कहानी विश्वासघात की : 70 में से 67 वादे पूरे करने में नाकाम रही केजरीवाल सरकार

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आप सभी को 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल सरकार द्वारा लाया गया 70 प्वाइंट एक्शन प्लान याद ही होगा। अरविंद केजरीवाल ने 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान सत्ता के मोह में आकार जनता से खूब बड़े बड़े वादे किए थे। परंतु ज़मीनी तौर पर देखे तो वो अपने वादे पूरे करने में पूरी तरह से नाकाम रहे। जी हाँ हाल ही में आई पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर यानि पीपीआरसी की रिपोर्ट के अनुसार केजरीवाल सरकार अपने 70 वादों में से 67 पूरे करने मे नाकाम रही।

अब जैसे-जैसे केजरीवाल सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है तो उनके सभी प्लांस का निरीक्षण करना तो स्वाभाविक है। और निरीक्षण के दौरान पता चला है कि अब तक वे अपने 70 वादों में से मात्र तीन ही पूरे कर पाए है।

जगह जगह सीसीटीवी लगाने और महिला सुरक्षा की स्थिति बहुत ही ज़्यादा खराब है। गंदे पानी और सीवर की सफ़ाई कि स्थिति में सुधार तो दूर कि बात बल्कि शिकायतों में 50% का इजाफ़ा दर्ज़ हुआ है।

दिल्ली सरकार हमेशा से दावे करती रही है कि उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी महारथें हासिल की है। परंतु रिपोर्ट के अनुसार उनके ये सभी दावे मात्र झूठ साबित हुए है। केजरीवाल ने 500 नए स्कूल खोलने का वादा किया था पर अभी चार साल में मात्र 5% स्कूलों में ही काम शुरू हो पाया है। काम की इस गति को देख कर साफ पता चलता है की उनका कार्यकाल पूरा होने तक किसी भी स्थिति में 500 स्कूल बनाना असंभव है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली के स्कूलों में मात्र 0.13 फीसद बच्चों को ही शिक्षा लोन दिया गया है।

और बात कॉलेजों की करें तो 20 डिग्री कॉलेज बनाने का वादा किया गया था जिनमें से एक का भी काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। वैसे भी दिल्ली के लोग जानते ही हैं कि केजरीवाल की पहचान अपने किए हुये वादों से पलटने की ही रही है। साथ ही आप सभी को ज़ोर शोर से उठाया गया वाई-फ़ाई का मुद्दा भी याद ही होगा। दिल्ली को फ्री वाई-फाई ज़ोन बनाना केजरीवाल के प्रमुख वादों में से एक था, और जब टूटे हुए वादों की बात आई तो भी फ्री वाई-फ़ाई की प्रमुखता को बनाए रखे हुए उसी वादे को सबसे पहले तोड़ा गया। 4 साल से ज़्यादा हो गये है और आज तक एक भी जगह पर फ्री वाई-फ़ाई की सुविधा नहीं दी गई है।

इसी प्रकार दिल्ली सरकार का अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को प्रदान करने का वादा भी मात्र एक जुमला बन कर रह गया है। अस्पतालों में बिस्तरों को बढ़ाने के किए गए वायदों में 60% से ज्यादा की पूर्ति नहीं की गई है। और अगर बात करें बहुचर्चित मौहल्ला क्लीनिक की तो मौहल्ला क्लीनिक के नाम पर किए गए मज़ाक से तो दिल्ली की जनता पहले ही वाकिफ है। अनेक मौहल्ला क्लीनिकों पर डॉक्टरों, दवाओं, और अन्य सुविधाओं के नाम पर खर्च तो बहुत हो रहा है लेकिन अनेक मौहल्ला क्लीनिकों में आवारा पशु घूम रहे हैं। तो आप सभी अंदाज़ा लगा सकते है कि ये सारा पैसा जा कहाँ रहा है?

पूरे भारत में 20 लाख से ज़्यादा परिवार आयुष्मान योजना का लाभ उठा चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत 5 लाख तक का इलाज मुफ़्त कराया जा सकता है। लेकिन लगता है कि दिल्ली की गरीब जनता से केजरीवाल की कुछ खास दुश्मनी है जिस कारण केजरीवाल हैं कि इस योजना को दिल्ली कि जनता तक आने ही नहीं दे रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल सरकार में जनता को वादों के नाम पर सिर्फ निराशा मिली है।

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