तुम जमीर को बेच दिए, केवल बिजली-पानी पर
जीत नहीं ये झाड़ू की है, तालीबानी जीत गए, शाहिनबाग नहीं जीता है, अफजल-बानी जीत गए,
जीत नहीं ये झाड़ू की है, तालीबानी जीत गए, शाहिनबाग नहीं जीता है, अफजल-बानी जीत गए,
- Story Tags
- भारत माता
- रेप
- पाकिस्तानी
- अफजल
- शाहीनबाग
भारत माता सिसक रही हैं, तुम सब की नादानी पर,
तुम जमीर को बेच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।
तुम बोले मंदिर बनवाओ, 'उसने' काँटा साफ किया,
और तीन सौ सत्तर धारा वाला स्विच भी ऑफ किया,
इच्छा यही तुम्हारी थी, घुसपैठी भागें भारत से,
लाकर के कानून हौंसला घुसपैठी का हाफ किया।
राणा-वीर शिवा के वंशज, रीझे कुटिल कहानी पर।
तुम जमीर को बेच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।1।।
रेप किए, छाती काटा, माँ-बहनों सँग हैवानी की,
याद न आया चार लाख हिंदू के करुण कहानी की,
न्याय दिलाना चाहा 'वो' तो तुमने ये अंजाम दिया?
थूकेगा इतिहास, करेगा मंथन कारस्तानी की ।
अपनों से ज्यादा विश्वास किए तुम पाकिस्तानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए,केवल बिजली-पानी पर ।।2।।
'उनके' बच्चे-बच्चे समझें, किसको वोट नहीं देना,
टुकड़े-टुकड़े करें देश का, फिर भी खोट नहीं देना,
'तीन तलाक' महामारी, आजाद किया खातूनों को,
लेकिन धरने पर बैठी हैं, पति को चोट नहीं देना।
कैसे कोई करे भरोसा, अपने हिंदुस्तानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली-पानी पर।।3।।
क्या कसूर था 'CAA' पर, 'वो' अड़ गया बताओ तो?
क्या कसूर था पाकिस्तानी पर चढ़ गया बताओ तो?
तुमने जो-जो मांग किया, सब पर कानून बनाया 'वो'
यदि 'NRC' पर थोड़ा आगे बढ़ गया बताओ तो?
आजाद-बोस की धरती ये, वोट किए हैवानी पर,
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।4।।
सीट तीन सौ तीन मिली थी, फिर क्यों रिस्क उठाया 'वो'?
भ्रष्टाचारी एक हुए सब, फिर भी क्या घबराया 'वो' ?
तुम पर 'उसे' भरोसा था, इस खातिर कदम बढ़ाया 'वो',
'तुम रोहिंग्या के साथी हो', इतना समझ न पाया 'वो'!
देखो 'वे' सब एक हो गईं, पत्तल भर बिरियानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।5।।
पन्नादाई अगर सुनीं तो तुम सबको दुत्कारेंगी,
लक्ष्मीबाई वहाँ स्वर्ग से थूकेंगी, फटकारेंगी,
जीजाबाई रोंएंगी, बिलखेंगी, तुम्हें निहारेंगी,
बस यात्रा क्या मिली मुफ्त, द्रोही को आप सँवारेंगी?
दिल्ली की महिलाएं रीझीं, अफजल और गिलानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।6।।
जीत नहीं ये झाड़ू की है, तालीबानी जीत गए,
शाहीनबाग नहीं जीता है, अफजल-बानी जीत गए,
जेएनयू जीता है अबकी, रोहिंग्या भी जीत गए,
सच्चे हिंदुस्तानी हारे, पाकिस्तानी जीत गए।
एक वोट भी दे नहिं पाए, शहीदों की कुर्बानी पर।
तुम जमीर को बेंच दिए, केवल बिजली-पानी पर ।।7।।
------------
लेखक - अनाम (इस रचना के रचनाकार का नाम ज्ञात नहीं हुआ, अगर किसी सुधि पाठक को ज्ञात हो तो वह हमें 7982909597 प sms कर सकता है) )