखे कहीं भी (मुख्य सड़कों पर भी) नमाज़ पढ़ना आरंभ कर देती है
यह गुरूग्राम, हरियाणा, सेक्टर 43 RWA का पार्क है, आस पास IT की बड़ी मंझोली कम्पनियों के दफ्तर हैं ! एवं हिन्दू आबादी की बहुतायत है, यहाँ !
लेकिन जैसा कि नमाज़ियों की भीड़ बिना अन्य लोगों की चिंताओं या अधिकारों को देखे कहीं भी (मुख्य सड़कों पर भी) नमाज़ पढ़ना आरंभ कर देती है वैसा ही कुछ पिछले कुछ समय से इस सेक्टर 43 के पार्क में भी हो रहा था, पिछले कुछ समय से यकायक इस पार्क में जुमे की नमाज़ शुरू कर दी गई जबकि ये पार्क वहाँ के RWA का है...
आस पास के लोगों ने थोड़ा दबा-डरा विरोध किया तो उसके जबाब में आज अचानक इस पार्क में 1000-1200 की भीड़ नमाज़ हेतु इकट्ठी हो गयी....
सताए हुए स्थानीय लोगों ने एक स्थानीय चैनल को बुलाया... मगर महिला रिपोर्टर और कैमरामैन पार्क में घुसने की हिम्मत तक नहीं कर सके....
जब इसके बारे में पुलिस को खबर हुई, तो 2 पुलिसवाले वहाँ पहुँचे, लेकिन उन दोनों की भी पार्क में जाकर नामजियों से इस ज़ोर-ज़बरदस्ती पर सवाल करने की हिम्मत नहीं हुई, वह भी बाहर ही खड़े हो गए...
उसके बाद और पुलिस बल मंगाया गया, फलस्वरूप 3 पुलिसवाले और आ पहुँचे... मगर वह भी पार्क में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा सके... नमाज़ पार्क में बेरोकटोक-शान से चलती रही !
पार्क के बाहर ही एक मुस्लिम युवक से पुलिस वाले और महिला रिपोर्टर कोविड का वास्ता देते हुए, नमाज़ का परमिशन लैटर मांगते रहे.. युवक ने साफ-साफ कहा कि हम पर कोई परमीशन लैटर इत्यादि नहीं है...
बेचारे पुलिस वाले उस युवक को डांटने की हिम्मत तक नहीं जुटा सके... युवक "सैय्या भए कोतवाल, तो अब डर काहे का'' के अंदाज़ में निडर होकर जवाब देता रहा !....
जब नमाज़ खत्म हो गई, नमाज़ी वापस होने लगे, पार्क लगभग खाली हो गया, तब पुलिस वाले पार्क में प्रविष्ट हुए... फिर करने को कुछ नहीं रह गया था.... ऐसा रुतबा है जनाब मनोहर लाल खट्टर साहब का...
चित्रों को गौर से देखिये, पार्क के बाहर पीने और वज़ू करने के लिए पानी का टैंकर खड़ा है,
सैकड़ों वर्ग फुट लम्बी-चौड़ी दरियां दिखाई दे रही हैं,
जिन्हें किसी आस-पास की दो-तीन मस्जिदों से लाया गया हो सकता है ..
प्रश्न यह है कि कितने सुनियोजित तरीके से पार्को, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ें पढ़ी जा रही हैं... प्रशासनिक मशीनरी शायद इन सब गतिविधियों को सामान्य मानती है, लेकिन आजकल 10 सनातनी मिलकर कहीं आरती भी गाने लगे तो पुलिस लाठी फटकारने में देर नहीं करती !!