बड़ी जल परिवहन प्रणालियों के लिए अन्य "वैकल्पिक टेक्नोलोजी" समय की जरूरत : नितिन गडकरी

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देश में सिंचाई के लिए नहरों को बनाने में लगने वाले समय और लागत को कम करने के लिए सरकार का निर्णय है कि जल परिवहन प्रणाली के लिए बड़े-बड़े व्यास के पाइपों का प्रयोग नहरों के स्थान पर किया जाए।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में बड़ी जल परिवहन प्रणालियों के लिए वैकल्पिक प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल समय की मांग है।
नई दिल्ली स्थित होटल "ली मेरेडियन" में आज 'वृहद जल परिवहन प्रणाली के लिए अधिक व्यास वाले पाइपों के इस्तेमाल' विषय पर आयोजित एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए श्री गडकरी ने पावर ग्रिड और सड़क नेटवर्क की तर्ज पर देश में जल ग्रिडों के वि‍कास की आवश्यकता पर जोर दिया। इस कार्यशाला का आयोजन जल संसाधन मंत्रालय के तत्वावधान में वाप्कोस और राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी द्वारा किया गया है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे देश में पानी की कमी नहीं है, लेकिन जल संसाधनों की उचित योजना और प्रबंधन की कमी है। जिस कारण देश में 25 से 30 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगार गांव से शहरी इलाकों की तरफ केवल इसलिए पलायन करते हैं, क्योंकि उन्हें सिंचाई और कृषि के क्षेत्र से जुड़ी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। श्री गडकरी ने ड्रिप सिंचाई के जरिए जल संसाधनों के प्रभावी इस्ते्माल के महत्व की चर्चा करते हुए मध्य‍ प्रदेश का उदाहरण देते हुये कहा कि वहाँ ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देकर कृषि के क्षेत्र में 23 प्रतिशत विकास दर हासिल कर ली है, जबकि राष्ट्रीय औसत केवल 4 प्रतिशत है। मंत्री जी ने 8 लाख करोड़ रुपये के व्यय से देश में नदियों को जोड़ने की 30 प्रस्तावित परियोजनाओं का जिक्र किया। श्री गडकरी जी ने कहा कि हमारे सामने चुनौती है कि हम उपयुक्तत सस्ती, पर्यावरण हितैषी प्रौद्योगिकी का पता लगाएं, जिससे कि गुणवत्ता से बिना कोई समझौता किए शीघ्रता से जल का हस्तांतरण हो सके।
इस अवसर पर उपस्थित केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्यव मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता 'हर खेत को पानी' और 'वन ड्रॉप मोर क्रॉप' है, क्यों कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना प्रधानमंत्री मोदी का सपना है। उन्होंने कहा कि नहरों के जरिए सिंचाई और जल परिवहन काफी महंगा है और पर्यावरण तथा वनों की निकासी तथा भूमि अधिग्रहण जैसी समस्याओं के कारण इसमें काफी समय लग जाता है। डॉ. सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नहरों के स्थान पर जल परिवहन के लिए पाइपों का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। मंत्री महोदय ने इस उद्देश्य को पूरा करने हेतु विशेषज्ञों से आग्रह किया वे 'हर खेत को पानी' के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सस्ते और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों का पता लगाएं।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव श्री यू.पी. सिंह ने जल परिवहन के लिए अधिक व्यास वाले पाइपों के फायदों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में कई वर्षों से अनेक नहरों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन वह अभी भी पूरा नहीं हुआ है। नहर प्रणाली के विपरीत पाइपों के जरिए जल परिवहन के लिए भूमि अधिग्रहण और वन की निकासी की जरूरत नहीं पड़ती। जल के दूषित होने और वाष्पीकरण के कारण नुकसान की समस्या एं काफी कम हो जाती है। श्री सिंह ने कहा कि देश को सस्ती और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कार्यशाला में विशेषज्ञ ऐसा कोई समाधान निकालेंगे और आश्वासन दिया कि उनका मंत्रालय इस बारे में तेजी से कार्रवाई करेगा।
कार्यशाला में विनिर्माण कंपनियां, जल परिसंपत्ति प्रबंधन से जुड़े संगठन, इंजीनियरिंग विशेषज्ञ, केन्द्र और राज्य सरकारों एवं निजी कंपनियों के जल संसाधन विभाग जैसे महत्वनपूर्ण हितधारक भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में अमरीका, ब्राजील,इटली, चीन और दक्षिण अफ्रीका के भारतीय और विदेशी विशेषज्ञ अपने पेपर प्रस्तुत करेंगे।

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