दिल्ली सहित छह राज्यों की पेयजल समस्या होगी हल - "रेणुका जी बहुद्देशीय बांध परियोजना" के अनुबंध पर हुए हस्ताक्षर
ज्ञात रहे कि ये इस बहुद्देशीय परियोजना का मामला 1976 से लंबित चला आ रहा है। 1976 के लगभग एक दशक बाद में उस समय के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी ने इस बांध के निर्माण की शुरुआत कराई थी । मुख्य बात ये है कि इस सर्वजन हिताय परियोजना की रूपरेखा जिस समय बनाई गई थी उस समय से लगातार केंद्र में और इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले लगभग सभी राज्यों में लंबे समय तक देश की एक बड़ी पार्टी का ही शासन रहा है।
ज्ञात रहे कि ये इस बहुद्देशीय परियोजना का मामला 1976 से लंबित चला आ रहा है। 1976 के लगभग एक दशक बाद में उस समय के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी ने इस बांध के निर्माण की शुरुआत कराई थी । मुख्य बात ये है कि इस सर्वजन हिताय परियोजना की रूपरेखा जिस समय बनाई गई थी उस समय से लगातार केंद्र में और इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले लगभग सभी राज्यों में लंबे समय तक देश की एक बड़ी पार्टी का ही शासन रहा है।
आखिरकार आज दिल्ली में "रेणुका जी बांध बहुद्देशीय परियोजना" के कार्यान्वयन के अनुबंध पर दिल्ली सहित 6 राज्यों के बीच समझौता हो ही गया। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं राजस्थान अशोक गहलोत ने परियोजना के अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किए।
ज्ञात रहे कि ये इस बहुद्देशीय परियोजना का मामला 1976 से लंबित चला आ रहा है। 1976 के लगभग एक दशक बाद में उस समय के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी ने इस बांध के निर्माण की शुरुआत कराई थी । मुख्य बात ये है कि इस सर्वजन हिताय परियोजना की रूपरेखा जिस समय बनाई गई थी उस समय से लगातार केंद्र में और इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले लगभग सभी राज्यों में लंबे समय तक देश की एक बड़ी पार्टी का ही शासन रहा है।
समय बितने के साथ - साथ आज इस बांध की लागत बढ़कर लगभग 4600 सौ करोड़ हो गई है। 1994 के एक समझौते के अनुसार इस लागत का 90% केंद्र सरकार वहन करेगी और मात्र 10% का भार ही इन 6 राज्यों के जिम्मे आएगा। इस 10% का 47.82% हरियाणा, 33.65% उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, हिमचाल 3.15, राजस्थान 9.34 एवं दिल्ली 6.04 खर्च की ज़िम्मेदारी उठाएंगे।
इस परियोजना से संबंधित सभी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली गई हैं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के मध्य से बहने वाली गिरि नदी (जिसे वहाँ के निवासी गिरि गंगा भी कहते हैं) पर लगभग 148 मीटर ऊँचे रेणुका जी बांध से दिल्ली, राजस्थान सहित अन्य सहभागी राज्यों के निवासियों की पेयजल समस्या का समाधान होगा।
इस रेणुका जी बांध परियोजना म अलावा "हाइब्रिड अन्यूइटी मोड और एक शहर एक परिचालक अवधारणा" के तहत प्रयागराज शहर के लिए नमामि गंगे परियोजनाओं के रियायत अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए। प्रयागराज अनुबंध पर उत्तर प्रदेश जल निगम, एनएमसीजी और प्रयागराज वाटर प्राइवेट लिमिटेड के बीच हस्ताक्षर हुए।
Concession agreement was also signed for Namami Gange projects in Prayagraj under Hybrid Annuity Mode and One City One Operator Concept. The Prayagraj Agreement was signed between U.P. Jal Nigam, NMCG and Prayagraj Water Pvt. Ltd. pic.twitter.com/yThvoOyV4x
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) January 11, 2019
क्या है रेणुकाजी बहुद्देशीय परियोजना?
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ऊपरी यमुना बेसिन के पहाड़ी क्षेत्रों में यमुना और इसकी दो सहायक नदियों- टोंस और गिरि नदियों पर तीन भंडारण परियोजनाओं का निर्माण करने का प्रस्ताव किया गया है। इन परियोजनाओं में उत्तराखंड में यमुना नदी पर लखवार परियोजना तथा उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में टोंस नदी पर किसाउ परियोजना और हिमाचल प्रदेश में गिरि नदी पर रेणुकाजी परियोजना शामिल हैं।
इसके साथ-साथ बेसिन राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के मध्य लखवार एमपीपी की लागत और लाभों को साझा करने के संबंध में एक अनुबंध पर इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने 28 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए थे। ये हस्ताक्षर केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में किए गए थे। रेणुकाजी बांध परियोजना के कार्यान्वयन के लिए इसी प्रकार के अनुबंध पर आज छह राज्यों के मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए।