कुम्भ और होली पर बने विज्ञापनों से लोगों में आक्रोश : अपनी पब्लिसिटी के लिए भावनाओं से खेलती हैं कंपनियां

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हिन्दू आस्था पर कुठाराघात करते हुए रंगों के इस पवित्र त्योहार में रंगों को ही "दाग" सिध्द करने का प्रयास किया

बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनिलीवर जिसकी भारतीय ब्रांच हिंदुस्तान लीवर (HUL) है ये विश्व स्तर पर उपभोक्ता उत्पाद बनाती है कंपनी का मुख्यालय लंदन में है। ये कंपनी भारत से लगभग वार्षिक 2 लाख करोड़ का व्यवसाय करके उसके प्रॉफ़िट का लगभग 60% इंग्लैंड ले जाती है। ज्ञात हो अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता वाले संस्थापकों द्वारा संचालित हैं जो भयंकर हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है उन्हीं में से एक युनिलीवर/हिंदुस्तान लीवर भी है।

हिंदुस्तान लीवर पिछले काफी समय से अपने उत्पादों के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले विज्ञापनों में हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचय देती रही है। पहले इसने क्लोज़ अप के विज्ञापन के जरिये अपनी इसी नीच मानसिकता को दिखाया था। उस विज्ञापन के विरुद्ध भी लोगों में काफी आक्रोश भड़का था और उस समय भी लोगों ने उस विज्ञापन को लेकर बहिष्कार की आवाज़ उठाई थी। लेकिन कंपनी के ऊपर शायद ही उसका कुछ असर हुआ हो इसीलिए कंपनी ने हिंदुओं के कुम्भ मेले के समय फिर वैसा ही हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने वाला विज्ञापन बनाया। उस विज्ञापन को लेकर भी हिंदुओं में वो ही आक्रोश भड़का और अभी वो मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि 27 फरवरी को होली के त्योहार के आने से पहले ही उसे लेकर एक और भड़काने वाला विज्ञापन आ गया। यानि कि कुछ दिनों पहले ही कुम्भ मेले का उपहास करने के बाद कंपनी ने हार नहीं मानी इसके विपरीत सर्फ एक्सेल के विज्ञापन में होली का अपमान करने की हिमाकत की। इस तरह के विज्ञापनों के बहाने इन वामपंथी/ईसाई मानसिकता वाली कंपनियों की हिन्दू विरोधी मानसिकता स्पष्ट नजर आती है।

वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।

कायदे से किसी देश और समाज के विकास के लिए सामाजिक समरसता एक प्रमुख आधार है। लेकिन परस्पर सहयोग व एक दूसरे की संस्कृतियों का सम्मान करने का जिम्मा किसी एक समुदाय/धर्म के ऊपर ही नहीं होता अपितु इसके लिए सभी को बराबर का हिस्सेदार होना होता है। और अगर धरातल पर भी कहीं ऐसा यदि दिख जाए तो प्रसंशनीय है। इसके लिए अच्छी बात तो तब है जब दो विपरीत धर्मों को मानने वाले अपनी खुसघी से एक दूसरे के पर्वों में शामिल होते हों और यदि शामिल नहीं भी होना चाहते तो ये भी कम अच्छी बात नहीं कि वो एक दूसरे का विरोध नहीं करते, उसे कमतर नहीं आँकते, उसमें खोट नहीं निकालते।

किन्तु हिंदुस्तान यूनीलीवर ऐसा नहीं मानता। उसके अनुसार यदि समाज इस प्रकार का व्यवहार धारण कर ले तो सम्भवतः उसकी रोजी-रोटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगेगा, अतः जहर घोलना उसे अनिवार्य लगता है। उसकी इसी मानसिकता को देखने के लिए आप उसके "Surf Excel India" वाले वाले दो विज्ञापन देखिये पहला जो आजकल सुर्खियों में है और दूसरा रमजान का।

पहले वाले विज्ञापन में उसने हिन्दू बालकों को आक्रामक और मुस्लिम बालक को विक्टिम की तरह प्रस्तुत किया है, साथ ही हिन्दू आस्था पर कुठाराघात करते हुए रंगों के इस पवित्र त्योहार में रंगों को ही "दाग" सिध्द करने का प्रयास किया।

दूसरा विज्ञापन "रमजान" का है जिसमें वो किसी हिन्दू कैरेक्टर को शामिल नहीं करता। मुस्लिम बच्चे और उसकी माँ को यहाँ समोसे और जलेबियों के "दागों" से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि बच्चा एक मुस्लिम ठेलेवाले की मदद कर रहा है।

इन दोनों ऐड से इस कम्पनी की मानसिकता साफ - साफ परिलक्षित हो रही है। हमारी हिन्दू संस्कृति में गंगा को पानी नहीं कहा जाता, गाय जानवर नहीं होती, तुलसी पौधा नही और न ही होली के रंग हमारे लिए दाग हैं। जिस देश में रहकर व्यवसाय करना है उसी की बहुसंख्यक जनता के धर्म का मखौल बर्दाश्त के बाहर है। अगर हिंदुओं और हिन्दू धर्म की मान्यताओं को ठेस पहुँचाने का कार्य ये कंपनियाँ इसी प्रकार करती रहेंगी तो फिर समाज में विष घोलने वाली ऐसी कम्पनी के समस्त उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार करन ही होगा और बात सिर्फ बहिष्कार तक ही नहीं रूकेगी अपितु इनके संस्थानों को ताले भी लगवाने होंगे।

सच्चाई ये है कि किसी को भी हिन्दू समाज का भय लगता ही नही क्योकि वास्तविकता यही है कि हिन्दू समाज सुप्तावस्था में पड़ा है कुछ जागरूक हिन्दू विरोध करते भी हैं तो वो नक्कारखाने में तूती जैसे लगता है आगे भले ही न आये पर जो आगे बढ़ के समाज के हित मे कुछ कर रहे है तो उनका समर्थन तो करना ही चाहिए।

लोगों में किस प्रकार का आक्रोश है उसकी झलक आप ट्वीटर पर #BoycottHindustanuniLever एवं #BoycottSurfExcel पर हो रहे कुछ ट्वीट्स यहाँ देख सकते हैं।

कुम्भ मेले के समय आया था चाय का विज्ञापन :

ये इस कंपनी के टूथ पेस्ट "Closeup" के विज्ञापन पर किया गया ट्वीट है

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