Home > मुख्य समाचार > राष्ट्रीय > सिनेमाघरों में अब नहीं बजेगा राष्ट्रगान, केंद्र के हलफनामे के बाद SC ने बदला आदेश
सिनेमाघरों में अब नहीं बजेगा राष्ट्रगान, केंद्र के हलफनामे के बाद SC ने बदला आदेश
केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दिया था जिसमें केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि फिलहाल राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के लिए अनिवार्य ना किया जाए। क्योंकि इसके लिए केंद्र ने पांच दिसंबर को केंद्र सरकार ने इस मामले में मंत्रालयों की एक समिति बनाई है और वही राष्ट्रगान संबंधी हर पहलू एवं मुद्दे पर विस्तारपूर्वक जांच करने बाद निर्णय करेगी कि इसे अनिवार्य किया जाए या नहीं।


X
केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दिया था जिसमें केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि फिलहाल राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के लिए अनिवार्य ना किया जाए। क्योंकि इसके लिए केंद्र ने पांच दिसंबर को केंद्र सरकार ने इस मामले में मंत्रालयों की एक समिति बनाई है और वही राष्ट्रगान संबंधी हर पहलू एवं मुद्दे पर विस्तारपूर्वक जांच करने बाद निर्णय करेगी कि इसे अनिवार्य किया जाए या नहीं।
नयी दिल्ली, (समाचार स॰) : आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 30 नवम्बर 2016 के को दिये अपने अंतरिम आदेश में बदलाव कर दिया। 30 नवम्बर 2016 में SC के आदेशानुसार फिल्म आरंभ होने से पहले सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना एवं उस समय दर्शकों का खड़ा होना अनिवार्य कर दिया था।
Supreme Court modifies its order on National Anthem, says it is not mandatory in cinema halls pic.twitter.com/cC0dqcTj5P
— ANI (@ANI) January 9, 2018
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को केंद्र सरकार के रुख में आये बदलाव के का असर माना जा रहा है क्योंकि सोमवार को केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दिया था जिसमें केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि फिलहाल राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के लिए अनिवार्य ना किया जाए। क्योंकि इसके लिए केंद्र ने पांच दिसंबर को केंद्र सरकार ने इस मामले में मंत्रालयों की एक समिति बनाई है और वही राष्ट्रगान संबंधी हर पहलू एवं मुद्दे पर विस्तारपूर्वक जांच करने बाद निर्णय करेगी कि इसे अनिवार्य किया जाए या नहीं। केंद्र के इस हलफनामे के बाद उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता समाप्त कर दी है।
राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और केंद्र के रवैये पर कई लोगों द्वारा सवाल उठाए गए थे। कहा गया था कि लोग मनोरंजन के लिए फिल्म देखने जाते हैं, वहां उनपर इस तरह देशभक्ति थोपी नहीं जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले साल 23 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि राष्ट्रगान नहीं गाने को राष्ट्र विरोधी नहीं कहा जा सकता है। देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि देशभक्ति के लिए बांह में पट्टा लगाकर दिखाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह 2016 में राष्ट्रगान मामले में दिए फैसले की समीक्षा कर सकता है।