घुसपैठ पर सेना प्रमुख के बयान पर राजनीतिक तूफान

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घुसपैठ पर सेना प्रमुख के बयान पर राजनीतिक तूफानसेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक कड़वा सच बोलकर 70 साल से देश में हो रही अवैध घुसपैठ करा रहे चेहरों से नकाब हटाने की कोशिश की

भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत के बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पर दिए गए बयान ने राजनीतिक गलियारों में भी तूफान खड़ा कर दिया है। सेना प्रमुख के बयान पर AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने भी प्रतिक्रिया देते हुये ट्वीट किया कि सेना प्रमुख राजनीति से प्रेरित बयान दिया है जो कि चौंकाने वाला है। बदरुद्दीन ने लिखा है कि आखिर सेना प्रमुख को चिंता क्यों है अगर लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित एक राजनीतिक पार्टी बीजेपी की तुलना में तेजी से बढ़ रही है? उन्होंने लिखा कि बड़ी राजनीतिक पार्टियों के कुशासन के कारण ही AIUDF और AAP जैसी पार्टियों का उदय हुआ है। AIUDF प्रमुख के अलावा AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी एवं देश की अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी जनरल रावत के बयान पर सवाल उठाए हैं सीपीएम नेता वृंदा करात ने दो कदम आगे बढ़कर इस मुद्दे पर अपील की है कि राष्ट्रपति को गंभीरता से मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
औवेसी ने ट्वीट किया है कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है. लोकतंत्र और संविधान इस बात की इजाजत देता है कि सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करेगी
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता मीम अफजल ने भी आर्मी चीफ के इस बयान पर आपत्ति जताते हुये कहा कि सेना के अफसर को राजनीतिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए उन्होंने कहा है कि रावत को ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए। एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा कि ये राजनीतिक मामला है अतः इसपर नेताओं को ही बयानबाजी करनी चाहिए, आर्मी चीफ को ये सब शोभा नहीं देता है। बीजेपी की तरफ से शायना एनसी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ देश में बड़ा मुद्दा है, उस पर विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय नज़र बनाए हुए है।
उधर बीजेपी के ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सेना प्रमुख के द्वारा दिये गए बयान के समर्थन में खड़े नज़र आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ''आर्मी चीफ ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में बिल्कुल ठीक कहा है। मैं उनकी बात से पूर्ण सहमत हूं, वहीं ओवैसी द्वारा सेना प्रमुख को दी गई नसीहत पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख फैक्ट्स की बात कर रहे हैं, ओवैसी को भी ऐसा ही करना चाहिए।
दरअसल इस सारी राजनीतिक बयानबाजी की वजह 22 फरवरी को डीआरडीओ भवन में आयोजित समारोह में सेना प्रमुख द्वारा दिया गया एक बयान है। इस समारोह में बोलते हुये सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ बढ़ी है। सेना प्रमुख इलाके में होने वाली बांग्लादेशी घुसपैठ और जनसांख्यिकी परिवर्तन को समझाने के लिए उदाहरण दे रहे थे, उन्होंने कहा कि घुसपैठ होने का एक बड़ा कारण जमीन पर कब्जा जमाना भी है।
अपने सम्बोधन में सेना प्रमुख आसाम में हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ के बारे में कहा कि उत्तर-पूर्व में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ के पीछे हमारे पश्चिमी पड़ोसी की छद्म नीति ज़िम्मेदार है। जनरल रावत ने कहा है कि इस काम में हमारे पश्चिमी पड़ोसी को उत्तरी पड़ोसी का साथ मिल रहा है। उन्होंने कहा है कि उत्तर पूर्व की समस्याओं का समाधान वहां के लोगों को देश की मुख्यधारा में लाकर विकास करने से मुमकिन है।

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