कुम्भ और होली पर बने विज्ञापनों से लोगों में आक्रोश : अपनी पब्लिसिटी के लिए भावनाओं से खेलती हैं कंपनियां
वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।
वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनिलीवर जिसकी भारतीय ब्रांच हिंदुस्तान लीवर (HUL) है ये विश्व स्तर पर उपभोक्ता उत्पाद बनाती है कंपनी का मुख्यालय लंदन में है। ये कंपनी भारत से लगभग वार्षिक 2 लाख करोड़ का व्यवसाय करके उसके प्रॉफ़िट का लगभग 60% इंग्लैंड ले जाती है। ज्ञात हो अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता वाले संस्थापकों द्वारा संचालित हैं जो भयंकर हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है उन्हीं में से एक युनिलीवर/हिंदुस्तान लीवर भी है।
हिंदुस्तान लीवर पिछले काफी समय से अपने उत्पादों के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले विज्ञापनों में हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचय देती रही है। पहले इसने क्लोज़ अप के विज्ञापन के जरिये अपनी इसी नीच मानसिकता को दिखाया था। उस विज्ञापन के विरुद्ध भी लोगों में काफी आक्रोश भड़का था और उस समय भी लोगों ने उस विज्ञापन को लेकर बहिष्कार की आवाज़ उठाई थी। लेकिन कंपनी के ऊपर शायद ही उसका कुछ असर हुआ हो इसीलिए कंपनी ने हिंदुओं के कुम्भ मेले के समय फिर वैसा ही हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने वाला विज्ञापन बनाया। उस विज्ञापन को लेकर भी हिंदुओं में वो ही आक्रोश भड़का और अभी वो मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि 27 फरवरी को होली के त्योहार के आने से पहले ही उसे लेकर एक और भड़काने वाला विज्ञापन आ गया। यानि कि कुछ दिनों पहले ही कुम्भ मेले का उपहास करने के बाद कंपनी ने हार नहीं मानी इसके विपरीत सर्फ एक्सेल के विज्ञापन में होली का अपमान करने की हिमाकत की। इस तरह के विज्ञापनों के बहाने इन वामपंथी/ईसाई मानसिकता वाली कंपनियों की हिन्दू विरोधी मानसिकता स्पष्ट नजर आती है।
वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।
कायदे से किसी देश और समाज के विकास के लिए सामाजिक समरसता एक प्रमुख आधार है। लेकिन परस्पर सहयोग व एक दूसरे की संस्कृतियों का सम्मान करने का जिम्मा किसी एक समुदाय/धर्म के ऊपर ही नहीं होता अपितु इसके लिए सभी को बराबर का हिस्सेदार होना होता है। और अगर धरातल पर भी कहीं ऐसा यदि दिख जाए तो प्रसंशनीय है। इसके लिए अच्छी बात तो तब है जब दो विपरीत धर्मों को मानने वाले अपनी खुसघी से एक दूसरे के पर्वों में शामिल होते हों और यदि शामिल नहीं भी होना चाहते तो ये भी कम अच्छी बात नहीं कि वो एक दूसरे का विरोध नहीं करते, उसे कमतर नहीं आँकते, उसमें खोट नहीं निकालते।
किन्तु हिंदुस्तान यूनीलीवर ऐसा नहीं मानता। उसके अनुसार यदि समाज इस प्रकार का व्यवहार धारण कर ले तो सम्भवतः उसकी रोजी-रोटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगेगा, अतः जहर घोलना उसे अनिवार्य लगता है। उसकी इसी मानसिकता को देखने के लिए आप उसके "Surf Excel India" वाले वाले दो विज्ञापन देखिये पहला जो आजकल सुर्खियों में है और दूसरा रमजान का।
पहले वाले विज्ञापन में उसने हिन्दू बालकों को आक्रामक और मुस्लिम बालक को विक्टिम की तरह प्रस्तुत किया है, साथ ही हिन्दू आस्था पर कुठाराघात करते हुए रंगों के इस पवित्र त्योहार में रंगों को ही "दाग" सिध्द करने का प्रयास किया।
दूसरा विज्ञापन "रमजान" का है जिसमें वो किसी हिन्दू कैरेक्टर को शामिल नहीं करता। मुस्लिम बच्चे और उसकी माँ को यहाँ समोसे और जलेबियों के "दागों" से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि बच्चा एक मुस्लिम ठेलेवाले की मदद कर रहा है।
इन दोनों ऐड से इस कम्पनी की मानसिकता साफ - साफ परिलक्षित हो रही है। हमारी हिन्दू संस्कृति में गंगा को पानी नहीं कहा जाता, गाय जानवर नहीं होती, तुलसी पौधा नही और न ही होली के रंग हमारे लिए दाग हैं। जिस देश में रहकर व्यवसाय करना है उसी की बहुसंख्यक जनता के धर्म का मखौल बर्दाश्त के बाहर है। अगर हिंदुओं और हिन्दू धर्म की मान्यताओं को ठेस पहुँचाने का कार्य ये कंपनियाँ इसी प्रकार करती रहेंगी तो फिर समाज में विष घोलने वाली ऐसी कम्पनी के समस्त उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार करन ही होगा और बात सिर्फ बहिष्कार तक ही नहीं रूकेगी अपितु इनके संस्थानों को ताले भी लगवाने होंगे।
