श्री राम जन्मभूमि में मिल रहे अवशेषों से सामने आई इस्लामिक आक्रांताओं की सच्चाई

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श्री राम जन्मभूमि में मिल रहे अवशेषों से सामने आई इस्लामिक आक्रांताओं की सच्चाई

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए 11 मई 2020 से प्रारंभ की गई खुदाई एवं भूमि के समतलीकरण के दौरान इस्लामिक आक्रांता मुस्लिम शासकों द्वारा ध्वस्त किये गए श्रीराम मंदिर के सैकड़ों अवशेष प्राप्त हो रहे हैं। विहिप नेता और श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, पिछले दस दिनों से मैदान का समतलन चल रहा है। राम जन्मभूमि से अब तक 5 फ़ीट की नक्कासीयुक्त शिवलिंग, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश, आमलक दोरजाम्ब आदि कलाकृतियां, कसौटी पत्थर के बने हुये 7 स्तम्भ, लाल बलुआ पत्थर के छह खंभे, और मेहराब के पत्थर इत्यादि सैकड़ों अवशेष समतलीकरण कार्य में प्राप्त हो चुके हैं।

स्तंभों और अन्य वस्तुओं की बरामदगी बहुत महत्वपूर्ण है यह एक प्रमाणित तथ्य है कि उस स्थान पर धार्मिक आवास बने/खड़े थे और आक्रमणकारियों द्वारा एक मस्जिद के निर्माण के लिए ध्वस्त कर दिए गए थे।

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के दौरान निकाल रहे इन ध्वंसावशेष अवशेषों से इस्लामिक आक्रांताओं की सच्चाई भी लोगों के सामने आ रही है कि किस प्रकार से इन दुष्टों ने हमारी सांस्कृतिक विरासतों, हमारे आराध्य स्थलों को क्रूरतापूर्ण तरीके से नष्ट किया। लेक़िन वे भूल गए कि झूठ और अत्याचार के बल पर सत्य को स्थायी रूप से कभी दबाया नहीं जा सकता अपितु सत्य समय के साथ और प्रबल होता जाता है।

इससे पहले 2003 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी खुदाई के दौरान खोज की थी, जिसमें संकेत दिया गया था कि मंदिर उस स्थान पर पहले से मौजूद थे जहां बाबरी मस्जिद को बनाया गया था। उस समय की खुदाई के समय एएसआई को वहाँ से पत्थर और सजे हुए ईंटों, खंभों एवं अन्य वस्तुओं के बीच देवताओं की मूर्तियों भी मिली थी। दिसंबर 1991 में कारसेवकों द्वारा बाबरी के उस ढ़ाचे को ध्वस्त कर दिया गया था।

अपने 9 नवंबर, 2019 के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष रूप से, एएसआई के 2003 के निष्कर्षों का भी उल्लेख किया कि बाबरी मस्जिद एक पूर्व-मौजूदा संरचना की दीवारों पर आधारित थी।


























































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