मुस्लिम जेहादी "ज़ाहिद" ने ढाई साल की मासूम ट्विंकल के साथ की दिल्ली की "निर्भया" जैसी दरिंदगी

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रमज़ान के "रोज़ेदार ज़ाहिद" की ढाई साल की मासूम के साथ की गई दरिंदगी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जिसे पढ़ने के लिए भी पत्थर जैसा कलेजा चाहिए

यह मेरी मानसिक कायरता थी कि मैं टप्पल, अलीगढ़ की "ट्विंकल शर्मा" पर लिखने की हिम्मत नहीं जुटा सका था। ढाई वर्षीय मासूम ट्विंकल शर्मा के साथ एक मुस्लिम ज़ाहिद खां ने जो किया उसको लिखते कलम लरजती, कांपती है, शरीर में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है, आंखे नम हो जाती हैं।

मासूम ट्विंकल जिसे चांटा मरने के लिए भी शायद ही किसी का हाथ उठे, उसके साथ "रोज़ेदार जिहादी" ने दरिंदगी की हदें पार कर दी

ध्यान रखिए टप्पल और बिसरख में सिर्फ चंद किलोमीटर की दूरी है। ढाई वर्ष की ट्विंकल पर रोने वाला कोई नहीं। बिसरख में अखलाख की हत्या पर सैकड़ों लोग और नेता बिसरख में जुट गए थे। मुआवजे में कई फ्लैट मिले, नौकरियां मिली, नकद करोड़ों मिले। वहीं ट्विंकल के घर वाले लापता ट्विंकल की तलाश में 30 घण्टे प्रशासन के सामने माथा रगडते रहे। जवाब मिला था, "खुद ही ढूंढ लो"

कुछ माह पूर्व जब ज़ाहिद के पिता बीमार हुए तो ट्विंकल के पिता/दादा बनवारी लाल ने ज़ाहिद को उसके पिता इलाज हेतु 50,000 रूपये की सहायता दी थी। ज़ाहिद ने जल्द ही रूपये लौटा देने का वायदा भी किया था लेकिन अनेक बार तकादा करने के बाद ज़ाहिद ने सिर्फ 40,000 रु वापस किये। लेकिन 10,000 रु वापस करने में आनाकानी शुरू कर दी। बनवारी लाल शर्मा तकादा करते रहे। रमज़ान का महीना होने का बहाना बनाया गया, बनवारी लाल भी निम्न मध्यम श्रेणी के व्यक्ति हैं सो उन्होंने अपना धन छोड़ने से इनकार कर दिया। जिसके चलते ज़ाहिद से काफी कहा-सुनी भी हुई।

उसके बाद सुबह नौ बजे ढाई वर्षीय ट्वींकल शर्मा घर के सामने से गायब हो गई। बनवारी लाल ने प्रशासन के सामने ज़ाहिद के ऊपर शक भी ज़ाहिर किया। परंतु ज़ाहिद से सामान्य पूछताछ तक नहीं की गई। तीस घंटे बाद टप्पल में ही एक कूड़े के ढेर में ट्विंकल शर्मा का शव मिला। ट्विंकल के साथ जो हुआ उसे सुनने के लिए कलेजा थाम लीजिए !

ट्विंकल का बायां हाथ तोड़कर अलग कर दिया गया था, एक पैर मुड़ा हुआ था, उस मासूम की दोनो आंखे निकाल ली गईं थी। उसके शरीर को तेज़ाब से जलाकर नष्ट करने या न पहचानने योग्य बनाने की कोशिश की गई थी। ढाई वर्षीय ट्विंकल के साथ नृशंसता पूर्ण बलात्कार भी किया गया था । जिसने भी ढाई साल की मासूम के मृत शरीर को देखा, सुध-बुध खो बैठा।

अंततः केस दर्ज हुआ! पुलिस खोजी कुत्तों को लेकर आयी, कुत्तों ने उस मासूम के शरीर को सूंघा और ज़ाहिद के घर की ओर दौड़ पड़े। प्रारंभिक न-नुकुर के बाद "रोज़ा रखे" ज़ाहिद ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया। यह सामान्य हत्या नहीं थी, ट्वींकल के ऊपर जो कुछ हुआ साफ दर्शाता है कि ज़ाहिद एक धर्म विशेष के प्रति घ्रणा से ग्रसित था। वरना मुसीबत के समय रु 50,000/- की मदद करने वाले बनवारी शर्मा की बेटी ट्वींकल को ऐसी नृशंसता पूर्ण मौत न देता ज़ाहिद।

पोस्टमार्टम से ही यह पता चला कि ढाई वर्षीय ट्विंकल के ऊपर बर्बर बलात्कार भी हुआ था। लेकिन यह निष्कर्ष प्राप्त नहीं हुआ कि ज़ाहिद ने उस मासूम के जिंदा रहते ही उसके साथ ये दुष्कर्म किया था या हत्या के बाद।

ऐसा तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी नहीं होता है। सोशल मीडिया में हाहाकार के बाद एक आध मीडिया हाउस ने बमुश्किल इस खबर को चलाया। यही मीडिया अखलाख औऱ आसिफा के मामलों को महीनों खींचता रहा था।

रोते रहिए आप क्योंकि इस देश में आप बहुसंख्यक हैं, रोज़ेदार ज़ाहिद सरसब्ज़ होते रहेंगे। ढाई साल की मासूम ट्विंकल के साथ ज़ाहिद के द्वारा किए गए जल्लादी कुकर्मों को देख चौंक ही नहीं सिहर भी उठेंगे आप।

ऐसी ट्विंकलें तो आती जाती रहेंगी बस आप सेक्युलर बने रहिए।

तेरी आत्मा को शांति के लिए प्रार्थना के हकदार भी नहीं हैं हम!!

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