सच्चाई ये है कि किसी को भी हिन्दू समाज का भय लगता ही नही क्योकि वास्तविकता यही है कि हिन्दू समाज सुप्तावस्था में पड़ा है कुछ जागरूक हिन्दू विरोध करते भी हैं तो वो नक्कारखाने में तूती जैसे लगता है आगे भले ही न आये पर जो आगे बढ़ के समाज के हित मे कुछ कर रहे है तो उनका समर्थन तो करना ही चाहिए।
लोगों में किस प्रकार का आक्रोश है उसकी झलक आप ट्वीटर पर #BoycottHindustanuniLever एवं #BoycottSurfExcel पर हो रहे कुछ ट्वीट्स यहाँ देख सकते हैं।
This surf excel ad is making some Indians #BoycottHindustanUnilever. Why? Because apparently is promoting #LoveJihad. As a Muslim I could say, it's also promoting intolerance of Hindus against Muslims, but that too would be a strong accusation. pic.twitter.com/R0GBKQhUGk
— Zahra (@syedaz) March 8, 2019
Boycott Hindustan Unilever Products #BoycottSurfExcel #Boycott_surf_excel #BoycottHindustanUnilever pic.twitter.com/dy2Lq6pdmZ
— Dhaval R. Kathiriya (@drkathiriya) March 9, 2019
We should teach our kids that there is no religion boundaries in society, but showing that only boy wearing white cap, and others kids are playing with colours, HLL has shown the divide in the society.Arre Bachhon ko toh chod do yaar#BoycottSurfExcel #BoycottHindustanUnilever pic.twitter.com/hfnyU9su1G— kph006 (@kph0061) March 9, 2019
Irony is that Hindustan Unilever India's largest advertiser once vowed to reduce its spending on online and social media platforms if they don't filter out content which is divisive or promotes gender stereotypes and religious hatred !#BoycottHindustanUnilever pic.twitter.com/RvLQ9uBhnu
— Geetika Swami (@SwamiGeetika) March 7, 2019
Let's join hands & be social crusaders 4 our motherland.Use #OptForRealHindustaniProducts as a way 2 show this pseudo Indian company that we're here 2 crush their 'monopoly'.Dear @HUL_News, we're civilized enough 2 kick your rear.#BoycottUnileverProducts #BoycottHindustanUnilever pic.twitter.com/1B3pE6XH1h
— Seemika Khanvilkar (@seemika_k) March 7, 2019
Well @HUL_News try this stuff in #SaudiArabia maybe what happened to #Khashoggi would happen to your entire staff. Indian Media will call this #BoycottHindustanUnilever trend intolerance then so be it. U guys from #IndiaMedia r a joke even in a terrorist country like Pakistan 🙏 pic.twitter.com/wz9dEpamQu
— PAYAL ROHATGI & Team (@Payal_Rohatgi) March 7, 2019
कुम्भ मेले के समय आया था चाय का विज्ञापन :
The old man from Himachal pradesh was with his son, Son did not abandoned him.The lady with bag in her hand brought her parents to the Kumbh, She too did not abandoned them...— नंदिता ठाकुर (@nanditathhakur) March 7, 2019
ये इस कंपनी के टूथ पेस्ट "Closeup" के विज्ञापन पर किया गया ट्वीट है
What Closeup is trying to show u is a world of Imagination. They are trying brainwashing ppl. While a Hindu Ankit Saxena was brutally killed by family of muslim girl, a hindu Tara Sahdev was forced 2 convert 2 Islam by her muslim husband & in law. & there r plenty such cases pic.twitter.com/p1UcRWVUO7
— hashIT (@lllO_Ollllll) November 26, 2018
HUL and @CloseUpIndia promoting Love Jihad choose to conveniently hide the hundreds of cases where Hindu boys are killed by Muslim girl's family. They are shamelessly promoting Love Jihad openly.Boycott @closeupindia and HUL products— राम ராம் (Ram) 🇮🇳 (@ramisright) November 26, 2018