महात्मा गांधी हत्याकांड: 60 साल बाद जांच जरूरी नहीं

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महात्मा गांधी हत्याकांड: 60 साल बाद जांच जरूरी नहींWho killed Mahatma Gandhi in real

नयी दिल्ली (एजेंसी) : भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के अनुसार "महात्मा गांधी हत्याकांड" में दोबारा जांच की कोई आवश्यकता नहीं है।
अभिनव भारत, मुंबई के न्यासी पंकज फडणीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच के लिए एक जनहित याचिका दायर की है जिसमे दावा किया गया है कि गांधी की हत्या में नाथूराम के अलावा भी एक और शख्स भी था लेकिन आरोप में सिर्फ नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार किया गया, जबकि वो रहस्यमयी व्यक्ति कभी पकड़ा नहीं गया। इस याचिका पर आगे कोई सुनवाई करने से पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने 7 अक्टूबर 2017 को भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल श्री अमरेंद्र शरण को न्याय मित्र बनाया गया था।
श्री शरण ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले का आज विशेष उल्लेख किया। उन्होंने पीठ को बताया कि उनकी रिपोर्ट का यही निष्कर्ष निकला है कि हत्याकांड की दोबारा जांच की जरूरत नहीं है।
याचिकाकर्ता ने जहां दावा किया है कि महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे के अलावा विदेशी खुफिया एजेंसी का भी हाथ था और हत्याकांड से जुड़े कई दस्तावेजों की अनदेखी की गयी है, जिसमें विदेशी साजिश की बू आती थी, वहीं न्याय मित्र ने कहा कि इस हत्याकांड में विदेशी खुफिया एजेंसी के शामिल होने का आरोप बेबुनियाद है और इसका कोई साक्ष्य नहीं प्राप्त हुआ है।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री शरण ने कहा कि उन्हें दस्तावेजों की तहकीकात से गोडसे के अलावा किसी अन्य के शामिल होने के संदेह की गुंजाइश नजर नहीं आती इसलिए मामले की फिर से जांच कराने या नया तथ्यान्वेषी आयोग गठित करने की उन्हें जरूरत महसूस नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा, ''पहले पुख्ता जांच हुई। किसी विदेशी एजेंसी का हाथ होने, दो लोगों के फायरिंग करने और चार गोली चलने के दावों में दम नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख (12 जनवरी) को इस मुद्दे पर विचार करेगा।

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